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राहुल कब तक 'पापा-दादी' के टिकट पर 'लोकतंत्र-रेल' में सफर करेंगे!

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Congress Vice President Rahul Gandhi
[अंकुर कुमार श्रीवास्‍तव]। चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते हैं नेता लोगों को अपनी तरफ खिंचने के लिये भावुक बाते करते हैं। राजनीति को नजदीक से समझने और अनुभव की बात करें तो इस मुल्क में चुनाव भावुक एजेंडे पर भी तय हुए हैं। किसी भी नेता का भावुकता की बात करना भारतीय सियासत में कोई नई बात नहीं है। अगर इंडियन पॉलीटिकल सिस्‍टम को देखें तो एक बहुत बड़ा तबका है जिसने भावुक मुद्दों पर राजनीति की है और सफल राजनीति की है। मगर जब-जब ऐसी राजनीति हुई है लोगों ने सवाल उठाये हैं।

सवाल ये उठता है कि मुद्दों की कमी के चलते नेता ऐसा कर रहे हैं। वहीं नेता ये सोचते हैं अगर अपनी स्‍पीच में इमोशनल एलीमेंट डालेंगे तो जनता तेजी से उनके साथ कनेक्‍ट होगी। क्‍या नेता ऐसा करके अपनी कारगुजारी को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं या फिर इमोशनल मुद्दा उठाकर लोगों को भटकाने की कोशिश? जी हां हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी की जिन्‍होंने राजस्‍थान के चुरू में अपनी दादी और पिता की हत्‍या का जिक्र किया और कहा कि मैंने उस दर्द को महसूस किया है।

राहुल गांधी ने राजस्‍थान के चुरु में दुनिया को वो दर्दनाक रात याद दिला दी जब उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बम से उड़ा दिया गया था। उन्‍होंने वो भी दिन याद दिला दिया जब हत्‍या के बाद एक तरफ उनकी दादी इंदिरा गांधी का शव रखा था तो दूसरी तरफ उनका पोता आंसू बहा रहा था। मगर सोचने वाली बात ये हैं कि राहुल गांधी का रोटी, कपड़ा और मकान का एजेंडा को किनारे कर इमोशनल एजेंडे पर चुनाव लड़ना कहां तक सही है।

भारत की जनता राहुल गांधी के इस इमोशनल स्‍पीच की सराहना तो कर रही है मगर अब ये गुजारिश भी कर रही है कि वो फैमली एलबम से बाहर निकलें। ऐसा होना भी चाहिए क्‍योंकि एक 14 साल का बच्‍चा रेल में अपने टिकट पर चलता है तो राहुल गांधी कब तक अपने 'पापा-दादी' की टिकट पर लोकतंत्र की रेल में सफर करते रहेंगे। राहुल गांधी आखिर कब तक संवेदनाओं का दर्द लेकर लोगों से सहानभूति बटोरते रहेंगे क्योंकि जो दर्द उन्होंने महसूस किया है उसका आकंलन कर पाना असंभव है लेकिन क्या राहुल के इस दर्द से 121 करोड़ की आबादी वाले इस देश को दो वक्त का भोजन, तन ढंकने को कपड़ा और सिर पर छत मिल सकती है। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? अपनी बात कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

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English summary
There was nothing unusual in Congress Vice President Rahul Gandhi's election rallies on Wednesday in Rajasthan. He woos voters through emotional speeches, but silent on burning issues.
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