तेजस्वी ने दिया इस्तीफा तो लालू फैमिली से ही होगा नया डिप्टी सीएम!
सीबीआइ की छापेमारी के बाद राजद ने साफ कर दिया है कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव अभी सरकार से किसी भी हालत में इस्तीफा नहीं देंगे
नई दिल्ली। लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने साफ कर दिया है कि तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा नहीं देंगे। पार्टी की बैठक के बाद विधायकों ने तेजस्वी के कार्यो की तारीफ की। इसी बीच खबर ये भी है कि अगर कानूनी प्रावधानों या नैतिकता के आधार पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार तेजस्वी यादव से इस्तीफा लेते हैं तो ऐसी हालत में लालू परिवार से ही कोई नया डिप्टी सीएम बनेगा। खबर तो यहां तक है कि तेजस्वी के इस्तीफा देने की स्थिति में लालू यादव अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को डिप्टी सीएम बनवा सकते हैं।
लालू फैमिली से हो सकता है नया डिप्टी सीएम?
सीबीआइ की छापेमारी के बाद राजद ने साफ कर दिया है कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव अभी सरकार से किसी भी हालत में इस्तीफा नहीं देंगे।कानूनी प्रावधानों के तहत अगर तेजस्वी यादव को इस्तीफा देना पड़ा तो लालू परिवार के ही किसी सदस्य को उनकी जगह मिल सकती है। साथ ही पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं का भी ओहदा बढ़ाया जा सकता है, इसमें बड़े भाई तेजप्रताप यादव भी हो सकते हैं। राजद कोटे से मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी का भी कद बढाया जा सकता है। राजद नेताओं का मानना है कि सिर्फ केस में आरोपित बनाये जाने और कानूनी बाध्यता के बिना ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा तो इसके बाद राजद अपनी आगे की रणनीति तय करेगा। फिलहाल राजद की कोर टीम ने यह तय कर लिया है कि सिर्फ मुकदमे की स्थिति में तेजस्वी यादव के इस्तीफे का सवाल ही नहीं है।
नीतीश ने किया लालू को फोन
सीबीआई छापेमारी के बाद सीएम नीतीश कुमार ने आरजेडी सुप्रीमो ने लालू यादव से फोन पर बात की है। सूत्रो से मिल रही जानकारी मुताबिक बिहार में महागठबंधन को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। जेडीयू खुलकर तो नहीं लेकिन अंदरखाने से राजद के सपोर्ट में है और नीतीश कुमार का अभी लालू से दूर होने का कोई इरादा नहीं है। इसी बीच नीतीश कुमार ने मंगलवार को जेडीयू नेताओं की बैठक बुलाई है।
FIR के बाद अपने मंत्रियों से इस्तीफा ले चुके हैं नीतीश
साफ सुथरी सरकार चलाने का दावा करने वाले नीतीश पहले ऐसी नजीर पेश कर चुके हैं। 2005 में अपनी पहली सरकार के वक्त उन्होंने भ्रष्टाचार के केस में चार्जशीट के बाद मंत्री जीतन राम मांझी से इस्तीफा ले लिया था। इसी तरह नीतीश ने मंत्री रामानंद सिंह और रामाधार सिंह की भी छुट्टी कर दी थी। रामाधार नीतीश की दूसरी सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री थे।
बिहार विधानसभा का गणित
बिहार विधानसभा के 243 सदस्यों में राजद के 81 विधायक हैं, जबकि, जदयू के 70 और कांग्रेस के 27 सदस्य हैं। तीनों दलों को मिला कर विधायकों की संख्या 178 हो जाती है। सरकार को बने रहने के लिए मात्र 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। अगर नीतीश आरजेडी से नाता तोड़कर एनडीए में जाते हैं तो कांग्रेस के 27 विधायक भी सरकार से हट जाएंगे। ऐसे में नीतीश को सरकार बचाने के लिए 51 और विधायकों की जरूरत होगी। विधानसभा में बीजेपी के पास 53 विधायक हैं।अगर नीतीश के साथ आ जाए तो नीतीश की सरकार को कोई खतरा नहीं है।