पाकिस्तान से सटे बॉर्डर पर तैनात होगी सेना की सबसे एडवांस्ड मिसाइलें, एयर डिफेंस सिस्टम!
नई दिल्ली। एक आतंरिक सर्वे के बाद भारतीय सेना (Indian Army) ने एयर डिफेंस यूनिट्स को पाकिस्तान बॉर्डर के करीब तैनात करने का फैसला किया है। इस सर्वे में पाकिस्तान के साथ तनाव को लेकर कई अहम बातों पर विचार-विमर्श किया गया था। इसके बाद यह सेना ने यह कदम उठाने का फैसला किया। सेना की योजना पाकिस्तान की ओर से किए गए किसी भी दुस्साहस का तुरंत असफल करने की है। 26 फरवरी को हुई बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाक की ओर से हवाई हमले का खतरा बढ़ गया है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से इा बात की जानकारी दी है।
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जम्मू कश्मीर से लेकर राजस्थान तक मिसाइलें
सूत्रों ने एजेंसी के साथ बातचीत में कहा, 'एयर डिफेंस और दूसरी जरूरी रक्षात्मक यूनिट्स को बॉर्डर के करीब करने की योजना बनाई गई है।' इन एयर डिफेंस यूनिट्स के बॉर्डर के करीब डेप्लॉयमेंट के बाद दुश्मन की तरफ से होने वाले किसी भी तरह के संभावित हवाई हमले का जवाब दे पाएगी और किसी भी बॉर्डर के करीब किसी भी खतरे को रोक पाएगी। सूत्रों ने बताया है कि जम्मू कश्मीर, पंजाब, गुजरात और राजस्थान से सटे पाक बॉर्डर के करीब एयर डिफेंस यूनिट्स को डेप्लॉय किया जाएगा। सेना ने इन सब जगहों का सर्वे किया है और सेना का मानना है कि कुछ एयर डिफेंस यूनिट्स को फॉरवर्ड लोकेशंस पर भेजा जा सकता है। सेना के पास इस समय देश में निर्मित आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के अलावा रूस का क्वाड्रैट और दूसरे पुराने एयर डिफेंस सिस्टम है। इसके अलावा सेना को जल्द ही लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से लैसएमआर-सैम एयर डिफेंस सिस्टम मिलने वाला है। इस सिस्टम को भारत और इजरायल ने मिलकर डेवलप किया है।
कश्मीर तक आ गई थी पाक की सेना
26 फरवरी को इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर हवाई हमले किए थे। ये हमले 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जवाब थे जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। 27 फरवरी को इसके बाद पाकिस्तान एयरफोर्स के 24 जेट्स जम्मू कश्मीर में दाखिल हो गए थे। इन जेट्स में एफ-16 के अलावा चीन के थंडर जेट्स भी थे। आईएएफ ने हालांकि पाकिस्तान की सेना को सीमा से बाहर खदेड़ दिया था, इसके बाद भी माना जा रहा है कि यहां पर पाकिस्तान की तरफ से खतरा कहीं ज्यादा है। आईएएफ की त्वरित प्रक्रिया की वजह से पाकिस्तान की सेना सिर्फ कुछ ही किलोमीटर तक दाखिल हो पाई थी।
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