ड्रैगन को सीधी चुनौती ? भारतीय नौसेना का मिशन साउथ चाइना सी, दो महीने तक तैनात रहेंगे 4 जंगी जहाज
नई दिल्ली, 3 अगस्त: भारत के ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी और मित्र देशों के बीच सैन्य सहयोग बढ़ाने के मकसद से भारतीय नौसेना का एक टास्क फोर्स ओवरसीज तैनाती के लिए तैयार है। इंडियन नेवी की ईस्टर्न फ्लीट से यह तैनाती इसी महीने के शुरू में ही दो महीनों से भी ज्यादा वक्त के लिए होगी। जिन इलाकों में यह तैनाती होनी है, उसमें दक्षिण पूर्वी एशिया, दक्षिण चीन सागर और पश्चिमी पेसिफिक के इलाके शामिल हैं। गौरतलब है कि इन दिनों दक्षिण चीन सागर में सैन्य गतिविधियां बहुत ही ज्यादा बढ़ी हुई हैं। खुद चीन ने भी वहां युद्धाभ्यास किया है। यह वो इलाका जिसपर चीन अपना एकाधिकार जताता है और उसने वहां बहुत ही घातक मिसाइलें भी तैनात कर रखी हैं और कृत्रिम द्वीप बनाकर हवाई जहाज के लिए रनवे भी तैयार कर लिया है।
दो महीने तक तैनात रहेंगे 4 जंगी जहाज
भारतीय नौसेना के जंगी जहाजों की तैनाती समुद्री इलाके में अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ-साथ भारत और इंडो पैसिफिक देशों के बीच मौजूदा संबंधों को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके जरिए समंदर में मित्र राष्ट्रों के बीच ऑपरेशनल पहुंच बनाने, उनमें शांतिपूर्ण मौजूदगी का अहसास दिलाने और एकजुटता प्रदर्शित करना है। जाहिर है कि इस मिशन के लिए जो इलाके चुने गए हैं, वह चीन की आंखों में खटकने वाले क्षेत्र हैं। क्योंकि, कम से कम दक्षिण चीन सागर में तो वह अपना लगभग एकाधिकार ही समझता है। इसके अलावा दक्षिण पूर्वी एशिया में भी वह धौंस दिखाने से बाज नहीं आता और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भी दखल बढ़ाना चाहता है।
चार में से तीन जंगी जहाज भारत में बने हैं
इंडियन नेवल टास्क फोर्स के तहत नौसेना के ईस्टर्न फ्लीट से जिन चार जंगी जहाजों की तैनाती होने जा रही है वे हैं- गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर रणविजय, गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट शिवालिक, एंटी-सबमरीन कॉर्वेट कदमत और गाइडेड मिसाइल कॉर्वेट कोरा। इनमें से पहले युद्धपोत को छोड़कर बाकी तीनों स्वदेशी डिजाइन वाले जहाज हैं और विभिन्न तरह के हथियारों और सेंसर से लैस हैं। ये तीनों ही जहाज भारत के डिफेंस शिपयार्ड में बने हैं।
भारतीय नौसेना का मिशन साउथ चाइना सी
इंडो पैसिफिक में तैनाती के दौरान ये युद्धपोत वियतनाम (पीपुल्स नेवी), फिलीपींस, सिंगापुर, इंडोनेशिया (समुद्र शक्ति) और ऑस्ट्रेलिया (रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी) की नौसेनाओं के साथ दोतरफा युद्धाभ्यास में हिस्सा लेंगे। गौरतलब है कि ये सारे देश साउथ चाइना सी के तटवर्ती इलाकों के देश हैं। इसके अलावा ये जहाज जापानी मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स, रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी और अमेरिकी नेवी के साथ पश्चिमी प्रशांत में बहुपक्षीय युद्धाभ्यास मालाबार-21 में भी हिस्सा लेंगे। ड्रैगन इन युद्धाभ्यासों पर हमेशा से नजर रखता आया है।
आपसी समुद्री हितों के प्रति भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता- रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 'इस तरह का समुद्री पहल आपसी समुद्री हितों और समुद्र में नौवहन की स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर भारतीय नौसेना और मित्र देशों के बीच तालमेल और समन्वय को बढ़ाती हैं।' यही नहीं रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारतीय नौसेना इलाके में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के प्रधानमंत्री की पहल 'सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल रीजन-सागर' के तहत मित्र देशों के साथ-साथ हिंद और प्रशांत महासागर में नियमित तैनाती करती है। यही नहीं इससे 'दोस्ती के पुल' बनते हैं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग मजबूत होता है।
साउथ चाइना सी में बढ़ गई है सैन्य हलचल
बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में साउथ चाइना सी विभिन्न नौसेनाओं के लिए बड़ा केंद्र बना हुआ है। पिछले हफ्ते ब्रिटेन का एयरक्राफ्ट कैरियर यहां के 13 लाख वर्ग मील के समुद्री इलाके को चीरता हुआ निकला था, तो अमेरिकी सरफेस ऐक्शन ग्रुप और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने भी इसमें युद्धाभ्यास किया था। गौरतलब है कि इस पूरे इलाके पर चीन अपना दावा जताता है। उसने यहां-कृत्रिम द्वीप बनाकर खतरनाक मिसाइलों और हथियारों की तैनाती भी कर रखी है और लड़ाकू विमानों के लिए रनवे भी बना रखे हैं। (पहली और दूसरी तस्वीर सौजन्य- रक्षा मंत्रालय, बाकी फाइल)