हार्ट पेशेंट, डायबिटीज और ब्लडप्रेशर के मरीजों को कोरोना का खतरा क्या अधिक होता है, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
बेंगलुरु। कोरोना वायरस से भारत में अब तक 2902 लोग शिकार हो चुके हैं और 68 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस ने जब से भारत में दस्तक दी हैं तभी से सोशल मीडिया और अन्य न्यूज प्लेटफार्म पर कोरोना से जुड़े अधकचरें ज्ञान परोसे जा रहे हैं। जिसके कारण कोरोना से बचाव के लिए सारी ऐतियात बरतनें के बावजूद लोगों को कई तक का डर समाया हुआ हैं। सबसे ज्यादा डर तो हार्ट पेशेन्ट, डायबिटीज और ब्लडप्रेशर से प्रभावित लोगों के मन में हैं। उनको सबसे ज्यादा भ्रम इस बात का हैं कि सामान्य लोगों की अपेक्षा उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण होने का खतरा अधिक है। आइए जानते हैं क्या कहते हैं विशेषज्ञ..
आईसीएमआर की हेल्प लाइन पर हुआ ये खुलासा
बता दें सामान्य लोगों के साथ ही मधुमेह यानी डायबिटीज से प्रभावित लोगों के मन में कोरोना संक्रमण को लेकर कई तरह के भ्रम का खुलासा हाल ही में आइसीएमआर (इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च) पर देशभर से कोरोना हेल्पलाइन पर आने वाले प्रश्नों के दौरान हुआ। जिनमें सैकड़ों की संख्या में लोगों ने डाक्टरों से ये ही प्रश्न किया कि क्या हृदयरोग, मधुमेह या उच्च रक्तचाप के मरीजों को कोरोना वायरस का खतरा अधिक है?
डाक्टरों ने दिया ये जवाब
इसका जवाब हैं नहीं उक्त किसी भी बीमारी की वजह से कोरोना का खतरा अधिक होने का कोई लेना-देना नहीं हैं। उपरोक्त किसी भी बीमारी की वजह से कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं है। डाक्टरों की सलाह है कि इन बीमारियों के मरीजों को चिकित्सकों द्वारा बताई गई दवाओं का नियमित रूप से सेवन करते रहना चाहिए और अगर वो इस दौरान कोई दवा बदलते हैं तो उसे फालो करना चाहिए। सामान्य लोगों की तरह सोशल डिसटेन्सिंग और कोरोना से बचाव संबंधी गाइडलाइन्स का पालन करना जरुरी है।
ये बरतनी चाहिए सावधानी
विशेषज्ञों के अनुसार मधुमेह या उच्च रक्तचाप के मरीजों को इन दिनों बुखार, खांसी, शरीर में दर्द या बीपी या सांस लेने में दिक्कत होती है तो अपने आप से दवाएं लेने के बजाय अपने डाक्टर चिकित्सक की सलाह लेकर उनकी लिखी दवा का सेवन करना चाहिए। । इसके साथ ही चिकित्सक की सलाह के बिना बीपी की दवाएं नहीं बदलनी चाहिए। इन दिनों घर के वृद्धजनों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कई तरह की बीमारियां एक साथ होने पर कोरोना का असर अधिक दिन तक रहता है, जिसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
क्या पेन किलर दवाओं का सेवन करना सुरक्षित होगा, जानें
चिकित्सकों की सलाह है कि दर्द निवारक दवाएं जैसे ब्रूफेन या एस्प्रिन कोविड संक्रमण को बढ़ाने में सहायक होती हैं इसलिए इन दवाओं के इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। सिर दर्द या बदल दर्द होने पर बाम या दर्द निवारक तेल का प्रयोग किया जा सकता है लेकिन जब तक बहुत आवश्यक न हो, दवाओं के सेवन से बचना चाहिए। अधिक जरूरी हो तो पैरासिटामॉल ली जा सकती है, जिसे एक सुरक्षित दवा माना गया है।
सांस के मरीजों को बरतनी चाहिए ये सावधानी
बता दें कोरोना वायरस मनुष्य की श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, इसलिए अस्थमा या सीओपीडी से संबंधित बीमारियों वाले मरीजों को इन दिनों अधिक सुरक्षित रहते हुए सावधानी बरतनी चाहिए। बहुत जरुरी न हो तो घर से बाहर जाना कुछ दिनों के लिए बिलकुल टाल देना चाहिए। चिकित्सकों के अनुसार सांस के मरीजों को इन दिनों मुंह पर मास्क लगाना चाहिए और श्वसन प्रणाली मजबूत करने के लिए प्रणयाम नियमित करना चाहिए। इसके अलाचा आहार में नियमित रूप से हरी सब्जियां और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में शामिल करें और ठंडी चीजों का सेवन करने से बचे।
दिक्कत होने पर टेस्ट के लिए जाने के बजाय हेल्प लाइन नंबर पर फोन करें
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण का शिकार होने के शुरुआती लक्षण खांसी, गले में खराश और बुखार के होता है ऐसे व्यक्ति जिन्हें पहले से सांस के संक्रमण संबंधी दिक्कत होती है, उन्हें अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। अगर दो से तीन दिन में ही बलगम जैसी खांसी की शिकायत होती है, तो कोरोना टेस्ट के लिए घर से बाहर निकलने के बजाय आपको स्वयं को घर में आइसोलेट कर लेना चाहिए और तुरंत प्रदेश सरकार हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करना चाहिए।
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