कर्नाटक हाईकोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो को किया खत्म, 2016 में कांग्रेस की सरकार में हुआ था गठन
बेंगलुरु, अगस्त 12। एंटी करप्शन ब्यूरो को खत्म करने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को लेकर राज्य की सियासत में नया भूचाल आ गया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य की भाजपा सरकार भी सवालों के घेरे में है। हालांकि सरकार ने अपने स्पष्टीकरण में कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले को हमने अभी देखा है, इस पर चर्चा करने के बाद हम आगे रणनीति पर विचार करेंगे।
घोषणापत्र को ध्यान में रखते हुए लेंगे आगे का फैसला
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम अपने (2018 विधानसभा चुनाव) घोषणापत्र को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट बैठक में हाईकोर्ट के फैसले पर चर्चा करेंगे और फिर उसके बाद अपने अगले कदम पर विचार करेंगे। सीएम ने कहा कि कैबिनेट में चर्चा के बाद ही आगे का फैसला लिया जाएगा।
क्या फैसा था कर्नाटक हाईकोर्ट का?
आपको बता दें कि गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अभूतपूर्व फैसले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को समाप्त करने और राज्य में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लोकायुक्त की संस्था को मजबूत करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने एसीबी के समक्ष सभी लंबित मामलों को लोकायुक्त पुलिस डिवीजन में ट्रांसफर करने का भी फैसला सुनाया था।
2016 में कांग्रेस ने किया था गठन
एसीबी का गठन 14 मार्च 2016 को सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने किया था। हालांकि कांग्रेस ने हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए उसका समर्थन किया है। वहीं बीजेपी का कहना है कि हाईकोर्ट का फैसला कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि कांग्रेस के नेता एसीबी की जांच में बच जाते थे और इसका गठन कांग्रेस ने ही किया था।