बच्चों की कॉलेज लाइफ तक कितना पैसा होता है खर्च, अमाउंट में जीरो देख छूट जाएंगे पसीने
बढ़ती महंगाई के बहस से इतर क्या आप जानते हैं कि बच्चों की स्कूलिंग और कॉलेज लाइफ तक कितना पैसा खर्च होता है ? पढ़िए india child raising cost upto school 30 lacs college in crore
नई दिल्ली, 17 अगस्त : बढ़ती महंगाई अभिभावकों के साथ-साथ बच्चों को भी परेशान कर रही है। शायद इसी की नजीर थी वो घटना, जब एक बच्ची ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर कहा था कि उसके माता-पिता पेंसिल-रबर जैसी बुनियादी जरूरत पूरी करने में भी संघर्ष कर रहे हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की दिलचस्प रिसर्च में सामने आया है कि भारत में एक बच्चे की परवरिश पर कितने पैसे खर्च होते हैं। अमाउंट में इतने जीरो हैं कि इसके सामने एवरेस्ट की चढ़ाई या लोहे के चने चबाने जैसे मुहावरे भी नाकाफी लगते हैं। इस रिसर्च में सामने आया है कि स्कूल लाइफ तक बच्चों की परवरिश में कितना पैसा खर्च होता है, कॉलेज लाइफ आते-आते रकम तीन गुनी से भी अधिक हो जाती है। रिसर्च में केवल प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की जानकारी जुटाई गई है। पढ़िए रोचक रिपोर्ट (सभी तस्वीरें सांकेतिक , सौजन्य- ANI)
खर्च 2-5 साल में बदलता रहता है
भारत में शिक्षा पर खर्त और बच्चों की परवरिश से जुड़ी ईटी ऑनलाइन शोध के अनुसार, भारत में एक निजी स्कूल में 3 साल से 17 साल की उम्र के बच्चे को स्कूली शिक्षा देने का कुल खर्च 30 लाख रुपये है। खर्चे न केवल अधिक हैं, बल्कि वे अप्रत्याशित भी हैं। पुणे की रहने वाली मयूरी और विनय ने अपनी 8 साल की बेटी की 25 साल की होने तक उसकी शिक्षा की योजना बनाई है। दोनों बताते हैं कि स्कूल और ट्यूशन का खर्च हर 2-5 साल में बदलता रहता है। इसलिए, फीस वृद्धि के मामले में, हमने पूरे शिक्षा खर्च के लिए पैसे का एक अतिरिक्त हिस्सा रखा है।
भारत में शिक्षा की लागत 10-12 परसेंट बढ़ी
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, बढ़ती निजी शिक्षा की लागत को मुद्रास्फीति के आंकड़ों में पूरी तरह से शामिल नहीं किया गया है। एक दशक पुराने मॉडल के आधार पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में सिर्फ 4.5% है। 2012-20 के बीच भारत में शिक्षा की लागत करीब 10-12 फीसदी बढ़ी है। न केवल शिक्षण शुल्क बल्कि परिवहन शुल्क और परीक्षा शुल्क भी समय-समय पर बढ़ाए जाते हैं जो माता-पिता के समग्र बजट को प्रभावित करता है।
25,000 रुपये से 75,000 रुपये के बीच प्रवेश शुल्क
एक निजी स्कूल में बच्चे को स्कूल में दाखिला दिलाने के साथ ही प्रवेश शुल्क का खर्च आता है। टियर- I शहरों के अधिकांश स्कूल 25,000 रुपये से 75,000 रुपये के बीच प्रवेश शुल्क लेते हैं। कुछ स्कूल माता-पिता को छूट देते हैं। यदि भाई-बहन एक साथ एडमिशन लेते हैं। छूट 10,000-20,000 रुपये के बीच होती है। प्रीस्कूलिंग में नर्सरी और किंडरगार्टन शामिल हैं। यहां टियर- I और II शहरों के अधिकांश स्कूलों में औसत ट्यूशन फीस स्कूल के ब्रांड के आधार पर 60,000 रुपये से 1.5 लाख रुपये प्रति वर्ष के बीच हो सकती है।
