अब पाकिस्तान पर भारत करेगा 'वॉटर स्ट्राइक', रावी नदी के पानी पर CWC की रिपोर्ट 16 साल बाद हुई तैयार
श्रीनगर। भारत, पाकिस्तान पर एक और स्ट्राइक करने को तैयार है। हालांकि यह स्ट्राइक सैन्य नहीं होगी। ये 'वॉटर स्ट्राइक' होगी। भारत सरकार ने उस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पूरी जोर आजमाइश लगा दी है जिसके तहत जम्मू और कश्मीर स्थित कठुआ जिले में 0.65 मिलियन एकड़ फुट पानी इकट्ठा किया जा सकेगा। यह पानी रावी की सहायक नदीं उझ का होगा। इस संबंध में केंद्रीय जल आयोग ने रिपोर्ट तैयार कर ली है और इसे जम्म और कश्मीर सरकार को भेज दिया है। राज्य की ओर से रिपोर्ट की समीक्षा के बाद मंजूरी मिलने पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इस परियोजना के माध्यम से 30,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करने की योजना है। इससे 200 मेगावॉट से ज्यादा हाइड्रो पावर का उत्पादन भी किया जाएगा।
भारत रावी नदी के पानी का प्रयोग कर सकता है
साल 1960 में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते के अनुसार भारत रावी नदी के पानी का प्रयोग कर सकता है। साल 2001 में इससे जुड़े प्रोजेक्ट को सरकार की मंजूरी के बाद केंद्रीय जल आयोग ने 16 साल बाद रिपोर्ट तैयार की है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य सचिव निपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में साल 2016 के दिसंबर में सिंधु जल टास्क फोर्स की मीटिंग में रिपोर्ट को तेजी से तैयार करने के लिए मंजूरी प्रदान की गई थी।
अभी भारत नहीं इस्तेमाल करता पानी
अभी बिना भारत के इस्तेमाल किए रावी नदी का पानी पाकिस्ता नें चला जाता है। साल 2016 के सितंबर में राज्य के ही उड़ी स्थि एक सैन्य कैंप पर हुए आतंकी हमले के बपाद पीएम मोदी की ओर से बुलाई गई सिंधु जल समझौते की समीक्षा बैठक के बाद यह टास्क फोर्स बनाई गई थी। बैठक में यह तय किया गया था कि भारत, सिंधु जल समझौते के अंतर्गत मिलने वाले पानी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने के लिए परियोजनाएं बनाएगा।
पाकिस्तान को भी भारी झटका
यह परियोजना ना केवल भारत को सिंधु पानी के अपने हिस्से का उपयोग करने में मदद करेगी, बल्कि यह पाकिस्तान को भी भारी झटका देगी। पाकिस्तान, कई दलीलों और चेतावनियों के बावजूद नियंत्रण रेखा के भारतीय पक्ष (LOC) को बाधित करता रहा है। अकेले इस वर्ष में, पाकिस्तान ने लगभग 720 युद्ध विराम का उल्लंघन किया है और आतंकवादी समूहों के लिए सुरक्षित आवास भी स्थापित किए हैं, जो कश्मीर घाटी में काम करते हैं। अमेरिका ने भी, इस्लामाबाद को कई चेतावनियां जारी कीं, लेकिन वो व्यर्थ साबित हो रही हैं।
16 साल का लंबा समय
1960 के दशक में पाकिस्तान के साथ जल संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद, नदी रवि का पानी भारत को आवंटित किया जाता है। हालांकि, लाल फीताशाही के कारण, CWC ने 2001 में एक औपचारिक मंजूरी मिलने के बाद विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को पूरा करने के लिए 16 साल का लंबा समय लिया।