लॉकडाउन के बाद फिर से हायरिंग को तैयार मल्टीनेशनल कंपनियां
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से पिछले दिनों भारत में बेरोजगारी की दर में तेजी से इजाफा देखा गया। कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से देश में अप्रैल के माह में कई लोगों की नौकरियां गईं। मगर अब देश में रोजगार के मौकों में इजाफा होने वाला है। टॉप स्टाफिंग फर्म क्यूएस कॉर्प के चेयरमैन अजित इसाक की मानें तो देश में बेरोजगारी दर अपने चरम पर पहुंचकर समाप्ति की ओर है। उनकी मानें तो बड़ी कंपनियां फिर से लोगों को हायर करने की प्रक्रिया में लग गई हैं।
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70 प्रतिशत तक हायरिंग को रेडी सेक्टर्स
अजित इसाक ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में देश में कोरोना की वजह से बेरोजागारी में हुए इजाफे पर बात की। उन्होंने कहा कि जैसे ही अर्थव्यवस्था दुनिया के सबसे बड़ी लॉकडाउन से बाहर आएगी बड़ी कंपनियां फिर से हायरिंग शुरू करेगी। अजित इसाक ने कहा, 'कंपनियों ने पहले ही हमसे जून और जुलाई माह में हायरिंग के लिए बातचीत शुरू कर दी है। मैं कह सकता हूं कि अब नौकरी जाने का डर बहुत पीछे छूट चुका है।' इसाक के मुताबिक फाइनेंशियल सर्विसेज, हेल्थ केयर और लॉजिस्टिक्स के सेक्टर में हायरिंग काफी तेजी से होने वाली है। प्राइवेट सेक्टर कंपनी क्यूएस कॉर्प देश की सबसे बड़ी फर्म है जो सुपरमार्केट में सेल्स स्टाफ से लेकर टेक्निकल इंडस्ट्रीज में ट्रेनर्स मुहैया करात है। अप्रैल में देश में 122 मिलियन लोगों की नौकरी लॉकडाउन की वजह से चली गई थी और यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। क्यूएस के मुताबिक मल्टीनेशनल कंपनियां और बड़े इंडियन कॉरपोरेट्स कम से कम 70 प्रतिशत पूर्वनियोजित हायरिंग को अंजाम देने वाले हैं। इसाक की मानें तो जुलाई में हो सकता है कि इस आंकड़ें में कुछ बदलाव हो। मार्च में जब लॉकडाउन का ऐलान हुआ तो कई लोगों ने अपने घर जाने का फैसला ले लिया था, इसकी वजह से भी काफी लोगों की नौकरियां गई हैं।
बेरोजगारी दर पहुंची 24 प्रतिशत
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईआई) के मुताबिक 17 मई को खत्म हुए हफ्ते में भारत में बेरोजगारी दर 24 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। सीएमआईआई की मानें तो अप्रैल माह में 20 से 30 साल की उम्र के 27 मिलियन युवाओं की नौकरियां गई हैं। 25 मार्च को लॉकडाउन का पहला दौर था और 21 दिन के इस लॉकडाउन का मकसद देश में कोरोना के मामलों को बढ़ने से रोकना था। दूसरी तरफ इंडिया इंक और भारत सरकार कंपनियों को आकर्षित करने के लिए तुरंत कदम उठा रही हैं। ऐसी कंपनियां जो चीन से बाहर निकलकर दूसरे देशों में उनके लिए मौजूद अनुकूल स्थितियों में अपना काम शुरू करने की तरफ देख रही हैं। भारत इस समय विदेशी कंपनियों को जगह देने के लिए 461,589 हेक्टेयर की जमीन तैयार कर रहा है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत लक्जमबर्ग के बराबर जमीन उन कंपनियों को देने की तैयारी कर चुका है जो चीन छोड़ रही है।