सेना प्रमुख के बोल: असम में बीजेपी की तुलना में मौलाना की पार्टी AIDUF तेजी से बढ़ रही आगे
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि असम में मौलाना बदरुदीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) जितनी तेजी से बढ़ रही है उतनी तेजी से बीजेपी भी यहां नहीं बढ़ रही है। सेना को भी इस मामले में सफाई देनी पड़ी है कि जनरल रावत का बयान राजनीति से प्रेरित नहीं था।
नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि असम में मौलाना बदरुदीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) जितनी तेजी से बढ़ रही है उतनी तेजी से बीजेपी भी यहां नहीं बढ़ रही है। जनरल रावत की मानें तो नॉर्थ-ईस्ट क्षेत्र में जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है, उसे बदला नहीं जा सकता है। हालांकि जनरल रावत के इस बयान के बाद नया विवाद शुरू हो गया है। सेना को भी इस मामले में सफाई देनी पड़ी है कि जनरल रावत का बयान राजनीति से प्रेरित नहीं था।
सेमिनार में बोल रहे थे जनरल
जनरल रावत ने यह टिप्पणी बुधवार को आयोजित एक सेमिनार, 'नॉर्थ-ईस्ट रीजन ऑफ इंडिया-ब्रीजिंग गैप्स एंड सिक्योरिंग बॉर्डर्स' के दौरान की। इस सेमिनार को सेंटर फॉर ज्वॉइन्ट वॉरफेयर स्टडीज एंड हेडक्वार्ट्स की ओर से आयोजित किया गया था। इस मौके पर जनरल रावत का कहना था, 'मुझे नहीं लगता है कि आप इस क्षेत्र में मौजूद जनसंख्या की विविधताओं को बदल सकते हैं। आज से आठ या नौ वर्ष पहले असम में के हर जिले में आठ से नौ बांग्लादेशी थे लेकिन अब स्थितियां बिल्कुल उलटी हैं और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि यहां पर कौन सी सरकार है।'
मौलाना की पार्टी AIDUF
इसके बाद जनरल रावत ने कहा यहां पर एक पार्टी है जिसका नाम एआईयूडीएफ है और अगर आप देखेंगे तो इस राज्य में पिछले कुछ वर्षों में इस ने जितनी तेजी से तरक्की की है, उतनी तेजी से तो बीजेपी भी नहीं बढ़ पाई है। जनरल रावत के मुताबिक जब जनसंघ की बात करते हैं जिसमें दो सदस्य थे और आज वह कहां पहुंच गए हैं, एआईडीयूएफ ने असम में बीजेपी से भी ज्यादा तेजी से तरक्की है। अंत में राज्य में कोई भी हो, हमें आखिरी निर्णय लेना होगा।
पहचाना होगा दुश्मन को
जनरल रावत के मुताबिक हमें यह समझना होगा, हमें इस बात की सराहना करनी होगी कि इस राज्य में सभी लोग एक साथ रह रहे हैं, बिना किसी जाति, समुदाय या धर्म कर परवाह किए बिना। अगर हम इस बात को समझ लेंगे तो हमें समझ आ जाएगा कि हम एक साथ रहकर भी खुश रह सकते हैं लेकिन सबसे अहम है कि हमें उन लोगों की पहचान करनी होगी जो यहां पर रहकर हमारे लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। जनरल ने कहा कि असम में मुसलमान आबादी 1218 से 1226 से आना शुरू हुई थी। वह पहली बार था जब मुसलमानों ने पहली बार असम में प्रवेश किया था। इस बात को समझिए कि वह असम में देरी से नहीं आए हैं बल्कि अहोम के साथ ही असम में पहुंचे।
चीन और पाकिस्तान की मदद से आ रहे शरणार्थी
दोनों ही समुदाय के लोग असम को अपना राज्य बताते हैं। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थी दो वजहों से यहां पर आए एक तो उनके पास जगह नहीं है। बड़े इलाके मॉनसून के समय बाढ़ का सामना करते हैं और उन्हें इन्हीं इलाके में रहना पड़ता है। दूसरी वजह है हमारा पश्चिमी पड़ोसी पाकिस्तान। पाकिस्तान हमेशा कोशिश करता आया है कि इस इलाके को भारत से छीन लिया जाए। उन्होंने इसे पाकिस्तान के छद्म युद्ध का तरीका बताया। उन्होंने कहा कि पड़ोसी इस खेल को काफी अच्छे से खेल रहा है और उसे इसमें उत्तर में स्थित पड़ोसी यानी चीन की मदद मिल रही है।