इन 10 सीटों पर राहुल ने की होती थोड़ी सी और मेहनत तो आज गुजरात का ताज होता उनके सिर
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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर गुजरात में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। 182 सीटों में से बीजेपी को 99 और कांग्रेस को 80 सीटें मिली हैं। इसे जानदेश तो कहेंगे लेकिन यह बीजेपी के लिए आसान नहीं था। कांग्रेस ने बीजेपी से आखिरी के समय में खूब मेहनत करवायी। कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी ने खुद मोर्चा संभाला हुआ था और गुजरात की तिकड़ी हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकुर और जिग्नेश मेवाणी को अपने पाले में लाने सफल भी रहे। चुनावी नतीजों को अगर गौर से देखा जाए और समझा जाए तो एक ही बात निकल कर सामने आती है और वो ये कि अगर राहुल गांधी ने थोड़ी मेहनत (रणनीति में फेरबदल) और कर दी होती तो शायद वो गुजरात के बाजीगर बन जाते। जी हां 12 सीटें ऐसी हैं जिस पर बीजेपी ने 3 हजार से कम वोटों से जीत हासिल की। आपको सिर्फ 10 सीटों के बारे में बताते हैं जहां कांग्रेस ने थोड़ा और ध्यान दिया होता तो गुजरात की कुर्सी उनके हाथ होती। क्योंकि कांग्रेस 80 सीटों पर है और अगर 10 सीटें उसे मिल जाती तो शायद सत्ता तक पहुंच सकती थी।
गोधरा में 258 वोटों से हारी कांग्रेस
गोधरा कांड के लिए जाना जाने वाला यह सीट कांग्रेस के हिस्से आते आते रह गया। सिर्फ 258 वोटों ने इस सीट पर नतीजा तय किया। भारतीय जनता पार्टी के सीके राउलजी को जहां 75149 वोट मिले तो कांग्रेस के परमार राजेन्द्रसिंह बणवंतसिंह (लालाभाई) को 74891 वोट मिले। यह सीट राहुल गांधी और कांग्रेस की थोड़ी और कोशिश से जीती जा सकती थी। यह सीट पहले कांग्रेस में रहे सीके राउलजी के पास थी। हालांकि इस चुनाव के लिए उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था। ऐसे में अगर कांग्रेस उन्हें रोकने में कामयाब होती तब भी यह सीट उसके हिस्से में आती।
धोलका में 327 वोटों से हारी कांग्रेस
यहां पर बीजेपी के भूपेन्द्रसिंह मनुभा चुडासमा कांग्रेस के राठोड अश्विनभाई कमसुभाई के खिलाफ खड़े थे। बीजेपी के लिए यह मुकाबला सबसे मुश्किल भरा रहा। भूपेन्द्रसिंह मनुभा चुडासमा को भले ही जीत मिली लेकिन वोट का अंतर सिर्फ 327 रहा। भूपेन्द्रसिंह मनुभा चुडासमा के 71530 वोट के मुकाबले अश्विनभाई कमसुभाई को 71203 मत मिले।
बोटाद में 906 वोटों से हारी कांग्रेस
इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस लगातार आगे पीछे होती रही। भले ही अंत में बीजेपी के सौरभ पटेल (दलाल) 906 वोट से जीत गए हों, लेकिन कांग्रेस के कठथीया धीरजलाल माधवजीभाइ (डी.एम.पटेल) ने उन्हें कड़ी टक्कर दी। अगर कांग्रेस इस सीट पर थोड़ा और जोर लगाती तो परिणाम कुछ और भी हो सकता था।
विजापुर सीट पर 1164 वोटों से मिली हार
पटेल समुदाय के गढ़ में भी बीजेपी को जीत के लिए काफी मेहनत करनी पड़। विजापुर सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने पटेल रमणभाई धुलाभाई ने कांग्रेस के पटेल नाथाभाई प्रभुदास को 1164 वोट से हराया।विजापुर सीट पर पटेल रमणभाई धुलाभाई को 72326 वोट और पटेल नाथाभाई प्रभुदास को 71162 वोट मिले।
हिमतनगर में 1712 वोटों से मिली शिख्स्त
हिमतनगर से भारतीय जनता पार्टी के राजेन्द्रसिंह रणजीतसिंह चावड़ा (राजुभाई चावड़ा) के लिए भी जीत की राह आसान नहीं थी। उन्होंने कांग्रेस के कमलेशकुमार जयंतिभाई पटेल को 1712 वोट से हरा तो दिया, लेकिन कांग्रेस और मेहनत करती तो शायद तस्वीर कुछ और होती।
गारियाधार सीट पर 1876 वोट कम रह गए
भारतीय जनता पार्टी के नाकराणी केशुभाई हिरजीभाई को इस सीट से जीत मिली। हालांकि जीत का अंतर सिर्फ 1876 वोट रहा। इंडियन नेशनल कांग्रेस के खेनी परेशभाई मनजीभाई के 48759 वोट के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी के नाकराणी केशुभाई हिरजीभाई ने 50635 वोट पाकर जीत हासिल की।
उमरेठ सीट पर 1883 वोटों से हारी कांग्रेस
भारतीय जनता पार्टी के गोंविदभाई रईजीभाई परमार ने कांग्रेस के कपीलाबेन गोपालसिंह चावड़ा को 1883 वोट से हराया। भारतीय जनता पार्टी के गोंविदभाई रईजीभाई परमार को 68326 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के कपीलाबेन गोपालसिंह चावड़ा को 66443 वोट मिले।
राजकोट ग्रामीण सीट पर 2179 वोटों से हार
भारतीय जनता पार्टी के लाखाभाई सागठीया को इस सीट पर जीत मिली। यह सीट भी कांग्रेस निकाल सकती थी। जीत का अंतर सिर्फ 2179 वोट का रहा।
खंभात सीट पर 2318 वोट कमी रही
भारतीय जनता पार्टी के महेशकुमार कन्हैयालाल रावल (मयूर रावल ) को इस सीट से जीत हासिल हुई। कांग्रेस के पटेल खूशमनभाई शांतिलाल दूसरे नंबर पर रहे। जीत हार का अंतर सिर्फ 2318 वोट का रहा।
वागरा सीट पर मिली 2628 वोटों से हार
इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के अरुणसिंह अजीतसिंह रणा ने जीत हासिल की। इंडियन नेशनल कांग्रेस के पटेल सुलेमानभाइ मुसाभाइ दूसरे नंबर पर रहे। जीत का अंतर सिर्फ 2628 वोट का रहा।