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इंसास राइफल जो होने वाली है इंडियन आर्मी से रिटायर उसकी खास बातें

20 वर्षों तक सेवा में रहने के बाद देसी इंसास राइफल अब अलविदा कहेंगी। वर्ष 1988 में बनी थीं इंडियन आर्मी का हिस्‍सा और कारगिल की जंग में था बड़ा योगदान।

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नई दिल्‍ली। करीब 20 वर्षों तक सर्विस में रहने के बाद देश में निर्मित इंसास राइफल्‍स अब रिटायर हो रही हैं। अब इन राइफल्‍स की जगह विदेशी असॉल्‍ट राइफल लेंगी और इन असॉल्‍ट राइफल्‍स को एक वर्ष बाद देश में ही बनाया जाने
लगेगा।

वर्ष 1988 में बनी सेना का हिस्‍सा

इंसास यानी इंडियन स्‍माल आर्म्‍स सिस्‍टम को इंडियन आर्मी में वर्ष 1988 में शामिल किया गया था। सूत्रों के मुताबिक अब इन राइफल्‍स की जगह खतरनाक असॉल्‍ट राइफल 7.62x51 लेंगी। सूत्रों की ओर से जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक करीब 18 वेंडर्स जिसमें कुछ भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं, उन्‍होंने विदेशी कंपनियों के साथ टाई-अप किया है, उन्‍होंने इस राइफल्‍ को की जगह लेने के लिए मंजूरी भेजी गई है। इंडियन आर्मी के पास करीब दो लाख इंसास राइफल हैं जिनका प्रयोग बॉर्डर और कांउटर इंसर्जेंसी ऑपरेशंस में किया जाता है। नई असॉल्‍ट राइफल सिर्फ 500 मीटर क प्रभावी रेंज से दुश्‍मन को मार सकती हैं। एक नजर डालिए इंसास से जुड़ी खास बातों पर।

क्‍यों हटाई जा रही है सर्विस

क्‍यों हटाई जा रही है सर्विस

विशेषज्ञों के मुताबिक इसे इसलिए सर्विस से हटाया जा रहा है क्‍योंकि से लॉन्‍ग रेंज में प्रभावशाली नहीं हैं लेकिन यह राइफल दुश्‍मन को अपाहिज तक बना सकती हैं। फिलहाल इंडियन आर्मी के पास करीब दो लाख इंसास राइफल्‍स हैं।

 पाकिस्‍तानी सेना के पास आ चुकी है 7.62x51

पाकिस्‍तानी सेना के पास आ चुकी है 7.62x51

जो असॉल्‍ट राइफल 7.62x51 इंसास की जगह लेगी उसे पाकिस्‍तानी सेना में पहले ही शामिल किया जा चुका है। पाक आर्मी ने इन राइफल्‍स को हेकलर एंड कोच से खरीदा है जो छोटे हथियारों को बनाने वाली जर्मनी की अग्रणी कंपनी है। इन राइफल को खरीदने का प्रस्‍ताव प्री-एक्‍सेप्‍टेंस ऑफ नेसेसिटी यानी एओएन चरण में था और उम्‍मीद है कि वर्ष के अंत में इसके पूरा होने की उम्‍मीद है।

नॉर्थ ईस्‍ट में सेना के हाथों होगी नई राइफल

नॉर्थ ईस्‍ट में सेना के हाथों होगी नई राइफल

सूत्रों के मुताबिक फिलहाल जोर इस बात पर दिया जा रहा है कि सेना की नॉर्थ ईस्ट में तैनात स्‍पेशल फोर्सेज को इस नए हथियार से लैस किया जाए। यह प्रस्‍ताव जल्‍द ही रक्षा खरीद समिति यानी डीएसी के सामने लाया जाएगा।

पहले स्‍पेशल फोर्सेज परखेगी ताकत

पहले स्‍पेशल फोर्सेज परखेगी ताकत

स्‍पेशल फोर्सेज क्‍लोज कॉम्‍बेट की स्थिति में नए हथियार की ताकत को परखेंगी और इसके बाद असॉल्ट राइफल्‍स की खरीद और फिर इन्‍हें इंसास की जगह लाने पर ध्‍यान केंद्रित किया जाएगा। विदेशी वेंडर्स को ट्रांसफर ऑफ टेक्‍नोलॉजी (टीओटी) में हिस्‍सा लेना होगा क्‍योंकि देश में इन असॉल्‍ट राइफल्‍स के रखरखान में आगे कोई दिक्‍कत न आए।

कहां होती हैं तैयार

कहां होती हैं तैयार

इंसास को सेना में लाने के लिए 80 के शुरुआती दौर में विचार-विमर्श शुरू हुआ था और इसके बाद पश्चिम बंगाल की इच्‍छापुर ऑर्डिनेंस फैक्‍ट्री में इसका प्रोडक्‍शन शुरू हुआ। वर्ष 1993 में इस राइफल का डिजाइन बदला गया और वर्ष 1996 में इसे इंडियन आर्मी में नए डिजाइन क‍े साथ शामिल किया गया।

 कारगिल वॉर में आई एक्‍शन में

कारगिल वॉर में आई एक्‍शन में

वर्ष 1999 में जब कारगिल की जंग हुई तो इन राइफल्‍स को पहली बार बड़े तौर पर एक्‍शन में प्रयोग किया गया। हिमालय की ऊंची पहाड़‍ियों पर जब इनका प्रयोग हुआ तो कई तरह की शिकायतें भी आईं और इन शिकायतों में सबसे अहम था राइफल्‍स का अटक जाना। ठंड की वजह मैगजीन क्रैक हो जा रहर थी और तीन राउंड फायर में जब इनको सेट किया जाता तो राइफल ऑटोमैटिक मोड में चली जाती।

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English summary
Indigenously manufactured INSAS rifles are retiring from Indian Army and an imported assault rifle will be replaced INSAS.
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