
गलवान के वीरों को भारतीय सेना ने किस अंदाज में दी खास श्रद्धांजलि ? देखिए दमदार Video
लेह, 24 जुलाई: चीन के साथ एलएसी पर जारी विवाद निपटाने के लिए सैन्य कमांडरों के बीच हाल ही में 16वें दौर की बातचीत हुई है, जिसका कोई खास नतीजा नहीं निकला। ऊपर से चीन धोखे से अपने खौफनाक मंसूबों को अंजाम देने में हमेशा जुटा ही रहता है। कभी पैंगोंग झील पर पुल बनाने की जानकारी सामने आती है, तो कभी एलएसी के नजदीक उसके लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने की खबरें मिलती है। लेकिन, सच्चाई ये है कि चीन की सेना और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की सरकार आजतक गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के हाथों हुई जबर्दस्त कुटाई को नहीं भूली है। कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की जानकारी का खुलासा हो चुका है, लेकिन शी जिनपिंग की सरकार ने उसे कबूलने तक की हिम्मत नहीं दिखाई है। गलवान में भारत के 20 जवान और अफसरों ने शहादत जरूर दी थी, लेकिन उनकी अदम्य वीरता को इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्हीं जवानों को एक बार फिर से भारतीय सेना ने बहुत ही खास अंदाज में श्रद्धांजलि दी है, जिसका वीडियो सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने जारी किया है।

गलवान के वीरों को खास अंदाज में श्रद्धांजलि
भारतीय सेना की बाइकर्स की टीम ने लद्दाख की मुश्किल पहाड़ी इलाकों से गुजरते हुए गलवान घाटी के वीरों को बहुत ही खास अंदाज में श्रद्धांजलि दी है। इस बाइक रैली में सेना के उत्तरी कमान के सैनिक शामिल हैं, जिन्होंने शुक्रवार को गलवान के अमर जवानों को श्रद्धांजलि देने के साथ लेह के नजदीक कारू से अपनी रैली की शुरुआत की थी। बाइकर्स की यह रैली रविवार को कारू से 130 किलोमीटर दूर बहुत ही रमणीक नुब्रा घाटी पहुंची। इस दौरान सेना के ये बाइकर्स श्योक नदी के किनारे बसे अघम और खालसर गांवों से भी गुजरे। (पहली तस्वीर सौजन्य:फायर एंड फ्यूरी कोर ट्विटर वीडियो से )

गलवान घाटी में 20 जवान वीर गति को प्राप्त हुए थे
गौरतलब है कि 2020 के मध्य जून में जब पूरी दुनिया कोविड-19 के कहर से कराह रही थी, तभी चीन की सेना ने गलवान वैली में भारतीय सैनिकों के साथ धोखेबाजी की थी, जिसके चलते दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक वीर गति को प्राप्त हुए थे। तब से लेकर आजतक लद्दाख में मौजूद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर दोनों देशों के बीच सैन्य विवाद खत्म नहीं हुआ है। हालांकि, गलवान के उस इलाके से दोनों सेनाएं कुछ समय बाद ही बातचीत के बाद वापस लौट गई थीं।

रक्षा मंत्री ने भी दी थी श्रद्धांजलि
भारतीय सेना ने शहीद जवानों की याद में पूर्वी लद्दाख के पोस्ट 120 पर एक स्मारक का भी निर्माण किया है। गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के जवानों के बीच हुए उस खूनी संघर्ष को पिछले महीने ही दो साल पूरे हुए हैं। उस दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कश्मीर में थे और उन्होंने झड़प में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी थी। उन्होंने कहा था, 'उनके साहस, वीरता और सर्वोच्च बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।'
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गलवान घाटी के वीरों को भारतीय सेना का सलाम
इस वीडियो को भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर किया है। इस वीडियो में भारतीय सेना के सैनिकों के अदम्य साहस की झलक तो मिल ही रही है, साथ ही लद्दाख की सुंदरता का भी दीदार हो रहा है। फायर एंड फ्यूरी कोर ने कैप्शन में लिखा है, 'गलवान घाटी के वीरों को श्रद्धांजलि देने के बाद उत्तरी कमान बाइक रैली (रोहतांग ऐक्सिस) लद्दाख के कठिन भूभाग से गुजरते हुए नुब्रा घाटी पहुंची है।'
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फायर एंड फ्यूरी कोर क्या है ?
पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय सेना की बहुत ही महत्वपूर्ण 14वीं कोर के हाथों में है। इस कोर को फायर एंड फ्यूरी कोर के नाम से भी जाना जाता है। 15-16 जून, 2020 की दरमियानी रात गलवान घाटी में चीन के सैनिकों को भारत की ताकत से परिचय करवाते हुए, जो 20 जवान और सैन्य अफसरों ने शहादत दी थी, वे सारे इसी कोर के थे। उस घटना के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब लद्दाख की ऐतिहासिक यात्रा पर पहुंचे थे तो उन्होंने फायर एंड फ्यूरी कोर का मतलब कुछ इस अंदाज में बयान किया था- 'भारत मां के दुश्मनों ने आपकी आग और प्रकोप को देख लिया है।' अगर इसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ देखें तो फायर का मतलब है आग और फ्यूरी का अर्थ है, उसकी प्रचंडता या प्रकोप। (पहली तस्वीर के अलावा बाकी फाइल)