राजनीति में आएंगी जयललिता की भतीजी दीपा, शशिकला को बताया 'अविश्वासी'
जयललिता के निधन के बाद तमिलनाडु में एआईएडीएमके के मंत्री शशिकला पर पार्टी संभालने का दबाव बना रहे हैं। जिसेे दीपा जयकुमार ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
चेन्नई। तमिलनाडु की सीएम जयललिता के निधन के बाद से उनकी पार्टी की कमान कौन संभालेगा, इस बात को लेकर संशय बरकरार है तो इसी बीच जयललिता की करीबी शशिकला नटराजन को लेकर कुछ बातें मीडिया पर प्रसारित हो रही हैं।
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इन खबरों में कहा जा रहा है कि जयललिता के निधन के बाद तमिलनाडु में एआईएडीएमके के मंत्री शशिकला पर पार्टी संभालने का दबाव बना रहे हैं , जिस तरह से जयललिता के निधन पर शशिकला ने अंतिम संस्कार में सारी रस्में निभाई, उसके बाद से ही लगने लगा था कि अम्मा के जाने के बाद शशिकला ही पार्टी प्रमुख होंगी लेकिन इस कहानी में ट्विस्ट तब आ गया जब जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार ने मीडिया में बयान दिया।
'अम्मा' के जाने के बाद और करीब आएंगे एआईएडीएमके और बीजेपी?
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक दीपा जयकुमार का कहना है कि अगर शशिकला पार्टी प्रमुख बनती हैं तो इससे गलत और कुछ नहीं हो सकता है, यह गलत है कि मेरी बुआ (जयललिता) ने शशिकला या उनके किसी रिश्तेदार को उत्तराधिकारी घोषित किया था। अगर जरूरत पड़ी तो मैं राजनीति में भी आ सकती हूं।
कौन हैं शशिकला, जो अम्मा के साथ साए की तरह रहती थीं?
आपको बता दें कि दीपा जयललिता के बड़े भाई जयकुमार की बेटी हैं। जयकुमार का भी निधन हो चुका है। दीपा ने कहा कि मेरी बुआ ने शशिकला को राजनीति से दूर रखा था तो ऐसे कैसे मान लिया जाए कि वो उनकी उत्तराधिकारी हैं। शशिकला को लेकर गलतफहमी बहुत है।
2011 में शशिकला को पार्टी से निकाल दिया था
जयललिता ने 2011 में शशिकला को पार्टी से निकाल दिया था। उन पर (शशिकला) और उनके परिवार के लोगों पर जयललिता के खिलाफ साजिश करने के आरोप लगे थे। बाद में उन्हें फिर से AIADMK में शामिल कर लिया गया था, लेकिन परिवार के सदस्य के रूप में शामिल नहीं किया गया। हालांकि जयललिता और शशिकला की दोस्ती काफी गहरी थी, दोनों अलग होकर भी अलग नहीं हो पाए।
दीपा ने कहा शशिकला हैं बाहरी
तो वहीं बीमारी लेकर निधन तक जयललिता के किसी भी परिवार वालों को ना तो अस्पताल में देखा गया और ना ही वो सब अंतिम संस्कार में नजर आए। जबकि दीपा का कहना है उन्होंने कोशिश की थी लेकिन पार्टी के सदस्यों ने जयललिता से उन्हें बीमारी के वक्त अपोलो अस्पताल में मिलने नहीं दिया था।