ICMR की नई रिसर्च- मौत और अस्पताल में भर्ती होने के खतरे को कम करती है कोरोना वायरस वैक्सीन
नई दिल्ली, 16 जुलाई। देश भर में कोरोना वैक्सीनेशन पर पूरी तरह से फोकस किया जा रहा है क्योंकि इस जानलेवा कोविड 19 वायरस से बचाव का एकमात्र उपाय वैक्सीनेशन ही है। वहीं आईसीएमआर ने अपने रिसर्च के बाद दावा किया है वैक्सीनेसन कोरोना से होने वाली मौत और अस्पताल में भर्ती होने के खतरे को कम करती है।
अप्रैल और जून 2021 के बीच दूसरी लहर के चरम के दौरान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा किया गया। राष्ट्रव्यापी अध्ययन, 677 दैनिक नमूनों के साथ भारत से टीकाकरण के बाद के संक्रमण का सबसे बड़ा और पहला राष्ट्रव्यापी अध्ययन है। इन मामलों का टेलीफोन पर साक्षात्कार किया गया और दैनिक डेटा का विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन में शामिल 677 मामलों में से 593 सफलता के डेली सैंपल थे और 74 में एक खुराक के बाद संक्रमण था।
ये
दिखाई
दिया
लक्षण
कुल
482
मामले
(71%)
एक
या
अधिक
लक्षणों
में
बीमारी
दिखाई
दी,
जबकि
29%
में
छूने
के
कारण
कोविड
संक्रमण
था।
बुखार
(69%)
में
था,
जिसके
बाद
सिरदर्द
और
उल्टी
(56%),
खांसी
(45%),
गले
में
खराश
(37%),
गंध
और
स्वाद
महसूस
न
होना
(22%),
दस्त
(6%)
सहित
शरीर
में
दर्द
होता
था।
सांस
फूलना
(6%)
और
1%
में
आंखों
में
जलन
और
लालिमा
थी।
इस अध्ययन ने संकेत दिया कि सफलता में डेली मामलों में से अधिकांश डेल्टा संस्करण से संक्रमित थे और केवल 9.8% मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता थी, जबकि केवल 0.4% मामलों में मृत्यु देखी गई थी। यह स्पष्ट रूप से बताता है कि टीकाकरण अस्पताल में एडमीशन और मृत्यु दर में कमी लाता है।जिन पर अध्यन किया गया वो टीके भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन थे जो स्थानीय रूप से कोविशील्ड के रूप में उत्पादन कर रहे हैं।
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इस रिसर्च पेपर में कहा गया कि "मार्च से जून 2021 के दौरान, भारत ने कोविड -19 की एक घातक दूसरी लहर देखी। जिसमें देश भर में टीकाकरण के बाद संक्रमण की संख्या में वृद्धि हुई है। इसके संभावित कारण को समझने के लिए, हमने ऐसे व्यक्तियों के 677 दैनिक नमूने एकत्र किए जिनके गले की सूजन / नाक की सूजन थी जिन्हें दो खुराक कोविशील्ड या कोवैक्सिन की लग चुकी थी। देश के 17 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों से कोविड -19 के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया।