जम्मू-कश्मीर: 'कोरोना से जान बचाएं या सीमा पार से आ रहे गोलों से'
जब रविवार को पूरी दुनिया कोरना वायरस से होने वाली मौतों और नए मामलों को गिनने में व्यस्त थी उस दिन जम्मू-कश्मीर में भारत और पाकिस्तान सीमा पर दोनों देश के सैनिकों के बीच फायरिंग चल रही थी. इस फायरिंग में तीन लोगों की मौत हुई और कुछ घायल भी हुए. बहुत सारे लोग डरे हुए हैं. ज़ाहिर है सीमावर्ती इलाक़ों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें काफ़ी बढ़ गई हैं.
जब रविवार को पूरी दुनिया कोरना वायरस से होने वाली मौतों और नए मामलों को गिनने में व्यस्त थी उस दिन जम्मू-कश्मीर में भारत और पाकिस्तान सीमा पर दोनों देश के सैनिकों के बीच फायरिंग चल रही थी.
इस फायरिंग में तीन लोगों की मौत हुई और कुछ घायल भी हुए. बहुत सारे लोग डरे हुए हैं. ज़ाहिर है सीमावर्ती इलाक़ों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें काफ़ी बढ़ गई हैं.
12 अप्रैल, 2020 को इस गोलीबारी में जिन तीन आम लोगों की मौत हुई है, उनमें एक आठ साल का बच्चा भी शामिल है. पाकिस्तान की सीमा से हुई गोलीबारी में कश्मीर के सीमावर्ती ज़िले कुपवाड़ा में कई लोग घायल भी हुए हैं.
रविवार की घटना के बाद कुपवाड़ा में मातम पसरा हुआ है. कुछ वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं जिनमें पाकिस्तानी गोलों के चलते लगी आग से गांव वाले बचने की कोशिश करते दिख रहे हैं.
चौकीबल के अपने गाँव से फ़ोन पर बात करते हुए सरपंच हैदर खान ने बीबीसी से कहा कि वे समझ नहीं पा रहे हैं कि वे कोरोना वायरस से बचें कि गोलों से बचें?
उन्होंने कहा, "रविवार को जब घटना हुई तब गांव से कई लोग जान बचाकर भागे हैं. मैं उन लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे अगर अपने निकट संबंधियों के घर गए हैं तो वहां भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. ऐसे समय में हमारे पड़ोसी मुल्क को कुछ तो पड़ोसी होने का सम्मान रखना चाहिए."
हैदर ख़ान कहते हैं, 'भारत और पाकिस्तान, दोनों कह रहे हैं कि वे कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं लेकिन मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि दोनों देश पहले इस गोलाबारी से निपटें. सीमावर्ती इलाकों में जो हो रहा है वह अमानवीय है.'
जान बचाने का संकट
कुपवाड़ा के एक स्थानीय ताहिर अहमद ने बताया कि इलाके में तनावपूर्ण स्थिति है.
जम्मू क्षेत्र के बालाकोट और दूसरे सेक्टरों में सीमापार की गोलाबारी के चलते लोगों की ज़िंदगी नर्क बन चुकी है. पुंछ ज़िले के बालाकोट गाँव के ग्राम प्रधान अयाज अहमद का कहना है कि तनाव के चलते लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर पा रहे हैं.
उन्होंने कहा, "लोगों का ज़ोर सोशल डिस्टेंसिंग पर है, लेकिन यह कैसे होगा जब लोग डर कर तनाव में किसी सुरक्षित जगह की तलाश में होंगे."
अयाज अहमद ने यह भी कहा, "जब भी गोलीबारी होती है, हम दूसरी जगहों की ओर भागते हैं. कोरोना वायरस के सकंट के चलते जीवन बचाने की चुनौती के बीच इस चुनौती की कल्पना नहीं की जा सकती. हमारे पास सड़क और परिवहन की सुविधाएं नहीं है. दो दिन पहले हमारे गांव की एक महिला गोलीबारी में घायल हो गईं. उन्हें बचाने के लिए हमें संघर्ष करना पड़ा. एक और बात है जब गोलीबारी में कोई घायल होता है या किसी की मौत होती है, किसी के रोने की आवाज़ आती है तो आप खुद को घरों में कैद कैसे रख सकते हैं?"
