हैदराबाद एनकाउंटर ही नहीं देश के इन 5 चर्चित एनकाउंटर पर उठे सवाल
नई दिल्ली। हैदराबाद में वेटनरी डॉक्टर के साथ दरिंदगी करने वाले चारों आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। हैदराबाद पुलिस जब चारों आरोपियों को लेकर क्राइम सीन रिक्रिएट करवाने क्राइम सीन पर लेकर गई तो चारों अपराधियों ने पुलिस की बंदूक छीनकर भागने की कोशिश की। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन जब नहीं रूके तो पुलिस को उनपर गोलियां चलानी पड़ी। पुलिस ने बताया कि 15 मिनट तक चले इस एनकाउंटर में चारों आरोपियों को मार गिराया गया। इन एनकाउंटर में जहां लोग तेलंगाना पुलिस की वाहवाही कर रहे हैं तो वहीं कई लोग इन एनकाउंटर पर सवाल उठा रहे हैं। पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल उठ रहे हैं। हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं है जब पुलिस एनकाउंटर पर सवाल खड़े हुए हो। इससे पहले भी देश में कई ऐसे एनकाउंट हुए, जो न केवल चर्चा का केंद्र बनें बल्कि उस एनकाउंटर में पुलिस की कार्रवाई को लेकर कई सवाल उठे। आइए ऐसे ही 5 चर्चित एनकाउंट के बारे में आपको बताते हैं, जिसपर फर्जी होने को लेकर सवाल उठे।
हैदराबाद एनकाउंटर: क्राइम सीन रिक्रिएशन के लिए रात 3 बजे चारों आरोपियों को क्यों ले गई पुलिस?
बाटला हाउस एनकाउंटर
19 सितंबर 2008 में दिल्ली के बाटला हाउस के मकान नंबर एल-18 के फ्लैट में दिल्ली पुलिस के एनकाउंट को लेकर भी सवाल उठे। दिल्ली पुलिस को सूचना मिली थी कि दिल्ली सीरियल ब्लास्ट में शामिल आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के पांच आतंकी बटला हाउस के एक मकान में मौजूद हैं। इस सूचना को पाते ही दिल्ली पुलिस अवर्ट हो गई। इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा, स्पेशल सेल के एसआई राहुल कुमार सिंह अपनी टीम लेकर बाटला हाउस पहुंच गए। पुलिस को वहां आतिफ और शहजाद के होने की खबर थी। एसआई राहुल सिंह अपने साथियों एसआई रविंद्र त्यागी, एसआई राकेश मलिक, हवलदार बलवंत, सतेंद्र विनोद गौतम ने जैसे ही फ्लैट का दरवाजा खोला आतंकियों ने फायरिंग कर दी। लगभग 10 मिनट की फायरिंग में 3 आतंकियों को पुलिस ने ढेर कर दिया, जबकि आरिज और शहजाद भागने में सफल रहे। वहीं इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा शहीद हो गए। एक कांस्टेबल को गोली लगी। बाटला हाउस एनकाउंट को फर्जी एनकाउंटर बताकर इसपर सवाल खड़े किए गए।
साल 2004 का इशरत जहां एनकाउंटर
गुजरात के इशरत जहां एनकाउंटर को लेकर भी खूब सवाल खड़े किए गए। साल 2004 में हुए इस एनकाउंटर में गुजरात पुलिस ने इशरत जहां उसके दोस्त प्रनेश पिल्लई और दो पाकिस्तानी नागरिकों अमजदाली राना और जीशान जोहर को आतंकी बताकर उनका एनकाउंटर किया गया। इस मामले में पूर्व आईपीएस ऑफिसर डीजी वंजारा, पूर्व एसपी एनके अमीन, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट समेत 7 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
साल 2005 का सोहराबुद्दीन एनकाउंटर
साल 2005 में गुजरात के अहमदाबाद में राजस्थान और गुजरात पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन में सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर किया। सोहराबुद्दीन शेख पर 2003 में गुजरात के गृहमंत्री हरेन पंड्या की हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप था। पुलिस को उसकी तलाश थी, लेकिन वो फरार था। जबकि उसका साथी तुलसी प्रजापति पकड़ा गया था। 2005 में अहमदाबाद में राजस्थान और गुजरात पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन करके सोहराबुद्दीन शेख को मार गिराया था।वहीं उसके बाद उसके साथी तुलसी प्रजापति का भी एनकाउंटर कर दिया गया। 2007 में अहमदाबाद कोर्ट में पेशी पर ले जाते समय तुलसी को उसके साथी छुड़ाकर ले जाने आए थे। इसी दौरान हुई मुठभेड़ में तुलसी मारा गया था।
मध्य प्रदेश के जेल से भागे सिमी सदस्यों का एनकाउंटर
साल 2016 में भोपाल की सेंट्रल जेल से भागे सिमी आतंकियों का एनकाउंटर भी सवालों के घेरे में रहा। जेल से भागे 8 सिमी आतंकियों को पहाड़ी पर घेरकर पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था। इन आतंकियों ने जेल से भागते वक्त एक कांस्टेबल की हत्या कर दी गई। इस अनकाउंट को लेकर भी कई सवाल खड़े किए गए।
दारा सिंह एनकाउंटर
साल 2006 में जयपुर के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने दारा सिंह का एनकाउंटर किया था। दारा सिंह पर अपहरण, हत्या, लूट, शराब तस्करी और अवैध वसूली के 50 से ज्यादा मामले दर्ज थे। एनकाउंटर से 5 दिन पहले पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया था। इन पुलिस एनकाउंट को लेकर मीडिया में कई सवाल उठे थे। कई नेताओं के नाम भी जोड़े गए।
हैदराबाद
के
आरोपियों
का
एनकाउंटर:
जानिए,
एनकाउंटर
को
लेकर
क्या
हैं
सुप्रीम
कोर्ट
की
गाइडलाइंस