आम लोगों की मेहनत का पैसा बैंक में सुरक्षित नहीं, इससे गलत कुछ नहीं हो सकता: HDFC चेयरमैन
नई दिल्ली। जिस तरह से पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक में संकट का दौर चल रहा है, उसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा कि यह काफी गलत है कि एक तरफ लगातार लोगों के लोन माफ किए जाते हैं, को-ऑपरेटिव लोन राइट ऑफ किए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ आम आदमी की बचत को बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। पीएमसी बैंक में घोटाले से हजारो लोग प्रभावित हुए हैं, इसके ग्राहकों का पैसा बैंक में फंस गया है। दरअसल आरबीआई ने ग्राहकों को बैंक से अधिकतम पैसा निकालने की लिमिट 25000 रुपए तय किए हैं, जिसकी वजह से लोगों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
इससे बड़ा अपराध कोई नहीं
पारेख ने कहा कि मेरे हिसाब से इससे बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता है कि आम लोगों की मेहनत से कमाई गई इन्कम को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। यह बहुत ही निर्दयी और गलत है कि हमने सिस्टम को लोन माफी, राइट ऑफ करने का अधिकार दिया है। बैंक जब चाहे यह कर सकते हैं, लेकिन हमारे पास ऐसा पुख्ता इंतजाम नहीं है कि लोगों का ईमानदारी से कमाया गया पैसा सुरक्षित रखा जा सके। हालांकि पारेख ने किसी बैंक या विवाद का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका ईशारा साफ तौर पर पीएसबी की ओर था।
भरोसा वित्तीय सिस्टम की रीढ़
एचडीएफसी के चेयरमैन ने कहा कि भरोसा और विश्वास किसी भी वित्तीय सिस्टम की रीढ़ होती है और किसी को इसे तोड़ना नहीं चाहिए। लोगों को मूल्यों और नैतिकता को कमतर नहीं आंकना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह गलत है कि अक्सर इस तरह के मामले सामने आते हैं। बता दें कि पीएमसी बैंक पर लगाई पाबंदियों से नाराज खाताधारकों ने गुरुवार को बीजेपी के मुंबई स्थित दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीएमसी बैंक के खाताधारकों से मुलाकात की और कहा कि आरबीआई इस मामले को देख रहा है।
मदद का आश्वासन
निर्मला सीतारमण ने खाताधारकों को यथा संभव मदद का आश्वासन दिया। निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'इस पूरे मामले का वित्त मंत्रालय से सीधे कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि आरबीआई रेगुलेटर है। हालांकि, फिर भी मैंने अपनी तरफ से मंत्रालय के सचिवों से कहा है कि वे ग्रामीण विकास मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय के साथ मिलकर काम करें।'
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