शरद पवार की पॉलटिक्स समझना नामुमकिन, ऐसे ही नहीं पीएम मोदी ने उन्हें कहा अपना गुरु
बेंगलुरु। महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर शरद पवार किंगमेकर बन पाते हैं या नहीं ये तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन ये तो मानना ही पड़ेगा कि सरकार बने न बने चर्चा के केंद्र में शरद पवार तो बने ही हुए हैं । एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी शरद पवार की पार्टी एनसीपी की तारीफ करते हैं और दूसरी तरफ संजय राउत कहते हैं कि शरद पवार को समझने के लिए 100 बार जन्म लेना पड़ेगा। असल में राउत जो कह रहे हैं वह सत्य भी कि क्योंकि शरद पवार जो महाराष्ट्र में जो कर रहे हैं उसने सभी को घुमा कर रख दिया है। इसीलिए कहा जाता है पवार पॉलटिक्स समझना नामुमकिन हैं।
शरद पवार के दावपेंच नहीं समझ पा रही शिवसेना
बता दें महाराष्ट्र चुनाव परिणाम आए पूरा एक महीना होने वाला है किसी भी गठबंधन की सरकार नहीं बन पायी जिस कारण वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर अबतक तस्वीर साफ नहीं हुई है। भाजपा से छिटकी शिवसेना का कांग्रेस और एनसीपी के साथ अबतक तालमेल नहीं बैठ पाया है। वहीं दूसरी ओर एनडीए के कुछे नेताओं को शिवसेना के वापस लौट आने की उम्मीद है।
सरकार बनाने की कोशिश में शिवसेना बुरी तरह फंस चुकी है। शिवसेना खुद भी शरद पवार के दावपेंच को नहीं समझ पा रही है। शिवसेना नेतृत्व को पता भी नहीं चलता और शरद पवार आग लगाकर दूर से तमाशा देखते रहते हैं। महत्वपूर्ण बात ये भी है कि शरद पवार ने अबतक सरकार गठन पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पवार ने अपने बयान में साफ कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन पर भाजपा और शिवसेना को फैसला करना है।
मोदी ने कहा था राजनीति शरद पवार ने सिखाई
शरद पवार का ये पावर ही है जिन्हें खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार माना था कि उन्हें राजनीति शरद पवार ने अंगुली पकड़ कर सिखाई। बात 2014 की है जब शरद पवार के जन्मस्थान बारामती में चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीपी सुप्रीमो की तारीफ के पुल बांधने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। वह यहां तक कह गए कि देश को शरद पवार के राजनीतिक अनुभव की जरूरत है।
यही नहीं, कृषि विज्ञान केंद्र के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने शरद पवार के घर पर भोजन भी किया था। इसके एक साल बाद 2016 में पुणे में शरद पवार के वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में शरद पवार को अपना राजनीतिक गुरु और मार्गदर्शक करार दिया। वहां नरेंद्र मोदी ने यह कहने से भी गुरेज नहीं किया था कि गुजरात के दिनों ने शरद पवार ने उनका हाथ पकड़ कर राजनीति सिखाई थी।
शरद पवार ने मोदी के लिए कही थी ये बात
इस कदर प्रगाढ़ संबंधों में कड़वाहट आनी अप्रैल 2019 में शुरू हुई। लोकसभा चुनाव में शरद पवार ने कहा कि उन्हें नरेंद्र मोदी से डर लगता है। उनका कहना था कि नरेंद्र मोदी भले ही कहते रहे हों कि उन्होंने मेरी अंगुली पकड़ कर राजनीति सीखी हो, लेकिन अब मुझे बहुत डर लगता है। वजह यह है कि यह आदमी कब क्या कर बैठेगा यह कोई नहीं जानता है। इसके साथ ही शरद पवार ने यह भी कटाक्ष किया था कि अब वे किसी और को अंगुली नहीं पकड़ाएंगे, क्योंकि वह नहीं चाहते कि एक और मोदी हो।
मोदी ने संसद में की एनसीपी की तारीफ
राजनीति
में
न
तो
कोई
स्थायी
मित्र
होता
है
और
ना
ही
कोई
स्थायी
दुश्मन।
2017
तक
एक-दूसरे
के
शान
में
कसीदे
पढ़ने
वाले
भारतीय
राजनीति
के
दो
दिग्गज
आज
एक-दूसरे
के
राजनीतिक
दुश्मन
हैं
लेकिन
संसद
के
शीतकालीन
सत्र
के
पहले
दिन
सोमवार
को
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
राष्ट्रवादी
कांग्रेस
पार्टी
(एनसीपी)
की
जमकर
तारीफ
की।
संसद
में
पीएम
मोदी
ने
बीजू
जनता
दल
के
साथ
ही
एनसीपी
की
तारीफ
करते
हुए
कहा
कि
जनता
का
दिल
जीतना
इन
दोनों
पार्टियों
से
सीखना
चाहिए।
पीएम
मोदी
ने
कहा
कि
एनसीपी
और
बीजद
दो
दल
ऐसे
हैं
जिन्होंने
खुद
में
यह
अनुशासन
तय
किया
है
कि
विरोध
में
वेल
में
नहीं
जाएंगे।
ऐसा
करने
से
न
तो
हमारी
राजनीति
में
कमी
आई
और
न
ही
एनसीपी
की।
पीएम
ने
कहा
कि
तमाम
पार्टियों
जिसमें
भाजपा
भी
शामिल
है,
बीजद
और
एनसीपी
से
सीखना
चाहिए
कि
वेल
में
न
जाकर
भी
जनता
का
दिल
जीता
जा
सकता
है।
पीएम
मोदी
ने
कहा
कि
इन
दोनों
पार्टियों
के
सांसद
हाउस
के
वेल
में
नहीं
जाते
हैं,
यह
उनका
अनुशासन
है।
वह
अपनी
बात
को
बहुत
प्रभावी
ढंग
से
रखते
हैं।
वेल
में
न
जाने
के
बावजूद
उनका
राजनीतिक
विकास
बढ़ा
है।
शरद पवार की पीएम के साथ मुलाकात के बाद लगाए जा रहे ये कयास
पीएम मोदी द्वारा एनसीपी की तारीफ के बाद नए कयास लगने लगे थे। वहीं बुधवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने जिस तरह से करीब 50 मिनट तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है, उससे पहले से ही जारी महाराष्ट्र में सत्ता को लेकर गतिरोध में कयासों का एक नया दौर शुरू हो गया है। हालांकि, पवार ने कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री से मिलकर सिर्फ उन्हें महाराष्ट्र में परेशानी में पड़े किसानों की मदद मांगी है। इसके अलावा उन्होंने पीएम को एक सुगर कांफ्रेंस में आने का बुलावा दिया है, ढाई महीने बाद होना है। ऐसे में चर्चा यही हो रही है कि क्या सिर्फ ये दोनों बात प्रधानमंत्री तक पहुंचाने में एनसीपी चीफ को 50 मिनट लग गए या इसमें कुछ आगे की भी बात हुई, जिससे महाराष्ट्र में सत्ता का कोई नया द्वार खुल सकता है?
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