भारतीय रेलवे ने कबाड़ बेचकर कमाए 35 हजार करोड़ रुपये, ऐसे हुआ खुलासा
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नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने कबाड़ बेचकर 35000 करोड़ रुपये की कमाई की है। कमाई का ये आंकड़ा पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के वार्षिक बजट से भी अधिक है। रेलवे की छवि घाटे वाले संस्थान के तौर पर है। रेलवे ने 10 सालों में कोच, वैगन्स, रेल पटरियों सहित अन्य कबाड़ है। ये खुलासा सूचना के अधिकार(आरटीआई) के जरिए हुआ है।
रेलवे ने कबाड़ से कमाए 35 हजार करोड़
सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र सिंह सुराणा ने आरटीआई के जरिए ये आंकड़ा हासिल किया। इन आंकड़ों से पता चलता है कि ये राशि सिक्किम, मिजोरम और मणिपुर के बजट से अधिक है। गौरतलब है कि सिक्किम का वार्षिक बजट 7,000 करोड़, मणिपुर का वार्षिक बजट 13,000 करोड़ और मिजोरम के वार्षक बजट 9,000 करोड़ से अधिक है। साल 2018-19 के लिए तीन वित्तीय राज्यों का बजट इतना है।
आरटीआई से खुलासा
मध्यप्रदेश के मालवा-निमार क्षेत्र के रहने वाले सुराना ने इस आंकड़े के बारे में रेलवे से जानकारी हासिल की। इंडियन रेलवे ने बताया कि उसने साल 2011-12 में कबाड़ बेचकर अधिकतम 4,409 करोड़ रुपये कमाए। वहीं साल 2016-17 में उसने कबाड़ बेचकर सबसे कम 2,718 करोड़ रुपये कमाए। इसनें रेल पटरियों का कबाड़ बेचने से अधिकतम कमाई हुई। रेल पटरियों के कबाड़ बेचने से रेलवे ने 11,938 करोड़ रुपये की आमदनी की।
किन चीजों को बेचने से कितनी कमाई?
इंडियन रेलवे के द्वारा उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2009-10 से 2013-14 के बीच 5 साल की तुलना में 2014-15 से 2018-19 के बीच रेल पटरी का कबाड़ कम निकला है। इससे ऐसा लगता है कि अंतिम 5 साल में रेल पटरियों में कम बदलाव हुआ है। अगर रेल पटरी बदलती तो उसी अनुपात में पुरानी पटरी का कबाड़ कम निकलता है।
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