
लड़कियों की शादी की उम्र वाले विधेयक की जांच वाली संसदीय समिति में 31 सदस्य, लेकिन महिला सांसद सिर्फ एक
नई दिल्ली, 2 जनवरी: हाल ही में मोदी सरकार ने शादी के लिए लड़कियों की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने का ऐलान किया था। इसके बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में इससे जुड़ा बिल पेश किया। इस विधेयक को जांच के लिए 31 सदस्यीय संसदीय पैनल के पास भेजा गया है, जिसके अध्यक्ष बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनय सहस्रबुद्धे हैं। हैरानी की बात तो ये है कि महिलाओं से जुड़े इस बिल की जांच कर रही टीम में सिर्फ एक महिला सांसद सुष्मिता देव हैं। जिस वजह से इस पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि अगर इस समिति में ज्यादा महिला सांसद होतीं, तो अच्छा रहता। फिर भी वो पूरी कोशिश करेंगी कि सभी हित समूहों की बात इसमें सुनी जाए। वहीं एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने इस समस्या का एक बेहतरीन समाधान बताया है। उन्होंने कहा कि पैनल के अध्यक्ष के पास ये अधिकार है कि वो अन्य महिला सांसदों को व्यापक चर्चा के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। ऐसे में उन्हें इस पर विचार करना चाहिए।
टास्क फोर्स ने की थी सिफारिश
आपको बता दें कि जया जेटली की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स ने नीति आयोग में महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के प्रस्ताव की सिफारिश की थी। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. वीके पॉल भी इस टास्क फोर्स का हिस्सा थे। अपनी रिपोर्ट में टास्क फोर्स ने कहा था कि महिलाओं को बच्चे को जन्म देने के लिए न्यूनतम उम्र 21 साल होनी चाहिए। इस पर विचार करने के बाद मोदी सरकार ने लड़कियों की शादी की उम्र 21 करने का ऐलान किया।
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बहुत से लोगों ने किया विरोध
वैसे ज्यादातर महिलाओं ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया, लेकिन सांसदों का एक तबका ऐसा भी है जिसे ये बदलाव पसंद नहीं आया। इस ऐलान पर संसाद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर लिखा था कि 18 साल की आयु के महिला-पुरुष व्यापार शुरू कर सकते हैं, समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, प्रधानमंत्री चुन सकते हैं लेकिन शादी नहीं कर सकते हैं। इसके बाद सपा के दो सांसदों ने लड़कियों को लेकर विवादित बयान दिया था। हालांकि सरकार साफ कर चुकी है कि ये बदलाव जरूर होगा।