अनुमान है कि रविवार की रात पाकिस्तानी सैनिकों ने रिहाइश वाले इलाकों में कम से कम तीन सौ गोलियां चलाई होंगी. अयाज अहमद बताते हैं कि वे लोग सारी रात सो नहीं सके और उन्हें लगता रहा कि ये कयामत की रात साबित होगी.
बालाकोट के सरपंच माजिद खटाना बताते हैं कि इलाके की आबादी के हिसाब से उनके पास पर्याप्त बंकर मौजूद नहीं हैं.
माजिद खटाना ने बताया, "जब भी गोलीबारी होती है, हमें कहीं छुपना होता है. बंकरों में छुपना सबसे बेहतर होता है. लेकिन हमारे गांव में दस ही बंकर हैं और आबादी 1200 है. एक बंकर में 20 लोग जा सकते हैं. लेकिन अगर बंकरों में 20 लोग गए तो सोशल डिस्टेंसिंग कैसे होगी?"
माजिद आगे बताते हैं, "हम अपने पड़ोसी देश से कुछ दया दिखाने को कह सकते हैं. हमारा पड़ोसी मुल्क जो कर रहा है वो निंदनीय है. मैं पड़ोसी मुल्क से कहना चाहता हूं कि हमें कोरोना वायरस से लड़ना चाहिए."
खटाना नियंत्रण रेखा एलओसी से दो किलोमीटर दूर रहते हैं. इस इलाके में लोग आजीविका के लिए खेती, पशुपालन और दिहाड़ी मजदूरी करते हैं.
पूंछ के बालाकोट में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बीबीसी को फोन पर बताया कि पिछले कुछ दिनों की गोलीबारी की घटना से लोगों में डर है. उन्होंने यह भी बताया कि लोगों को लग रहा है कि कोरोना से वे शायद मरें लेकिन गोलीबारी से तो निश्चित तौर पर मर जाएंगे.
लोगों में डर का माहौल
पुलिस अधिकारी ने यह भी बताया कि जब भी ऐसी घटना होती है सेना के जवान लोगों तक पहुंच कर जगह खाली कराते हैं.
2003 में भारत और पाकिस्तान ने एलओसी के क्षेत्र में युद्धविराम के लिए सहमत होकर एक समझौता भी किया था.
एलओसी वह नियंत्रण रेखा है जि कश्मीर घाटी को दोनों देशों के बीच बांटती है. भारतीय सेना के मुताबिक पाकिस्तान इस साल अब तक युद्धविराम समझौते का 650 बार उल्लंघन कर चुका है.
इस महीने सीमा पर संघर्ष की शुरुआत 5 अप्रैल से हुआ जब एलओसी के केरन सेक्टर में भारतीय सेना और चरमपंथियों के बीच संघर्ष देखने को मिला था. भारतीय सेना के दावे के मुताबिक उन्होंने घुसपैठ की कोशिश में पांच चरमपंथियों को मार गिराया था.
इस मुठभेड़ में जूनियर कमीशंड अधिकारी सहित पांच भारतीय जवानों की मौत भी हो गई थी. एलओसी के इलाके में रह रहे लोगों को हर पल सेना की सख्त निगरानी में रहना होता है.
श्रीनगर स्थित भारतीय सेना के प्रवक्ता राजेश कालिया ने कहा कि केरन सेक्टर में पाकिस्तानी सेना ने बिना किसी उकसावे के फायरिंग शुरू की जिसमें तीन नागरिक मारे गए.
हालांकि पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि भारतीय सेना ने रविवार की देर रात युद्धविराम समझौते का उल्लंघन किया है और चिरिकोट और शाकारगाह सेक्टर के रिहाइशी इलाकों की आबादी को निशाना बनाया.
जब भी सीमा पार गोलीबारी होती है, दोनों देश एक दूसरे पर युद्धविराम उल्लंघन का आरोप लगाते हैं.
वहीं जम्मू कश्मीर बीजेपी के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कुपवाड़ा में गोलीबारी के लिए पाकिस्तान की आलोचना की है.