प्रति वर्ष 2 लाख रुपये तक खर्च
जिन स्कूलों में माता-पिता दोनों कार्यरत हैं, वहां बच्चों को डेकेयर सेंटरों में एडमिशन मिलता है। ईटी ऑनलाइन रिसर्च में विश्लेषण के अनुसार, मेट्रो शहरों में कुछ डेकेयर सेंटर प्रति दिन 5,000-8,500 रुपये के बीच चार्ज कर सकते हैं। यह माना जाता है कि माता-पिता प्रतिदिन 5 घंटे के लिए बच्चों को डेकेयर सेंटरों पर छोड़ देते हैं। ऐसे में यह खर्च प्रति वर्ष 2 लाख रुपये तक जा सकता है।
11वीं कक्षा के बाद के खर्चे
प्राथमिक विद्यालय के लिए प्रति वर्ष ट्यूशन शुल्क 1.25 लाख-1.75 लाख रुपये के बीच है। प्राथमिक शिक्षा के लिए माता-पिता 5.50 लाख रुपये खर्च करने की उम्मीद कर सकते हैं। मिडिल स्कूल के लिए औसत वार्षिक शुल्क लगभग 1.6 लाख - 1.8 लाख रुपये है और यहां कुल खर्च लगभग 9.5 लाख रुपये है। 11वीं कक्षा के बाद, कई स्कूल माता-पिता से किताबों के लिए अलग से 4,000-7,000 रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से भुगतान करने की उम्मीद करते हैं। हाई स्कूल के चार साल का खर्च 1.8 लाख रुपये से 2.2 लाख रुपये तक हो सकता है। हाई स्कूल शिक्षा के लिए कुल मिलाकर लगभग 9 लाख रुपये तक का खर्च हो सकता है।
सरकारी स्कूल में कम खर्च वाली पढ़ाई
अधिकांश स्कूल शहर के आधार पर प्रति माह लगभग 1,500-2,500 रुपये परिवहन के लिए अतिरिक्त शुल्क लेते हैं। माता-पिता अकेले परिवहन पर प्रति वर्ष 25,000 रुपये का भुगतान करते हैं। यह अमाउंट भविष्य में बदल सकता है क्योंकि ईंधन की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। अगर माता-पिता अपने बच्चे का दाखिला सरकारी स्कूल में कराने का विकल्प चुनते हैं, स्कूली शिक्षा की कीमत लगभग 15,000-20,000 रुपये प्रति वर्ष तक कम होगी।
कॉलेज की शिक्षा
अधिकांश मध्यम वर्ग के माता-पिता अब कम उम्र से ही कॉलेज की शिक्षा के लिए बजट बनाने लगते हैं। कॉलेज की पढ़ाई स्कूल से भी अधिक महंगी है। कोई विदेश के कॉलेजों में स्कॉलरशिप पर अपनी ब्रांडिंग करता है, कोई लोन दिलाने के नाम पर। पुणे स्थित प्रबंधन सलाहकार पूनम सांघी अपनी बेटी की कॉलेज शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति पर निर्भर हैं। पूनम और उनके पति राकेश ने 15-18 साल के क्षितिज के साथ, जल्दी योजना बनानी शुरू कर दी थी। उन्होंने सावधि जमा, म्यूचुअल फंड और हाल ही में इक्विटी में निवेश किया है। दोनों बताते हैं कि उसकी प्रीस्कूल से कॉलेज तक शिक्षा पर लगभग 20 लाख रुपये का कुल खर्च होने की उम्मीद है।
अब तक एक करोड़ खर्च
मुंबई स्थित बिंदेश साहा और पत्नी अर्पिता का 17 वर्षीय बेटा आरव अर्थशास्त्र और राजनीति में स्नातक पाठ्यक्रम के लिए न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के लिए रवाना होने के लिए तैयार है। आरव की शिक्षा को व्यक्तिगत बचत और बैंक ऋण का उपयोग करके वित्त पोषित किया गया है। बिंदेश कहते हैं, "आरव ने मुंबई के सबसे अच्छे स्कूलों में से एक में दाखिला लिया था और अब वह एनवाईयू में जा रहा है, हमारा अनुमान है कि हमने अब तक उसकी शिक्षा पर एक करोड़ से अधिक खर्च हो चुके हैं।"