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कैलाश मानसरोवर: 75 km नजदीक तक जा सकेंगे वाहन, उत्तराखंड से मात्र कितने घंटों में पूरी होगी यात्रा ? जानिए

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नई दिल्ली, 6 अप्रैल: हर साल होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाना सबके लिए संभव नहीं हो पाता। इस पवित्र यात्रा में लंबा वक्त भी चाहिए और हर चुनौतियों का सामना करने का साहस भी। अभी सिक्किम के रास्ते कैलाश की यात्रा पर जाएं या नेपाल के रास्ते। दो-तीन हफ्ते सों भी ज्यादा समय लग जाता है। लिहाजा खर्च भी मोटा आता है। लेकिन, सरकार उत्तराखंड में जिस सड़क परियोजना पर काम कर रही है, वह पूरा होते ही अब श्रद्धालु कुछ ही घंटों में पवित्र कैलाश पर्वत के कदमों में पहुंच सकेंगे। जानिए क्या है यह पूरी खुशखबरी।

650 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम की मंजूरी के लिए सरकार तैयार

650 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम की मंजूरी के लिए सरकार तैयार

भारत-चीन सीमा संपर्क सड़क के अंतिम सेक्शन को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार 650 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम मंजूर करने के लिए तैयार है, जिसका काम पूरा होते ही पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नया सड़क मार्ग उपलब्ध होगा। इस रोड लिंक के तैयार होने के बाद उत्तराखंड से छोटी-मोटी गाड़ियां भी पवित्र तीर्थ स्थल से महज 75 किलोमीटर पहले तक जा सकेंगी। अंग्रेजी अखबार ईटी की एक खबर के मुताबिक मोदी सरकार इस सड़क को काफी अहमियत दे रही है और जल्दी से काम पूरा करवाने के लिए मशीनीकृत निर्माण पर जोर देना चाहती है। इसके लिए सरकार एल एंड टी से लेकर टाटा ग्रुप तक को भी इस प्रोजेक्ट में शामिल करने की तैयारी कर रही है। जानकारी के मुताबिक सड़क परिवहन और हाइवे मंत्रालय ने इसके लिए इन बड़ी कंपनियों से बातचीत भी शुरू कर दी है।

दो लेन हाइवे 2-3 साल में हो जाएगा तैयार

दो लेन हाइवे 2-3 साल में हो जाएगा तैयार

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के अस्कोट से लेकर भारत-चीन सीमा तक के 150 किलोमीटर के पूरे लिंक रोड का काम पूरा भी कर लिया है। यानी प्राकृतिक चुनौतियों से भरे हिमालय के इस मुश्किल भौगोलिक क्षेत्र में सड़क का आकार तैयार है, जिसके ऊपर से पक्की सड़क निर्मित की जा सकती है। अब सड़क परिवहन और हाइवे मंत्रालय अस्कोट से लेकर सीमा तक की सड़क को पक्का करने के लिए फंड मंजूर करने के लिए तैयार है। इस सीमा सड़क प्रोजेक्ट में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है, 'इस मामले में सड़क का निर्माण करना सबसे कठिन कार्य था। सड़क निर्माण का काम होने के बाद पक्कीकरण का काम शुरू होगा। केंद्र जल्द ही इसके लिए मंजूरी देगा। हमें उम्मीद है कि पूरा दो-लेन हाइवे 2 से 3 साल में पूर्ण हो जाएगा।'

सिर्फ 7-8 घंटे में कर सकेंगे कैलाश मानसरोवर की यात्रा

सिर्फ 7-8 घंटे में कर सकेंगे कैलाश मानसरोवर की यात्रा

जैसे ही इस सड़क का काम पूरा होगा, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से भारत चीन सीमा तक 5 से 6 घंटे में जाया जा सकेगा। अधिकारी के मुताबिक वहां से पवित्र कैलाश मानसरोवर सिर्फ 2 घंटे की दूरी पर है। यानी इस सड़क के बनने के बाद पिथौरागढ़ से 7 से 8 घंटे में पवित्र कैलाश तक की यात्रा की जा सकेगी। इस समय कैलाश मानसरोवर की यात्रा में 2 से 3 हफ्ते लग जाते हैं। ये रास्ते सिक्किम या नेपाल से होकर जाते हैं। 900 करोड़ रुपये की इस परियोजना में पिथौरागढ़-अस्कोट के बीच सड़क का काम पहले ही पूरा हो चुका है, सिर्फ अंतिम 80 किलोमीटर का पक्कीकरण बाकी है।

कैलाश मानसरोवर के द्वार तक जाएगी सड़क

कैलाश मानसरोवर के द्वार तक जाएगी सड़क

बॉर्डर से अस्कोट तक का लिंक पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटियाबागढ़ मार्ग का विस्तार है। यह सड़क घाटियाबागढ़ से शुरू होती है और सीमा पर एक दर्रे के पास खत्म हो जाती है, जो कि पवित्र कैलाश मानसरोवर का द्वार भी है। इस सड़क के निर्माण में आने वाली चुनौती इसी बात से समझी जा सकती है कि यह 6,000 फीट की ऊंचाई से शुरू होकर 17,060 फीट की ऊंचाई तक बढ़ जाती है। यह मार्ग अबतक जोखिमों से भरा और बहुत ही ज्यादा दूभर रहा है। दो-लेन की यह सड़क इस रास्ते की यात्रा की मुश्किलों को काफी कम कर देगी और यहां तक हल्के वाहन भी यहां से गुजर कर तिब्बत के पठार तक जा सकेंगे।

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भारत-नेपाल के स्थानीय लोगों के लिए आसानी

भारत-नेपाल के स्थानीय लोगों के लिए आसानी

इस इलाके में स्थानीय लोगों की नेपाल से भी काफी आवाजाही रहती है और इस सड़क के तैयार होने के बाद दो मुल्कों के नागरिकों के लिए भी काफी आसानी हो जाएगी। भारत चीन सीमा तक यह लिंक रोड बीआरओ के 'हीरक' प्रोजेक्ट का हिस्सा होने के साथ-साथ भारत सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय और नेशनल हाइवे अथॉरिटी के चार धाम प्रोजेक्ट का भी हिस्सा है। (तस्वीरें- सांकेतिक)

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English summary
Kailash Mansarovar: Vehicles will be able to go up to 75 km near,Yatra will be completed in 8 hrs from Uttarakhand
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