क्या है इसरो के GSAT-6A से संपर्क टूटने की वजह?
नई दिल्ली। इसरो ने पिछले माह 29 मार्च को भारत के सबसे बड़े कम्युनिकेशन सैटलाइट GSAT-6A को लॉन्च किया था, लेकिन 48 घंटे के भीतर ही सैटेलाइट से संपर्क टूट गया। उसके बाद रविवार को इसरो ने बयान जारी कर कहा कि तीसरे और आखिरे फेज में पहुंचने से पहले ही सैटेलाइट से संपर्क टूट चुका है और एक बार फिर से संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, अभी तक यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सैटेलाइट का संपर्क कैसे टूटा था। वहीं, सूत्रों का मानना है कि पॉवर सिस्टम की वजह से सैटलाइट से संपर्क टूटा था।
इसरो के भीतर अनौपचारिक सूत्रों की माने तो पावर की विफलता से टेलीमेट्री का नुकसान हुआ है, जिससे इसरो अब अपने ऑन-बोर्ड उपकरणों के बारे में डेटा प्राप्त नहीं कर सकता। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि लापता हुए सैटेलाइट का ट्रैक नहीं किया जा सकता है, उत्तर अमेरिकी एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (एनओएआरएडी) द्वारा ऑप्टिकल ट्रैकिंग से आसानी से संपर्क साधा जा सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सैटेलाइट को बचाया जा सकता है या नहीं। इसरो ने अपना बयान में कहा है कि सैटेलाइट से संपर्क साधन के लिए पूरी कोशिश की जा रही है।
इसरो इससे पहले भी इस प्रकार की दिक्कतों का सामना कर चुका है और सैटेलाइट से संपर्क टूटने के बाद फिर से पता लगाया जा चुका है। इसमें सबसे प्रसिद्ध है चंद्रयान, जिसे 2008 में चंद्रमा के आसपास की कक्षा में लॉन्च किया गया था। उस वक्त डीसी पावर कनवर्टर विफल हो गया था, जिस वजह से सैटेलाइट के कई घटकों को नुकसान पहुंचा था और फिर 2009 में इसका संपर्क टूट गया था। उसके बाद, पिछले साल नासा जेट प्रोपल्सन लैबोरेटरी के जमीन आधारित रडार ने इसे चंद्र की कक्षा में पाया था।
इसरो को इसी प्रकार की दिक्कतों का सामना जून 1997 में INSAT-2D लॉन्च के दौरान, 2007 में INSAT-4B और INSAT-4CR में पावर गड़बड़ी पाई गई थी। वहीं, इसरो के अफगानसैट-1 जिसे इटल्सैट W2M के नाम से जाना जाता था, उस वक्त 2010 में पावर विफलता का अनुभव किया गया था।
GSAT-6A बाकी कम्युनिकेशन सैटेलाइट की तुलना में काफी अलग है, जो पूरी तरह से भारत में बनकर तैयार हुआ है। यह सैटेलाइट रक्षा के मकसद से काम करेगा और साधारण मकसद के लिए इसकी ट्रांसपोंडर क्षमता नहीं बढ़ाई जाएगी। GSAT-6A भारत का सबसे शक्तिशाली संचार उपग्रह है, जो गुरुवार को उपग्रह के प्रक्षेपण के 48 घंटों के भीतर कनेक्शन खो गया था।
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