मोदी-शाह के लिए बड़ी राहत है गुजरात की जीत
कल्पना कीजिए कि जो बढ़त कांग्रेस ने सौराष्ट्र में हासिल की है, वह अगर उसे नहीं मिली होती तो निश्चित रूप से बीजेपी का आंकड़ा 130 के आसपास पहुंच चुका होता।
नई दिल्ली। गुजरात चुनाव के नतीजे बीजेपी को राहत देने वाले हैं। नरेंद्र मोदी-बीजेपी की जोड़ी ने अपना घर बचा लिया है। मार्केट विशेषज्ञ क्रिस्टोफर वुड ने चिंता जताई थी कि अगर गुजरात में मोदी की हार होती है, तो वह उनके लिए वाटरलू साबित हो सकती है। इस लिहाज से भी यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के लिए सुकून की ख़बर है।
पहले चरण में दिखी कांटे की टक्कर
पहले चरण के चुनाव में सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात से जो नतीजे सामने आए हैं उनमें बीजेपी ने दक्षिण गुजरात में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। यहां कांग्रेस से कई सीटें छीनने में उसे कामयाबी मिली। अगर कांग्रेस ने ये सीटें बचा ली होतीं, तो अंतिम नतीजा कुछ और हो सकता था। हालांकि कांग्रेस ने इसकी भरपाई सौराष्ट्र से की, जहां बीजेपी को पाटीदारों की नाराज़गी का नतीजा भुगतना पड़ा। फिर भी, पहले चरण के चुनाव में मुकाबला बराबरी का रहा। पहले चरण में अगर कांग्रेस ने कुल 41 सीटें जीतीं तो बीजेपी ने 48 सीटें लेकर बढ़त बना ली। फिर भी कहा जा सकता है कि पहले चरण में कांटे की टक्कर रही।
दूसरे चरण में पलट गई बाजी
दूसरे चरण में बाजी पलट गई। मध्य गुजरात में बीजेपी ने 26 सीटें जीतकर कांग्रेस पर 12 सीटों की बढ़त बना ली। वहीं उत्तर गुजरात में भी कांग्रेस को मिलीं 21 सीटों के मुकाबले बीजेपी ने 32 सीटें जीतकर 11 सीटों की लीड ले ली। कुल मिलाकर दूसरे चरण में बीजेपी ने 58 सीटें अपनी झोली में डाल लीं तो कांग्रेस को 33 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा।
गठबंधन ने बचाई कांग्रेस की लाज
एक विश्लेषण ये है कि राहुल गांधी ने हार्दिक पटेल के साथ गठबंधन कर अपनी पार्टी की गत और बुरी होने से बचा लिया। कल्पना कीजिए कि जो बढ़त कांग्रेस ने सौराष्ट्र में हासिल की है, वह अगर उसे नहीं मिली होती तो निश्चित रूप से बीजेपी का आंकड़ा 130 के आसपास पहुंच चुका होता। यह गठबंधन कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा बचाने में काम आया।
हिन्दुत्व का एजेंडा ही बीजेपी के आया काम
दूसरा विश्लेषण ये है कि पहले दौर में कड़ी टक्कर का आभास होने के बाद जहां बीजेपी ने हिन्दुत्व के एजेंडे पर दोबारा भरोसा किया, वहीं राहुल गांधी भी जनेऊ दिखाकर उनके एजेंडे में फंस गये। उस पर मणिशंकर अय्यर के बयान को गुजरात की अस्मिता के साथ जोड़ने में नरेंद्र मोदी कामयाब रहे। वे ‘नीच' शब्द को भी भुनाने में सफल रहे। कांग्रेस ने मणिशंकर अय्यर पर कार्रवाई जरूर की, लेकिन वह मतदाताओं को प्रभावित करने के लिहाज से नाकाफी साबित हुई। गुजरात चुनाव नतीजे का संदेश यही है कि कांग्रेस को अभी और मेहनत करनी है जबकि यह चुनाव बीजेपी को भी आगाह करती है कि वह कांग्रेसमुक्त राजनीति का सपना देखना छोड़ दे।