गिलगित-बाल्टिस्तान क्या है, PoK की तरह पाकिस्तान ने इस भारतीय क्षेत्र पर कैसे पाया अवैध कब्जा ? जानिए
Gilgit-Baltistan News: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के गुरुवार के बयान के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर ( PoK)और गिलगित-बाल्टिस्तान का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। जहां तक पीओके का सवाल है तो उसके बारे में काफी कुछ जानकारी है। लेकिन, गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का कब्जा कैसे हुआ, यह जानकारी बहुत ही दिलचस्प है। आमतौर पर लोग पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले इस हिस्से को भी पीओके का हिस्सा मान लेते हैं, लेकिन दोनों में मूल अंतर है। पीओके पर पाकिस्तान ने कबायलियों को हथियार बनाकर जबरन घुसपैठ के सहारे कब्जा किया था। लेकिन, गिलगित-बाल्टिस्तान में अंग्रेज ही आग लगाकर गए हुए हैं और उसपर गैर-कानूनी कब्जे के लिए पाकिस्तान ने एक अंग्रेजी कानून को ही हथियार बनाया था।
'हमारी यात्रा गिलगित-बाल्टिस्तान पहुंचकर संपन्न होगी'
गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार( 27 अक्टूबर) को शौर्य दिवस के मौके पर जो कुछ भी कहा है, वह हमेशा से भारत की आधिकारिक लाइन है। उनके मुताबिक, अब तो भारत ने 'उत्तर दिशा की ओर चलना प्रारंभ' कर दिया है और यात्रा तो तब संपन्न होगी जब 'हम........बाकी बचे हिस्से (पीओके के अलावा) गिलगित और बाल्टिस्तान तक पहुंचेंगे।' वे बोले कि इसके साथ ही, '22 फरवरी, 1949 को भारतीय संसद से सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव पर अमल हो जाएगा।' शौर्य दिवस कश्मीर के भारत में औपचारिक विलय के बाद भारतीय सेना के श्रीनगर पहुंचने की यादगारी के तौर पर मनाया जाता है।
गिलगित-बाल्टिस्तान क्या है
गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान की ओर से अवैध रूप से कब्जा किया हुआ उसका सबसे उत्तरी क्षेत्र है, जहां से चीन के शिंजिआंग स्वायत्त क्षेत्र तक जमीन से रास्ता जुड़ता है। तथ्यात्मक तौर पर यह जम्मू-कश्मीर की पूर्ववर्ती रियासत का हिस्सा है, जिसका आजादी के बाद पूर्ण रूप से भारत में विलय हो चुका है। लेकिन, गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान के उसी तरह अवैध कब्जे में है, जैसे कि इसका दक्षिणी हिस्सा यानि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर है। पश्चिम में इसकी सीमा अफगानिस्तान से सटी है और पूरब में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर है।
गिलगित-बाल्टिस्तान का इतिहास
ऐतिहासिक तौर पर गिलगित जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा तो था, लेकिन अंग्रेजों ने 1935 में इसे वहां के हिंदू शासक महाराजा हरि सिंह से लीज पर ले लिया था। भारत की आजादी के बाद जब कबायलियों का नकाब ओढ़कर पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर घाटी की ओर मार्च करना शुरू किया तो महाराजा हरि सिह ने 26 अक्टूबर, 1947 को भारत में विलय के संधि पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। तब जाकर 27 अक्टूबर को भारतीय सेना श्रीनगर में उतरी और घुसपैठियों को खदेड़ना शुरू किया। लेकिन, गिलगित में इससे पहले हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह के सुर फूट पड़े थे। उसी साल 1 नवंबर को एक स्थानीय राजनीतिक संगठन रिवॉल्यूशनरी काउंसिल ऑफ गिलगित-बाल्टिस्तान ने उसकी आजादी की घोषणा कर दी। जैसा कि पहले से लगभग तय था 15 नवंबर को उन्होंने उस क्षेत्र को पाकिस्ताम में शामिल करने का ऐलान कर दिया। पाकिस्तान ने इसे स्वीकार करते हुए ऐलान किया कि उस इलाके पर फ्रंटियर क्राइम्स रेगुलेशन के तहत शासन किया जाएगा। अंग्रेजों ने यह कानून ब्रिटिश साम्राज्य के उत्तर-पश्चमी इलाकों में आदिवासी क्षेत्रों पर कब्जा जमाए रखने के लिए बना रखा था।
गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ अंग्रेजों ने कैसे किया खेल
जब अंग्रेजों ने इलाके को लीज पर लिया था तो उसने इसपर नियंत्रण रखने के लिए गिलगित स्काउट्स नाम की एक छोटी सी फौज तैयार की थी। कहने के लिए तो यह फौज महाराजा के नाम पर संचालित होनी थी, लेकिन इसका असल मकसद ब्रिटिश साम्राज्य के हितों की रक्षा करना था। 1947 के अगस्त में जब अंग्रेज यहां से जाने लगे तो उन्होंने कहने के लिए गिलगित को हरि सिंह को लौटा दिया। तब महाराजा ने तत्काल ब्रिगेडियर घनसार सिंह सिंह को गिलगित का गवर्नर बनाकर भेजा। लेकिन, महाराजा के खिलाफ उसी गिलगित स्काउट्स ने बगावत का ऐलान कर दिया, जिसका नेतृत्व तब अंग्रेजी मेजर विलियम एलेक्जेंडर ब्राउन के हाथों में था। 1 नवंबर, 1947 को ब्राउन ने गवर्नर घनसार सिंह को हिरासत में ले लिया और अपने मुख्यालय पर पाकिस्तानी झंडा फहरा दिया। गिलगित स्काउट्स बाल्टिस्तान पर कब्जे के लिए भी आगे बढ़ी, जो तब लद्दाख का हिस्सा था। उसने स्कार्दु, कारगिल और द्रास पर भी कब्जा कर लिया। हालांकि, अगस्त, 1948 में भारतीय सेना ने कारगिल और द्रास को फिर अपने कब्जे में ले लिया।
गिलगित-बाल्टिस्तान की मौजूदा स्थिति क्या है
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की तरह गिलगित-बाल्टिस्तान भी पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है, लेकिन इसकी प्रशासनिक व्यवस्था पीओके से अलग है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के पास तो कहने के लिए अपना संविधान भी है और वहां चुनावों के नाम पर खानापूर्ति भी होती रहती है, लेकिन वहां पूरी तरह से पाकिस्तान की मर्जी थोपी जाती है। लेकिन, गिलगित-बाल्टिस्तान को मूलरूप से पाकिस्तानी कार्यपालिका की व्यवस्था के तहत शासन के लिए तैयार किया गया है। 2009 तक इस क्षेत्र को वहां सिर्फ उत्तरी क्षेत्र कहा जाता था। लेकिन, 2009 में नॉदर्न एरिया लेजिस्लेटिव काउंसिल बनाई गई, जिसमें कहने के लिए विधानसभा की भी व्यवस्था की गई है। हालांकि, इसका काम पाकिस्तान के कश्मीर मामलों और उत्तरी क्षेत्र के मंत्री को सलाह देने से ज्यादा कुछ भी नहीं रहा है। यहां के लोग इससे ज्यादा स्वायत्ता की मांग करते रहे हैं। चुनाव काफी समय से होने बंद हैं। 1 नवंबर, 2020 को तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने इस क्षेत्र को 'प्रॉविजनल प्रॉविंशियल स्टैटस ' देने की घोषणा की थी। लेकिन, यह हुआ नहीं और हो जाएगा तो गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान का पांचवां प्रांत की तरह हो सकता है।
गिलगित-बाल्टिस्तान पर भारत का स्टैंड
भारत ने शुरू से अपनी स्थिति साफ कर रखी है कि जम्मू और कश्मीर रियासत का पूरा का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है। पाकिस्तान ने पहले भी गिलगित-बाल्टिस्तान को अपना प्रांत बनाने की चाल चली है, जिसपर भारत ने बार-बार सख्त ऐतराज जताया है। वहां की प्रशासनिक व्यवस्था में किसी भी तरह की फेरबदल पर भारत तत्काल और जोरदार तरीके से आपत्ति दर्ज करता है, क्योंकि पीओके की तरह ही, उस इलाके पर भी पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है। 11 मार्च, 2020 को भारत सरकार ने संसद में कहा था, 'अटल और सिद्धांत पर आधारित स्थिति, जैसा कि दोनों सदनों की ओर से सर्वसम्मति से पारित संसद के प्रस्ताव में भी बताया गया है, ये है कि पूरे जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश भारत के अभिन्न अंग रहे हैं, हैं और रहेंगे।' यह भी साफ किया गया है कि 'सरकार पाकिस्तान के गैर-कानूनी और जबरन कब्जे वाले इलाकों समेत भारत के क्षेत्रों में होने वाली सभी घटनाओं की निगरानी करती है।'(कुछ तस्वीरें-सांकेतिक)