जम्मू कश्मीर पॉलिटिकल ड्रामा: 'हमने सरकार बनाने का सिर्फ मन बनाया था, बीजेपी ने तो विधानसभा ही भंग कर दी'
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर की राजनीति में बुधवार दिन भर बहुत कुछ उठापठक देखने को मिला। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर सबसे पहले तब हलचल मचाई, जब उन्होंने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस से हाथ मिलकर घाटी में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। पहले पीडीपी और फिर नेशनल कांफ्रेंस ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लेटर लिख कर सरकार बनाने की बात कही। पीडीपी और एनसी के सरकार बनाने के दावे के कुछ ही घंटे बाद राज्यपाल ने राज्य की विधनासभा भंग कर कांग्रेस-पीडीपी-एनसी की योजना पर पानी फेर दिया।
जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग होने के बाद सबसे पहली प्रतिक्रिया कांग्रेस की तरफ से आई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने तो सरकार बनाने के सिर्फ मन बनाया था और बीजेपी ने विधानसभा ही भंग कर दिया। मीडिया से बात करते हुए गुलाम नबी ने कहा, 'मैंने दोपहर में भी कहा था कि यह एक राय है और अंतिम निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है। इस पर एक प्रस्ताव बना था और बीजेपी ने तो विधानसभा ही भंग कर दी।'
विधानसभा भंग होने के बाद कांग्रेस के एक और नेता प्रोफेसर सैफुद्दीन सोज ने कहा, 'केंद्र के इशारे पर राज्यपाल ने जो अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक हरकत की है, उसके लिए महबूबा जी को कोर्ट जाना चाहिए। कांग्रेस और एनसी के समर्थन के बाद ही महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को लेटर लिखा और राज्यपाल को सरकार बनाने का मौका देना चाहिए।'
पीडीपी के बागी नेता और विधायक इमरान अंसारी ने कहा कि अगर राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाया है तो हमें अपने मेंबर्स दिखाने होंगे। उन्होंने कहा कि अभी परिस्थिती अलग है और चुनाव ही एकमात्र विकल्प है। अंसारी ने कहा कि अगर महबूबा मुफ्ती को लगता है कि यह अलोकतांत्रिक है, तो एक लोकतांत्रिक मुल्क में उनके पास कई विकल्प मौजूद है।
जम्मू कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष रविंद्र रैना ने राज्यपाल के इस कदम को सही ठहराते हुए कांग्रेस, एनसी और पीडीपी पर घाटी में षड़यंत्र का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके वे जम्मू और लद्दाख के साथ अन्याय करेंगे। रैना ने कहा कि क्या चुनाव से पहले वे (कांग्रेस-पीडीपी-एनसी) सरकार बनाएंगे?
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