भारतीय सेना में सबसे बड़ा बदलाव, अमेरिका-चीन की तर्ज पर 5 थियेटर कमांड में होगा पुर्नगठन
नई दिल्ली। आधुनिक युद्ध शैली की जरूरतों को देखते हुए भारतीय सेना में सबसे बड़ा बदलाव किया जाने वाला है। इसकी योजना का खाका तैयार हो चुका है। इसके तहत भारतीय सेना का 5 थियेटर कमांड में पुनर्गठन किया जाएगा। इनमें एक-एक कमान खास तौर पर चीन और पाकिस्तान के लिए बने होंगे। अब तक केवल अमेरिका और चीन में सेना का इस तरह थियेटर कमांड में गठन किया गया है।
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सैन्य बोलचाल की भाषा में थलसेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त कमांड को थियेटर कमांड कहा जाता है। देश में कई मोर्चों पर संभावित खतरे को देखते हुए भारतीय सेना में एकीकृत कमांड की जरूरत लंबे समय से बताई जा रही थी। इसके लिए पहला कदम मोदी सरकार के समय में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के गठन के रूप में उठाया था। मौजूदा चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत को मोदी सरकार ने भारतीय सेना को थियेटर कमांड के रूप में वर्गीकृत करने की कमान सौंपी है।
तीनों सेनाओं को एकीकृत थियेटर कमांड के अंदर पुनगर्ठित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कैबिनेट से संस्तुति मिलने के बाद जल्द ही रक्षा मामलों के विभाग के पास अतिरिक्त और संयुक्त सचिवों की नियुक्ति भी कर दी जाएगी। 2022 तक थियेटर कमांड के गठन की संभावना जताई जा रही है।
ये
हैं
पांच
कमांड
ये
पांच
कमांड
उत्तरी
कमांड,
पश्चिमी
कमांड,
प्रायद्वीपीय
कमांड,
वायुरक्षा
कमांड
और
पांचवां
नौसेना
कमांड
होंगे।
रणनीतिक
दृष्टिकोण
को
ध्यान
में
रखते
हुए
उत्तरी
कमांड
चीन
से
लगी
सीमा
की
रक्षा
करेगी।
लद्दाख
में
कराकोरम
दर्रे
से
शुरू
होगी
और
अरुणाचल
प्रदेश
की
किबिथू
पोस्ट
तक
चीन
से
लगी
3,488
किमी
लंबी
सीमा
की
जिम्मेदारी
इस
थियेटर
कमांड
के
जिम्मे
होगी।
इसका
संभावित
मुख्यालय
लखनऊ
में
होगा।
पश्चिमी कमांड सियाचिन ग्लेशियर की सल्तारो रिज के इंदिरा कॉल से लेकर गुजरात के अंतिम छोर तक होगी। इसका मुख्यालय जयपुर बनाया जा सकता है। वहीं तीसरी कमांड प्रायद्वीपीय कमांड होगी जिसका मुख्यालय दक्षिणी राज्य केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में बनाये जाने की योजना है।
अब आती है बारी वायुरक्षा कमांड की जो न केवल देश के सभी हवाई हमलों का नेतृत्व करेगी बल्कि देश की आकाशीय सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इस पर होगी। इसके नियंत्रण में सभी विमान रोधी मिसाइलों के साथ ही मल्टी रोल फाइटर जेट होंगे। वर्तमान समय में भारतीय सेना, वायु सेना, नौसेना अलग-अलग तरीके से बिना तालमेल के हवाई क्षेत्र की रक्षा करते हैं। जिसके चलते देश पर दोहरा भार पड़ता है साथ ही बिना तालमेल के मारक क्षमता पर भी असर पड़ता है। सूत्रों के मुताबिक भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर एयरोस्पेस के रूप में अलग एकीकृत कमांड बनाई जा सकती है।
भारत के पास केवल एक समुद्री कमांड होगी। इसका मुख्यालय आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती को बनाया जा सकता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की कमान को इसी के तहत मिलाने की योजना है। समुद्री कमांड का काम हिंद महासागर और भारत के द्वीपों की रक्षा करना होग। साथ ही समुद्री मार्गों को किसी भी बाहरी दबाव से मुक्त रखते हुए खुला रखने की जिम्मेदारी भी होगी।
शुरुआत में नौसेना की प्रमुख संपत्ति पश्चिमी तट पर करवर में, पूर्वी तट पर विशाखापत्तनम और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में रखी जाएगी। चीन के संभावित खतरे को देखते हुए पोर्ट ब्लेयर नौसेना के संचालन का प्रमुख बेस बन सकता है।
5 थियेटर कमांड का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल स्तर का अधिकारी करेंगे। ये सेना के किसी अंग के प्रति जवाबदेह नहीं होगा। कमांड का ऑपरेशन कमांडर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए युद्धक बल विकसित करने और प्रशिक्षित करने के लिए स्वतंत्र होगा। सभी जरूरी संसाधन थियेटर कमांड के पास होंगे और आवश्यकता पड़ने पर वह किसी पर निर्भर नहीं रहेगा।
क्या
है
थियेटर
कमांड
?
थियेटर
कमांड
से
आशय
उस
एकीकृत
कमांड
से
हैं
जिसके
अंतर्गत
थल
सेना,
वायु
सेना
और
नौ
सेना
की
टुकड़ियां
काम
करती
हैं।
युद्ध
में
सैन्य
प्रभावशीलता
को
बढ़ाने
के
लिए
इन
टुकड़ियों
को
एकल
थियेटर
के
माध्यम
से
संचालित
किया
जाएगा।
यह
भारत
की
सेवा
विशिष्ट
कमांड
प्रणाली
(Service-specific
Commands)
व्यवस्था
के
विपरीत
है
जिसके
अंतर्गत
पूरे
देश
में
तीनों
सेनाओं
की
अपनी-अपनी
सेवा
कमांड
है।
वर्तमान
में
केवल
अंडमान
व
निकोबार
में
एकीकृत
कमांड
की
व्यवस्था
है।
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