क्या गुजरात में बीजेपी हार रही है? पार्टी में हताशा के 6 बड़े संकेत
अहमदाबाद। गुजरात में जिस तरह से 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीतने के बाद नरेंद्र मोदी ने पार्टी के भीतर शीर्ष नेता के तौर पर अपनी धाक जमाई और बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर अपनी दावेदारी ठोकी उसके बाद लगातार नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और राजनीतिक कद में बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली, बिहार और पंजाब को छोड़ दें तो तकरीबन सभी अहम प्रदेशों में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की, एक के बाद एक प्रदेशों में पीएम मोदी की लोकप्रियता बढ़ी। लेकिन पीएम मोदी के गृहराज्य गुजरात में इस बार उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक परीक्षा होने जा रही है। खुद प्रधानमंत्री मोदी के बयानों व उनकी गुजरात में बढ़ी हलचल से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ना सिर्फ पीएम मोदी बल्कि पार्टी के भीतर भी गुजरात चुनाव को लेकर चिंता साफ देखी जा सकती है।
मतदान से पहले ही निराश पीएम
प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं, लगातार ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं, इन सबके बाद भी पीएम मोदी इस बात को लेकर आश्वस्त नजर नहीं आ रहे हैं कि गुजरात का परिणाम उनकी अपेक्षा के अनुरूप आएगा। नोटबंदी और जीएसटी को लेकर तमाम विपक्षी दल शुरुआत से ही मोदी सरकार पर निशाना साध रहे है। पीएम मोदी ने जिस तरह से आज (30 नवंबर) एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि उन्होंने सुधार के लिए जो कदम उठाए हैं उसका उन्हें राजनीतिक परिणाम भुगतना पड़ सकता है, और मैं इसके लिए तैयार हूं। पीएम मोदी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब गुजरात में कुछ ही दिनों के बाद मतदान होना है, लिहाजा पीएम के बयान से यह साफ संकेत मिलता है कि वह गुजरात को लेकर पहले की तरह आश्वस्त नजर नहीं आ रहे हैं।
दशकों पुराने मुद्दे उठाने को मजबूर
पीएम मोदी को उनकी भाषण शैली के लिए जाना जाता है, वह लोगों से सीधे संवाद स्थापित करते हैं। इसके लिए वह लोगों से भावुक अपील करते हैं, देशप्रेम, सेना के शौर्य का जिक्र करते हैं। लेकिन जिस तरह से गुजरात में अपनी रैलियों के दौरान इस बार पीएम मोदी दशकों पुराने मुद्दों को उठा रहे हैं, उससे लगता है कि अब वो भावनात्मत मुद्दों पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। पीएम ने सोमवार को सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी के मुद्दे पर लोगों को अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल को कांग्रेस ने वह स्थान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे, साथ ही देश की तमाम समस्याओं के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था। लेकिन इन सब के बीच सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों गुजरात के चुनाव में तमाम विकास के मुद्दों से इतर दशकों पुराने मुद्दों पर पीएम को बोलना पड़ रहा है।
इंदिरा पर दिया बयान उल्टा पड़ा
प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ देश की सत्ता पर काबिज हुए थे, लेकिन केंद्र में तीन साल से अधिक की सरकार और गुजरात में दो दशक से अधिक समय तक भाजपा के शासन के बाद भी इस बार गुजरात के चुनाव में मुद्दों का अभाव साफ नजर आ रहा है। मोरबी में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि अच्छे, बुरे समय में हम मोरबी के साथ थे, लेकिन कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं था। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस को गुजरात से नफरत थी, जब इंदिरा गांधी मोरबी आई थीं, तो उन्होंने अपनी नाक को रूमाल से ढंका था, क्योंकि यहां बदबू आ रही थी, जबकि संघ के कार्यकर्ता कीचड़ में घुसकर काम कर रहे थे, लेकिन पीएम मोदी का यह बयान अब उनपर ही भारी पड़ गया है। उस वक्त की तस्वीरें सामने आई है जिसमें संघ के कार्यकर्ता भी मुंह पर मास्क बांधे हुए हैं।
राहुल की बदली हुई छवि
गुजरात में कांग्रेस को खास तवज्जों नहीं दी जा रही थी, लेकिन जिस तरह से इस बार गुजरात में कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंकी और राहुल गांधी खुद इसकी अगुवाई कर रहे हैं, उसने भाजपा के माथे पर शिकन ला दी हैा। राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव में इस बार बिल्कुल ही अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं, वह पीएम मोदी के विकास के मॉडल पर लगातार हमला बोल रहे हैं, बेरोजगारी, नोटबंदी, जीएसटी सहति तमाम मुद्दों पर वह लगातार तीखे हमले हमले बोल रहे हैं। ना सिर्फ रैलियों में बल्कि सोशल मीडिया पर भी राहुल गांधी का अलग अंदाज देखने को मिल रहा है, उनके फॉलोवर की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
हार्दिक पटेल का पाटीदार जनाधार
भाजपा के लिए मुश्किलें सिर्फ मुद्दों का सूखा ही एक बड़ा मुद्दा नहीं है बल्कि प्रदेश में पाटीदार आंदोलन भी कमल खिलने में बड़ी बाधा नजर आ रहा है। जिस तरह से पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी, कल्पेश ठाकोर ने गुजरात में अपनी धमक दर्ज कराई और कांग्रेस को अपरोक्ष रूप से अपना समर्थन दिया है, उसने भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। यही नहीं हार्दिक पटेल की रैलियों में जुटने वाली लाखों लोगों की भीड़ भी इस बात का संकेत दे रही है कि इस बार मोदी लहर में बड़ी सेंध खुद मोदी के घर में लग चुकी है।
गली-गली घूमने को मजबूर विजय रूपाणी
पीएम मोदी के बयानों के अलावा अगर इस बार गुजरात के चुनाव में भाजपा की रैलियों में जमा होने वाली भीड़ की बात करें तो यह भाजपा के लिए काफी निराशाजनक दिख रही है। खुद प्रधानमंत्री की तमाम रैलियों में कुर्सियां खाली पड़ी रहती है, सोशल मीडिया पर भी तमाम ऐसी तस्वीरें और वीडियो वायरल हुई हैं, जिसमें बड़ी संख्या में खाली कुर्सियां देखी जा सकती है। आलम यह है कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को दो पहिया वाहनों पर गली-गली में घूमना पड़ रहा है और इस दौरान भी उनके साथ इक्का-दुक्का लोग नजर आ रहे हैं।
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