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नेपाल में भारत की मदद से बन रहीं रेल लाइनों का काम कहां तक पहुंचा?

भारत और नेपाल के बीच रेलवे लाइन भारत के वित्तीय और तकनीकी सहयोग से बनाई जा रही है. एक रूट का उद्घाटन आज पीएम मोदी और नेपाली पीएम करने जा रहे हैं.

By BBC News हिन्दी
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नेपाल रेलवे
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भारत और नेपाल के बीच निर्माणाधीन रेलवे का उद्घाटन शनिवार को दोनों देशों के प्रधानमंत्री करने जा रहे हैं.

नेपाल में भारत के सहयोग से बन रही अंतरदेशीय रेलवे लाइन पर एक बार फिर चर्चा हो रही है.

अधिकारियों के मुताबिक़, नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा शनिवार को भारत की यात्रा के दौरान वर्चुएल माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जयनगर-कुर्था रेल सेवा का संयुक्त रूप से उद्घाटन करेंगे.

इस परियोजना में भारत ने रेल लाइन बिछाई है जबकि नेपाल ने अपने ख़र्च पर दो ट्रेनें ख़रीदी हैं. डेढ़ साल बाद इस सेवा का उद्घाटन होने जा रहा है.

शनिवार को उद्घाटन के बाद जयनगर-कुर्था रेलवे सेवा रविवार से शुरू हो जाएगी. ये नेपाल के धनुषा ज़िले को भारत के बिहार से जोड़ेगी.

यह खंड भारतीय सहायता से निर्माणाधीन 69 किलोमीटर के जयनगर-जनकपुर-बरदीवास रेलवे का हिस्सा है.

भारतीय सहयोग से बनेगा रेलवे

रेल विभाग के अधिकारियों के अनुसार भारत की आर्थिक एवं तकनीकी सहायता से नेपाल में विभिन्न स्थानों पर अंतरदेशीय रेलवे का निर्माण किया जा रहा है.

रेलवे विभाग के प्रवक्ता और वरिष्ठ मंडल इंजीनियर अमन चित्रकर ने बीबीसी को बताया कि इनमें से कुछ निर्माणाधीन हैं और अधिकांश का अभी अध्ययन ही किया गया है.

उनके अनुसार, 2010 में हुए समझौते के तहत नेपाल और भारत ने भारतीय सीमा बाज़ार को नेपाल के दक्षिणी शहरों से रेल के ज़रिए जोड़ने पर सहमति व्यक्त की थी.

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समझौते के अनुसार न्यू जलपाईगुड़ी-काकड़विट्टा (46 किलोमीटर), बहना-कटाहारी (जोगबनी-विराटनगर 18 किलोमीटर), जयनगर-जनकपुर-बरदीवास (69 किलोमीटर), नौतनवा-भैरहवा (12 किलोमीटर) और रूपेडिया-नेपालगंज (15 किलोमीटर) रूट की निर्माण प्रक्रिया शुरू की गई थी.

चित्रकार ने बताया कि इसके अलावा, रक्सौल-काठमांडू रेलवे का काम भी भारतीय सहायता से शुरू किया गया है.

प्रारंभिक चरण के पूरा होने के बाद रक्सौल-काठमांडू रेलवे की कुल लंबाई 136 किलोमीटर होने का अनुमान है. लेकिन विस्तृत अध्ययन के बाद ही सही दूरी का पता चलेगा.

कितना काम हुआ?

नेपाल के कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की वित्तीय और तकनीकी सहायता से हो रहे बुनियादी ढांचे के निर्माण के काम की गति बहुत धीमी है.

कुछ का मानना ​​है कि अंतरदेशीय रेलवे के निर्माण में देरी हुई है.

लेकिन रेल विभाग के प्रवक्ता अमन चित्रकार ने बताया कि दो अंतरराज्यीय रेलवे पर निर्माण कार्य चल रहा है और अन्य पर तकनीकी अध्ययन पूरा हो चुका है.

नेपाल रेलवे
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वो कहते हैं, ''रेलवे के पांच क्षेत्रों में विस्तार के समझौते के तहत दो जोगबनी-विराटनगर और जयनगर-जनकपुर-बरदीवास में निर्माण कार्य किया जा रहा है.''

इसके अलावा उन्हें विश्वास है कि रेलवे का अध्ययन पूरा होते ही उन क्षेत्रों में निर्माण कार्य कर लिया जाएगा.

चित्रकर बताते हैं कि रक्सौल-काठमांडू रेलवे के पहले चरण का प्रारंभिक अध्ययन भी पूरा कर लिया गया है.

उन्होंने कहा, "उसके बाद विस्तृत अध्ययन के लिए नेपाल सरकार और भारत सरकार के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हो गए हैं और भारत क्षेत्र में काम कर रहा है."

देरी के कारण

2010 में हुए समझौते के अनुसार, नेपाल-भारत अंतर-देशीय रेलवे को पांच साल में बनाया जाना था, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा नहीं हुआ है.

उनके अनुसार, नेपाली पक्ष की कमज़ोरी के कारण परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं किया जा सका.

यहां तक ​​कि रेलवे विभाग में काम कर चुके एक विशेषज्ञ प्रकाश उपाध्याय कहते हैं, ''हम मौजूदा रेलवे का संचालन सही से नहीं कर पाए हैं. इसे बनाने में भी देरी हुई है.''

उनके अनुसार, नेपाली भूमि के कुछ क्षेत्रों में सर्वेक्षण कार्य की कमी के कारण अंतर-देशीय रेलवे के विस्तार में देरी हुई है.

उपाध्याय के मुताबिक हालिया देरी की एक वजह महामारी भी है. वो कहते हैं, ''दूसरी समस्या यह है कि हम कोई अतिआवश्यकता नहीं दिखा सकते.''

उपाध्याय कहते हैं, "इसी तरह कुछ जगहों पर भूमि अधिग्रहण की समस्या है. उसमें भी देरी हो गई है. नेपाल के भीतर देखी गई ऐसी समस्याओं के कारण भारतीय पक्ष ने शायद ज़्यादा ध्यान नहीं दिया."

पूर्व-पश्चिम रेलवे अपने खर्चे पर

अधिकारियों का कहना है कि नेपाल-भारत अंतरदेशीय रेलवे के निर्माण के लिए भारत से वित्तीय और तकनीकी सहायता प्राप्त करने वाला नेपाल अभी भी अपने खर्च पर अपनी पूर्वी सीमा को पश्चिम से जोड़ने वाले रेलवे का निर्माण कर रहा है.

इस परियोजना जिसे मेची-महाकाली रेलवे के रूप में भी जाना जाता है. इसका उद्देश्य नेपाल की पूर्वी सीमा पर कंकदविट्टा से पश्चिमी सीमा पर गड्डा चौकी तक एक रेलवे लाइन का निर्माण करना है.

रेल विभाग के प्रवक्ता अमन चित्रकार ने बताया कि परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली गई है.

उन्होंने कहा, "हम पहले ही 11 अलग-अलग पैकेज में रेलवे की डीपीआर तैयार कर चुके हैं."

उन्होंने कहा कि पूर्व-पश्चिम रेलवे के अंतर्गत बरदीबास से निजगढ़ तक 70-80 किलोमीटर क्षेत्र में निर्माण कार्य चल रहा है.

चित्रकर ने कहा, "रेलवे लाइन को चौड़ा करने और पुल बनाने का काम किया जा रहा है, लेकिन लीक को ठीक करने के लिए कोई काम नहीं किया गया है."

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English summary
How far did the work of railway lines being built in Nepal with the help of India reach?
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