कैसे जांच एजेंसियों के 'दुरुपयोग' के विपक्ष के आरोपों का जवाब देने की तैयारी में है बीजेपी ?
विपक्षी दल पिछले कुछ समय से लगातार केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं। अब सत्ताधारी बीजेपी भी विपक्ष को जवाब देने की तैयारी कर चुकी है।
भ्रष्टाचार के मामलों में केंद्रीय जांच एजेंसियों की चल रही कार्रवाई के खिलाफ विपक्ष एकजुट दिख रहा है। केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी पर विपक्षी नेताओं के खिलाफ लगातार राजनीतिक विद्वेष की भावना से प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो के इस्तेमाल के आरोप लगाए जा रहे हैं। अब बीजेपी ने भी विपक्ष की इन कोशिशों का माकूल जवाब देने की रणनीति बना ली है। वह प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से जनता तक एक-एक मामलों को तथ्यों के साथ पेश करने की कोशिशों में जुट चुकी है। आने वाले समय में यह मसला और ज्यादा राजनीतिक रूप ले सकता है।
विपक्ष
को
जवाब
देने
की
बीजेपी
की
तैयारी
भ्रष्टाचार
के
मामलों
के
खिलाफ
केंद्र
सरकार
की
सख्ती
ने
कई
विपक्षी
दलों
को
गोलबंद
होने
को
मजबूर
कर
दिया
है।
पिछले
पांच
मार्च
को
8
विपक्षी
दलों
ने
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
को
चिट्ठी
लिखकर
विपक्षी
नेताओं
के
खिलाफ
केंद्रीय
जांच
एजेंसियों
के
दुरुपयोग
किए
जाने
का
आरोप
लगाया
था।
इसके
जवाब
में
सत्ताधारी
भारतीय
जनता
पार्टी
की
ओर
से
उन
संबंधित
विपक्षी
नेताओं
के
गृह
राज्यों
में
प्रेस
कांफ्रेंस
आयोजित
करके
सरकार
का
पक्ष
रखने
की
कोशिशें
शुरू
की
गई
हैं।
ऐसे
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
के
माध्यम
से
भ्रष्टाचार
के
खिलाफ
जांच
एजेंसियों
की
कार्रवाई
को
उचित
ठहराने
के
अलावा
मामले
से
संबंधित
तथ्यों
को
पेश
किए
जाने
की
योजना
है।
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विपक्ष
शासित
राज्यों
में
प्रेस
कांफ्रेंस
की
रणनीति
जानकारी
के
मुताबिक
बीजेपी
की
ओर
से
ऐसे
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
कम
से
कम
नौ
राज्यों
में
आयोजित
किए
जा
रहे
हैं।
इनमें
तेलंगाना,
दिल्ली,
पश्चिम
बंगाल,
जम्मू
और
कश्मीर,
पंजाब,
बिहार,
पश्चिम
बंगाल,
केरल
और
महाराष्ट्र
शामिल
हैं।
इनमें
से
जम्मू
और
कश्मीर
और
महाराष्ट्र
के
अलावा
सभी
राज्यों
में
विपक्षी
दलों
की
सरकारें
हैं,
जिनके
कई
नेताओं
पर
भ्रष्टाचार
के
गंभीर
आरोपों
के
तहत
सीबीआई
और
प्रवर्तन
निदेशालय
की
ओर
से
जांच
चल
रही
है।
ध्यान
भटकाने
का
एजेंडा-
बीजेपी
मसलन,
गुरुवार
को
दिल्ली
में
आयोजित
प्रेस
कांफ्रेंस
में
भाजपा
सांसद
मनोज
तिवारी
ने
पीएम
मोदी
को
चिट्ठी
लिखने
वाले
सभी
9
नेताओं
पर
जोरदार
हमला
किया
और
दावा
दावा
किया
के
वे
भ्रष्टाचार
में
लिप्त
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
सीबीआई
और
ईडी
पर
विपक्ष
का
हमला
और
कुछ
नहीं,
बल्कि
असल
मुद्दों
से
जनता
का
ध्यान
भटकाने
का
हथकंडा
है।
पीएम
मोदी
को
लिखे
खत
में
विपक्षी
नेताओं
ने
कथित
'राजनीतिक
विद्वेष
की
कार्रवाई'
का
आरोप
लगाते
हुए
दावा
किया
था
कि
भारतीय
लोकतंत्र
'खतरे'
में
है।
विपक्षी
नेताओं
ने
लिखी
थी
पीएम
मोदी
को
चिट्ठी
दरअसल,
विपक्षी
नेताओं
की
ओर
से
सीधे
प्रधानमंत्री
को
इस
तरह
की
चिट्ठी
लिखने
की
पहल
तब
की
गई,
जब
केंद्रीय
जांच
ब्यूरो
ने
दिल्ली
के
शराब
घोटाला
मामले
में
आम
आदमी
पार्टी
के
नेता
और
दिल्ली
के
पूर्व
उपमुख्यमंत्री
को
लंबी
पूछताछ
के
बाद
गिरफ्तार
कर
लिया
था।
पीएम
को
लिखी
चिट्ठी
पर
हस्ताक्षर
करने
वालों
में
भारत
राष्ट्र
समिति
के
सुप्रीमो
और
तेलंगाना
के
सीएम
के
चंद्रशेखर
राव,
टीएमसी
सुप्रीमो
और
पश्चिम
बंगाल
की
सीएम
ममता
बनर्जी,
आम
आदमी
पार्टी
चीफ
और
दिल्ली
के
सीएम
अरविंद
केजरीवाल,
पंजाब
के
मुख्यमंत्री
भगवंत
मान,
लालू
यादव
के
बेटे
और
बिहार
के
उपमुख्यमंत्री
तेजस्वी
यादव,
नेशनल
कांफ्रेंस
के
फारूक
अब्दुल्ला,
एनसीपी
सुप्रीम
शरद
पवार,
महाराष्ट्र
के
पूर्व
सीएम
उद्धव
ठाकरे
और
समाजवादी
पार्टी
के
प्रमुख
अखिलेश
यादव
शामिल
हैं।
बजट
सत्र
के
अगले
हिस्से
में
भी
विपक्ष
हो
सकता
है
हमलावर
दूसरी
तरफ
विपक्ष
की
ओर
से
भी
13
मार्च
से
शुरू
हो
रहे
संसद
के
बजट
सत्र
के
अगले
भाग
में
केंद्रीय
जांच
एजेंसियों
के
कथित
'दुरुपोग'
का
मुद्दा
उठाए
जाने
की
संभावना
है।
तथ्य
ये
है
कि
बुधवार
को
टीएमसी
ने
केंद्र-राज्य
के
कथित
तौर
पर
बिगड़ते
संबंधों
को
लेकर
राज्यसभा
में
चर्चा
का
नोटिस
दिया
है।
इस
दौरान
विपक्षी
नेताओं
के
खिलाफ
'केंद्रीय
एजेंसियों
के
कथित
दुरुपयोग'
का
मामला
भी
उठाए
जाने
की
संभावना
है।
(कुछ
तस्वीरें-फाइल)