गलवान में हिंसा वाली जगह से क्यों पीछे हट रहे हैं Indian Army के वाहन
नई दिल्ली। लद्दाख की गलवान घाटी में उस जगह से इंडियन आर्मी अपने इनफेंट्री व्हीकल को पीछे हटाएगी जहां पर 15 जून को हिंसा हुई थी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक गलवान नदी में बर्फ बढ़ रही है और इसकी वजह से आने वाले दिनों कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। सेना ने इसलिाए ही हिंसा के 40 दिन बाद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के गलवान इलाके से वाहनों को पीछे करने का फैसला किया है। गलवान घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 पर 15 जून को दोनों सेनाओं के बीच हिंसा हुई थी जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे।
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नदी में बढ़ रही है बर्फ
सेना की तरफ से अपने वाहनों को पीछे करने के साथ ही पहले फेज का डिसइंगेजमेंट पूरा हो जाएगा जिस पर दोनों देशों ने रजामंदी जताई थी। कुछ सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आई हैं और इसमें साफ नजर आ रहा है कि सेना के इनफेंट्री व्हीकल और दूसरे वाहनों को श्योक-गलवान के करीब स्थित पोस्ट्स से हटाया गया है। गलवान नदी आने वाले दिनों में कई जटिलताएं पैदा कर सकती है। इस वजह से सेना को यह फैसला लेना पड़ा है। जुलाई के पहले हफ्ते में दोनों पक्ष एक दूसरे से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर बफर जोन का निर्माण करने पर रजामंद हुए थे। उसके बाद सेना के कई वाहन इस इलाके में थे। 14 जुलाई को भारत और चीन के बीच चौथे दौर की कोर कमांडर वार्ता हुई थी। सेना के वाहनों को हटाना एक मुश्किल प्रक्रिया है। बफर जोन के करीब स्थित चीनी सेना की भी स्थिति में नदी की वजह से बदलाव हुआ है।
अगले हफ्ते एक और कोर कमांडर वार्ता!
दोनों देशों के बीच अभी तक पैंगोंग के करीब का इलाका टकराव की बड़ी वजह बना हुआ है। इसी जगह पर पांच मई से दोनों के बीच टकराव शुरू हुआ था। फिलहाल फिंगर 5 पर चीन की सेना पूरी तैयारी के साथ मौजूद है। 14 जुलाई को हुई वार्ता में डिसइंगेजमेंट पर जो सहमति बनी थी, चीन अब उसे मानने से पीछे हट रहा है। माना जा रहा है कि अगले माह भारत और चीन की सेना के बीच एक और राउंड कोर कमांडर वार्ता हो सकती है। भारत की सेना की तरफ से कहा गया था डिसइंगेजमेंट एक जटिल प्रक्रिया है। हालांकि उसे चीन की तरफ से किए गए वादों पर कोई भरोसा नहीं है।