अदालत में फंसा एक हिंदू-मुस्लिम विवाह
भारत की सर्वोच्च अदालत यह तय करेगी कि दंपति का यह विवाह कायम रहना चाहिए या नहीं.
भारत की एक अदालत ने बीते मई महीने में धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बनी हिंदू महिला की मुस्लिम युवक से शादी को रद्द कर दिया था, तब यह निक़ाह मीडिया में सुर्ख़ियों में था. कई लोग इसे कथित 'लव जिहाद' पर कार्रवाई के तौर पर देख रहे थे.
अतिवादी हिंदू समूहों का आरोप है कि मुस्लिम लड़के "हिंदू लड़कियों को मुसलमान बनाने की साजिश" के तहत उनसे शादी करते हैं और इसे ही कथित तौर पर 'लव जिहाद' कहा जाता है.
लंबे समय से रूढ़िवादी भारतीय परिवारों में हिंदू- मुस्लिम विवाह की आलोचना होती रही है लेकिन मुसलमान बनाने की साजिश जैसे आरोप हाल में लगने शुरू हुए हैं.
वैसे दक्षिणी भारतीय राज्य केरल में फ़ैसला महिला के इस दावे के बावजूद आया कि उसने अपनी इच्छा से अपना धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कुबूल किया है.
हादिया और शफ़ीन जहां की अपील की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में हो रही है, जिसने इस मामले में स्वतंत्र जांच के आदेश दिए हैं.
इस मामले को देख रही देश की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का कहना है कि एजेंसी शफ़ीन जहां पर कथित "कट्टरपंथी" आरोपों और उनके प्रतिबंधित इस्लामिक संगठनों से संबंध की जांच कर रही है.
हम आपको वो सब बताते हैं जो इस मामले में अब तक हम जानते हैं-
क्या कश्मीर के लद्दाख़ में हो रहा है 'लव जिहाद'?
क्या है पूरा मामला?
जनवरी 2016 में 23 वर्षीय हिंदू महिला अखिला असोकन ने इस्लाम कुबूल किया. वो अपनी दो मुस्लिम महिला सहपाठियों के साथ एक मकान में रह रही थीं.
उस वक्त वो तमिलनाडु में पढ़ रही थीं. उनके माता-पिता पड़ोसी राज्य केरल में थे.
उसी दौरान एक दिन उनके पिता के.एम. असोकन ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया, क्योंकि उनके अनुसार जब वो कॉलेज में थीं तो हादिया ने अपने माता पिता से संपर्क करना बंद कर दिया था.
उन्हें मालूम चला कि अखिला मुस्लिम बन गई हैं तो उनके पिता असोकन ने केरल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की, इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को जबरन मुस्लिम बनाया गया है और उनकी इच्छा के ख़िलाफ़ उन्हें पकड़ कर रखा गया है.
पिता के आरोप निराधार साबित हुए
लेकिन हादिया ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम कुबूल किया है क्योंकि वो अपने साथ रह रही दो सहपाठियों को इस्लाम धर्म के नियमों का पालन करते देख प्रभावित हुई थीं.
इस प्रकार अदालत ने उन्हें उनकी मर्जी का अनुसरण करने की इजाज़त दे दी क्योंकि उनके पिता के लगाए "ज़बरन पकड़ कर रखने" के आरोप निराधार साबित हुए.
लेकिन पिता असोकन ने बीबीसी को कहा कि उन लड़कियों ने और उनके जानने वालों ने उनकी बेटी का ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन कराया है.
वो कहते हैं, "वो उसे सीरिया भेजना चाहते थे. मुझे इसकी जानकारी उसी ने फ़ोन पर दी थी. मैंने उसकी बात को रिकॉर्ड कर लिया और फिर केस फ़ाइल किया."
असोकन ने एक बार फ़िर अगस्त 2016 में अदालत का दरवाज़ा खटखटाया और दावा किया कि उनकी बेटी भारत से बाहर जा रही है.
