झारखंड चुनाव में झुकने पर मजबूर हुए लालू, 14 की जिद छोड़ 7 पर ही उतारे उम्मीदवार
रांची। लालू यादव की राजनीति का सूरज चमकने के बाद अब ढलने लगा है। वे उम्रदराज हो चुके हैं। सजायाफ्ता होने से पंगु हो गये हैं। अब उनके नाम का भी असर नहीं। झारखंड विधानसभा चुनाव में तेवर दिखाने के बाद लालू यादव को अंत में झुकना पड़ा। झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने लालू को बैकफुट पर खेलने के लिए मजबूर कर दिया। लालू ने सबसे पहले 14 सीटों पर चुनाव लड़ने का एकतरफा एलान कर के झामुमो और कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। यहां तक कि सिम्बल पर उन्होंने दस्तखत भी कर दिये थे। लेकिन जब महागठबंधन के सबसे बड़े दल झामुमो ने उन्हें पिछले चुनाव का आईना दिखाया तो लालू झुकने पर मजबूर हो गये। कड़वा घूंट पी कर लालू केवल सात सीटों पर ही लड़ने के लिए राजी हो गये।
झुके लालू, 14 से 7 पर राजी
झारखंड चुनाव में राजद ने सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। संजय यादव को गोड्डा, संजय सिंह यादव को हुसैनाबाद, देवघर से सुरेश पासवान, चतरा से सत्यानंद भोक्ता, छतरपुर से विजय राम, कोडरमा से सुभाष यादव, बरकट्ठा से खालिद खलील को राजद उम्मीदवार बनाया गया है। इनमें संजय सिंह यादव, संजय प्रसाद यादव और सुरेश पासवान पहले भी राजद के विधायक रहे हैं। सत्यानंद भोक्ता भाजपा से विधायक रहे हैं। अब वे राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसके पहले झारखंड के प्रदेश राजद अध्यक्ष अभय सिंह ने 14 सीटों पर चुनाल लड़ने का एलान किया था। राजद ने हर हाल में इतनी सीटों पर लड़ने की बात कही थी। तेजस्वी यादव ने भी यही बात दोहरायी थी। लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने राजद को इतनी सीटें देने से इंकार कर दिया। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन कुछ दिन पहले लालू यादव से मिलने रिम्स गये थे। उस समय तो उन्होंने मुलाकात का ब्यौरा नहीं दिया था। लेकिन अब ये बात साफ हो गयी है कि वे लालू को हकीकत समझाने के लिए ही रिम्स गये थे।
हेमंत ने लालू को दिखाया आईना
2014 के विधानसभा चुनाव में राजद ने 19 उम्मीदवार खड़े किये थे। इनमें 12 की जमानत जब्त हो गयी थी। लालू का कोई भी कैंडिडेट जीत नहीं पाया था। इस चुनाव में राजद ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। कांग्रेस ने राजद से गठबंधन कर 63 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसके केवल 6 प्रत्याशी ही जीत पाये थे। माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने लालू को बताया कि कांग्रेस के साथ गठबंधन कर उन्होंने अपना हस्र देख लिया है। राजद का झारखंड से सफाया हो गया था। अगर 2019 में जिद कर वे 14 सीटों पर अकेले लड़े तो और फजीहत हो सकती है। लालू ने 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन तोड़ने का नतीजा देख लिया था। इसलिए 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने गठबंधन तोड़ने की हिम्मत नहीं दिखायी। इसके बाद राजद ने कम से कम 10 सीटों के लिए सौदेबाजी शुरू की। लेकिन हेमंत ने साफ कर दिया कि 7 से अधिक सीटें नहीं मिलने वाली हैं। राजद के नेता 7 सीटों पर लड़ने के लिए राजी नहीं थे। विरोध की सुगबुगाहट हुई तो लालू ने केवल 7 सीटों पर ही लड़ने का संदेशा भिजवा दिया। अब राजद का कहना है कि हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के लिए उसने ये कुर्बानी दी है।
तेजस्वी और तेजप्रताप साथ करेंगे प्रचार
राजद की राजनीति में वर्चस्व के लिए लालू यादव के बड़े पुत्र तेजप्रताप और तेजस्वी यादव में अंदर-अंदर जंग चल रही है। लोकसभा चुनाव के समय ये जंग बहुत तेज हो गयी थी। तेजप्रताप की बगवात को कारण राजद जो एक सीट (जहानाबाद) जीत सकता था वह भी हार गया था। लेकिन झारखंड में जमीन तलाश रहा राजद इस बार सतर्क है। झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए जब स्टार प्रचारकों की टीम बनायी गयी तो उसमें तेजस्वी के साथ तेजप्रताप को भी शामिल किया गया। 40 स्टार प्रचारकों की टीम में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और सांसद मीसा भारती के भी नाम हैं।