दूसरी लहर जितनी घातक नहीं होगी कोरोना की तीसरी लहर, ICMR की नई रिसर्च में दावा
ICMR ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज के साथ मिलकर इस रिसर्च को अंजाम दिया है...
नई दिल्ली, 26 जून: कोरोना वायरस की दूसरी लहर की रफ्तार धीमी पड़ने के साथ ही तीसरी लहर को लेकर कई तरह की खबरें सामने आ रही हैं। हाल ही में महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर लोगों ने कोरोना वायरस संबंधी प्रोटोकॉल का पालन करने में लापरवाही बरती तो राज्य में महामारी की तीसरी लहर भी आ सकती है। हालांकि, इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एक राहत भरी जानकारी दी है। आईसीएमआर ने अपनी नई रिसर्च में बताया है कि अगर कोरोना वायरस की तीसरी लहर आई, तो उसके दूसरी लहर जितना गंभीर होने की आशंका कम है।
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लंदन के इंपीरियल कॉलेज के सहयोग से की गई रिसर्च में आईसीएमआर ने बताया कि अगर टीकाकरण अभियान में तेजी लाई जाए तो इस तीसरी लहर को आने से रोका भी जा सकता है। रिसर्च के मुताबिक, 'जब तक कोरोना वायरस का ये नया वेरिएंट, पिछले संक्रमण से बनी एंटीबॉडी को पूरी तरह नष्ट ना कर दे, तब तक उससे महामारी की एक नई लहर पैदा होने का खतरा नहीं है। कोरोना वायरस के एक ज्यादा संक्रामक वेरिएंट को तीसरी लहर पैदा करने के लिए 4.5 की प्रजनन संख्या सीमा को पार करना होगा।'
'डेल्टा
प्लस
वेरिएंट
से
तीसरी
लहर
का
कोई
लेना-देना
नहीं'
आपको
बता
दें
कि
हाल
ही
में
देश
के
शीर्ष
डॉक्टरों
में
शुमार
और
जीनोम
सीक्वेंसर
डॉ.
अनुराग
अग्रवाल
ने
भी
कहा
था
कि
कोरोना
वायरस
की
संभावित
तीसरी
लहर
से
डेल्टा
प्लस
वेरिएंट
का
कोई
लेना-देना
नहीं
है।
अपनी
स्टडी
की
रिपोर्ट
जारी
करते
हुए
डॉ.
अनुराग
अग्रवाल
ने
बताया,
'हमारी
टीम
ने
महाराष्ट्र
में
3500
से
ज्यादा
सैंपल
लेकर
उनकी
सीक्वेंसिंग
की।
इनमें
डेल्टा
पल्स
वेरिएंट
के
मामले
तो
सबसे
ज्यादा
मिले,
लेकिन
एक
प्रतिशत
से
भी
कम
थे।
ऐसी
स्थिति
में
फिलहाल
ऐसा
कोई
साक्ष्य
नहीं
है,
जिससे
कहा
जाए
कि
डेल्टा
प्लस
वेरिएंट
से
महामारी
की
तीसरी
लहर
आ
सकती
है।'