क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर नहीं बल्कि फारूकी केस पर फैसला करेंगे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा

Google Oneindia News

नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं। अपने कार्यकाल के अंतिम हफ्ते में वो कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले सुना सकते हैं। लेकिन जिस मामले पर सबकी नजर टिकी हुई है वो है अयोध्या में राम मंदिर का मामला। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (28 सितंबर) को अपना फैसला दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट की एडवांस लिस्ट के मुताबिक 28 सितंबर को फैसला सूचीबद्ध है। लेकिन यहां पर एक खास बात ध्यान रखने वाली है कि ये फैसला राम मंदिर के निर्माण करने या ना करने को लेकर नहीं आ रहा है। लेकिन हां इस फैसले का उस मामले पर असर जरूर पड़ेगा। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इस बात को तय करेगा कि अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में 1994 के इस्माइल फारूकी केस के फैसले को पुनर्विचार के लिए संविधान पीठ के भेजा जाए या नहीं। दरअसल मुस्लिम पक्षों ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का जरूरी हिस्सा न बताने वाले इस्माइल फारुकी फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है।

CJI
क्या है इस्माइल फारूकी केस
सुप्रीम कोर्ट के सामने अयोध्या विशेष क्षेत्र अधिग्रहण एक्ट 1993 की संवैधानिकता का मामला था। इसी मामले में सुनवाई को दौरान ये सवाल उठा कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं। सुनवाई के बाद 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है, इसके साथ ही राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या 1994 वाले फैसले की समीक्षा की ज़रूरत है या नहीं। मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि इस फैसले पर दोबारा परीक्षण किए जाने की जरूरत है। यही वजह है कि अब सुप्रीम कोर्ट इस बात पर फैसला करेगा कि 1994 के फैसले को दोबारा देखने के लिए संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाना चाहिए या नहीं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने 20 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

राजीव धवन की दलील

राजीव धवन की दलील

मामले की सुनवाई के दौरान एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने इस्माइल फारूकी केस के अंश को पुनर्विचार के लिए संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि मस्ज़िद भले ही गिरा दी गयी है लेकिन वहां इबादत का अधिकार बरकरार है। धवन ने कहा था कि जिन्होंने मस्जिद गिराई उन्हें इस पर अधिकार का दावा करने से रोक देना चाहिए। राजीव धवन ने कहा था कि यूपी सरकार या केंद्र किसी पक्ष के समर्थन में दलील नहीं रख सकते क्योंकि दोनों अपने वैधानिक दायित्व से बंधे हैं।

सीएम योगी बोले- हिंदू होने का अर्थ मंदिर जाना, पूजा करना और टीका लगाना नहीं सीएम योगी बोले- हिंदू होने का अर्थ मंदिर जाना, पूजा करना और टीका लगाना नहीं

शिया वक्फ बोर्ड का दावा

शिया वक्फ बोर्ड का दावा

शिया वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा था कि अयोध्या की मस्जिद सुन्नी वक़्फ नहीं है बल्कि शिया वक़्फ बोर्ड की संपत्ति है और शिया वक्फ बोर्ड शांति और भाईचारे को ध्यान में रखते हुए अपना एक तिहाई हिस्सा मंदिर के लिए हिन्दुओं को देने पर राजी है। इस पर राजीव धवन ने कहा था कि शिया वक्फ बोर्ड उस चीज को देने की बात कर रहा है जिस पर उसका हक ही नहीं है। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से एएसजी तुषार मेहता ने कहा था कि ये अपीलें आठ साल से लंबित हैं और फारूकी केस 1994 का है लेकिन मुस्लिम पक्ष ने आज तक कभी इस पर आपत्ति नहीं की लेकिन अब जब मामले की अंतिम सुनवाई शुरू हुई है तो देरी करने के लिए अचानक फारूकी केस को उठाया गया है। यूपी सरकार ने इस मुद्दे को खारिज करने की मांग की थी।

टाइटल सूट पर अभी फैसला नहीं

टाइटल सूट पर अभी फैसला नहीं

सुप्रीम कोर्ट अभी इस्माइल फारूकी केस पर अपना फैसला देगा इसके बाद ही राम जन्मभूमि के टाइटल सूट की बात होगी। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया था। अपने आदेश में बेंच ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटा था। हाईकोर्ट ने इसमें से एक हिस्सा रामलला के लिए, दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा मुसलमानों को देने के लिए कहा था। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को किसी भी पक्ष ने नहीं माना और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।

ये भी पढ़ें:- क्या टूट रही है बीजेपी की सबसे मजबूत कड़ी? लोगों का सामना करने से क्यों डर रहे हैं कार्यकर्ता?

Comments
English summary
Is a Mosque essential for Islam and Namaz, Supreme court likely to deliver order this week
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X