दूसरी बार इस मामले की सुनवाई के दौरान हादिया ने मुस्लिम युवक शफ़ीन से शादी कर ली, दोनों की मुलाकात एक मैट्रमोनियल वेबसाइट पर हुई थी.
इस बार, अदालत ने पिता असोकन के पक्ष में फ़ैसला दिया, हादिया की शादी को रद्द करते हुए उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या हादिया का धर्मपरिवर्तन स्वेच्छा से था.
हादिया के पिता असोकन के वकील सी. रविचंद्रन कहते हैं, "यह लव जिहाद का मसला नहीं है. यह जबरन धर्म परिवर्तन का मामला है. उनका जनवरी में जबरन धर्मपरिवर्तन किया गया जबकि उन्होंने शादी दिसंबर में की."
केरल हाई कोर्ट का क्या है कहना?
केरल हाई कोर्ट ने दो फ़ैसले दिए. एक जनवरी 2016 में जबकि दूसरा मई 2017 में. पहला फ़ैसला हादिया के पक्ष आया, जिसमें उनके पिता की अपील की हादिया ने अपनी मर्जी से काम नहीं कर रही को ख़ारिज कर दिया.
लेकिन दूसरे फ़ैसले में हादिया के इस्लाम कुबूल करने को लेकर कहा कि "प्यार के नाम पर" अतिवादी संगठनों ने हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन कराया. अदालत ने "लव जिहाद" के समान ही भाषा का इस्तेमाल किया.
अदालत ने कई कारण बता कर इस शादी को छलावा "दिखावटी" क़रार दिया. अदालत ने हादिया की कस्टडी भी उनके माता-पिता को सौंप दी.
इस मामले में आगे क्या?
शफीन जहां की अपील के बाद इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने बिना सभी पक्षों को सुने हुए, शादी रद्द करने के आदेश को ख़ारिज़ करने से इंकार कर दिया है. हालांकि केरल हाई कोर्ट के इस शादी को रद्द करने पर सवाल ज़रूर उठाए हैं.
अदालत ने एनआईए से भी मामले में पूछा है. एनआईए ने अदालत को बताया कि उसका मानना है कि कुछ मामले ऐसे हैं जिनमें हिंदू महिलाओं को इस्लाम कुबूल करने के लिए फुसलाया गया है.
एनआईए ने कोर्ट को बताया कि उसे शफीन और एक जबरन धर्मांतरण के मामले में समान लिंक मिले हैं.
लेकिन कुछ वकीलों का कहना है कि एनआईए की जांच से इन शादियों पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए. एनआईए ने अब तक बीबीसी के अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
इस जोड़ी के साथ क्या हो रहा है?
हादिया अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं जहां मई 2017 में अदालत ने उन्हें जाने का आदेश दिया था.
शफीन कहते हैं कि उन्होंने हादिया से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनकी तरफ़ से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने हादिया से मुलाक़ात करनी चाही तो उन्हें शफीन के माता-पिता के घर में प्रवेश करने की इजाज़त नहीं मिली.
जब बीबीसी ने हादिया के पिता असोकन से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "हादिया को किससे मिलना है? अगर कोई रिश्तेदार है तो वो उससे मिल सकती है. लेकिन उसे किसी अन्य लोगों से मिलने की क्या ज़रूरत?"
उन्होंने आगे कहा, "अदालत ने उसे मेरे पास भेजने का फ़ैसला किया है. तो उससे मिलने कोई और क्यों आना चाहता है? अगर उन्हें मिलना है तो वो अदालत जाएं. मुझे परेशान क्यों कर रहे हैं?"
हादिया और शफीन से जब बीबीसी ने बात करने की कोशिश की तो उन्होंने यह कहते हुए बात करने से इंकार कर दिया कि यह मामला अदालत में है.
(साथ में दिल्ली से अपर्णा अल्लूरी, बीबीसी न्यूज़)