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रियाज नाइकू के साथी आतंकी की आखिरी फोन कॉल-रियाज भाई को हमारे ही लोगों ने धोखा दिया, उनसे दूर रहो

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श्रीनगर। आठ सालों से सेना जम्‍मू कश्‍मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी रियाज नाइकू को तलाश रही थी। तीन सालों से उसकी तलाश में जमीन-आसमान एक कर दिया गया और एक साल पहले उसे मोस्‍ट वॉन्‍टेड घोषित कर उसके सिर पर 12 लाख रुपए का इनाम रखा गया। मगर सफलता मिल सकी छह मई 2020 को। रियाज नाइकू मारा गया क्‍योंकि उसके अपने ही लोगों ने उसे धोखा दे दिया था। नाइकू का मारा जाना इस तरफ भी इशारा करता है कि पाकिस्‍तान के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्‍कर-ए-तैयबा के बीच दरार आ गई है। आतंकियों की जो बातचीत एनकाउंटर के दौरान इंटरसेप्‍ट हुई है, उसके बाद तो कुछ ऐसा ही जान पड़ता है।

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एनकाउंटर के बीच ही किया फोन

एनकाउंटर के बीच ही किया फोन

जिस समय पुलवामा के बेगपोरा में एनकाउंटर चल रहा था, उसी समय आतंकियों की बातचीत फोन पर चल रही थी। आतंकी की तरफ से जो कुछ कहा गया है उसमें उसने नई द रेसीस्‍टांस फ्रंट (टीआरफ) को दोषी बताया है। फंसा हुआ एक आतंकी जिससे फोन पर बात कर रहा था, उसे वह वाहिद भाई कहकर बुला रहा था। दोनों ही इस बात को लेकर परेशान थे कि कैसे टीआरएफ की वजह से नाइकू मुसीबत में पड़ गया है। जिस समय यह बात हुई, नाइकू को घेर लिया गया था। जो बात इंटरसेप्‍ट हुई है उसमें यह आतंकी दूसरे आतंकी से कह रहा है, 'हम बेगपोरा, पुलवामा में फंस गए हैं। मैं घायल हूं लेकिन रियाज भाई लड़ रहे हैं। हमारे अपने ही लोग ऐसा कर रहे हैं। यह नई तंजीम (टीआरएफ) इन सबके पीछे है। उनसे दूर रहो, वो हमारा कश्‍मीर बर्बाद कर देंगे।'

रियाज के बारे में थी पूरी इंटेलीजेंस

रियाज के बारे में थी पूरी इंटेलीजेंस

सूत्रों का कहना है कि इस बात से साफ है कि टीआरएफ और हिजबुल अब अलग हो चुके हैं। आतंकी को यह कहते हुए भी सुना गया है कि नए संगठन टीआरएफ ने ही साजिश की और रियाज को सेना ने घेर लिया है। सुरक्षाबलों को नाइकू के मूवमेंट के बारे में पुख्‍ता जानकारियां मिली थी। सेना के पास इंटेलीजेंस थी कि वह बेगपोरा में अपने परिवार से मिलने आने वाला है। अपने परिवार से मिलने के लिए उसने जिस घर में शरण में ली थी, वहां पर उसकी लोकेशन जीरो थी।

हंदवाड़ा आतंकी हमले के पीछे TRF

हंदवाड़ा आतंकी हमले के पीछे TRF

सूत्रों की मानें तो अभी तक यह साफ नहीं है कि जो आवाज थी वह आतंकी उसके साथ ही मारा गया या नहीं लेकिन निश्चित तौर पर वह गंभीर रूप से जख्‍मी है। टीआरएफ कश्‍मीर में पिछले कुछ समय से सक्रिय है। कहा जा रहा है कि यह नया संगठन ही हालिया हमलों में शामिल था। इसी संगठन ने हंदवाड़ा में हमला किया था जिसमें कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज, नायक राजेश, लांस नायक दिनेश और जम्‍मू कश्‍मीर पुलिस के सब-इंसपेक्‍टर काजी शहीद हो गए थे।

घाटी से हिजबुल का सफाया

घाटी से हिजबुल का सफाया

विशेषज्ञों का मानना है कि टीआरएफ लश्‍कर का ही छद्म रणनीति का हिस्‍सा है ताकि इसे एक स्‍थानीय कश्‍मीरी आतंकी संगठन करार दिया जा सके। नाइकू के मारे जाने के साथ ही घाटी से हिजबुल के शीर्ष नेतृत्‍व का सफाया हो चुका है। नाइकू साल 2012 में संगठन में शामिल हुआ था और फिर वह संगठन में अपनी पकड़ा मजबूत करता गया। वह कई आतंकी हमलों के लिए जिम्‍मेदार था और कुछ ही वर्षों में उसने घाटी के कई युवाओं को संगठन में जगह दिलाई थी। ऐसे में उसका ढेर होना सेना और सुरक्षाबलों के बड़ी कामयाबी है।

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English summary
Jammu Kashmir: Hizbul terrorist Riyaz Naikoo killed, know how it all happened in Pulwama.
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