चीनी सैनिकों की बड़ी संख्या में तैनाती एलएसी पर अशांति का एकमात्र कारण- विदेश मंत्रालय
भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच लंबे समय से जारी गतिरोध के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है।
नई दिल्ली, 24 जून। भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच लंबे समय से जारी गतिरोध के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों को इकट्ठा करने और एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश के कारण इलाके में अशांति फैली है। विदेश मंत्रालय ने बीजिंग के उस तर्क को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि सीमा पर तनाव पैदा करने के लिए नई दिल्ली की नीतियां जिम्मेदार थीं।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि यह सर्वविदित है कि पिछले साल पश्चिमी सेक्टर में चीन की कार्रवाई ने सीमावर्ती इलाकों में शांति को बुरी तरह प्रभाविक किया। सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करने, एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश से शांति भंग हुई। उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल की चीनी कार्रवाई 1993 और 1996 के समझौते सहित उन द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन थी जिनमें कहा गया है कि दोनों पक्ष एलएसी का सम्मान करेंगे और दोनों पक्ष एलएसी से लगे क्षेत्रों में अपने सैन्य बलों को न्यूनतम स्तर पर रखेंगे।
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बागची बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय के इस तर्क के बारे में सवालों का जवाब दे रहे थे जिसमें उसने कहा थ् कि भारत को चीनी क्षेत्र में दखल देने से रोकने के लिए सीमा पर चीनी सैनिकों को तैनात किया गया था और यह कि भारत की आक्रामक नीतियां अकेले एलएसी पर तनाव के लिए जिम्मेदार थीं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा था कि सीमा पर पश्चिमी सेक्टर में चीन द्वारा सैन्य तैनाती एक सामान्य रक्षात्मक व्यवस्था है। यह संबंधित देश द्वारा चीन के क्षेत्र पर अतिक्रमण या खतरे को रोकने के लिए है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सीमा के मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
गौरतलब है कि कतर इकॉनोमिक फोरम में ऑनलाइन संबोधन के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद से जुड़े मामले में बड़ा मुद्दा यह है कि क्या भारत और चीन पारस्परिक संवेदनशीलता एवं सम्मान पर आधारित रिश्ते बना सकते हैं और क्या बीजिंग उस लिखित प्रतिबद्धता पर कायम रहेगा जिसमें दोनों पक्षों द्वारा सीमा पर बड़ी संख्या में सशस्त्र बलों की तैनाती नहीं करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि भारत ने बार-बार कहा है कि एलएसी पर विवाद के सभी बिंदुओं पर पूर्ण विघटन और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति से ही समग्र द्विपक्षीय संबंध सामान्य हो सकते हैं।
बता दें कि भारत और चीन के बीच एलएसी पर गतिरोध को शुरू हुए एक साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। इस बीच दोनों देशों के बीच 11 दौर की सैन्य वार्त, सात दौर की कूटनीतिक वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक दोनों देशों की ओर से एलएसी से सैनिकों की संख्या कम नहीं की गई है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एलएसी पर सैनिकों और भारी उपकरणों की तैनाती जारी रखी है। इसके अलावा चीन ने पहली बार संयुक्त वायु रक्षा प्रणाली की स्थापना करते हुए सेना की वायु रक्षा इकाइयों को अपनी वायु सेना कमांड श्रृंखला में शामिल किया है।