कोरोना वायरस के साथ जीने की आदत डाल लें, मशहूर वायरोलॉजिस्ट का दावा
नई दिल्ली- दुनिया के मशहूर वायरोलॉजिस्ट इयान लिपकिन ने दावा किया है कि लोगों को आगे भी कोरोना वायरस के साथ ही जीने को मजबूर होना पड़ सकता है जैसे कि कई बीमारियां अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं की जा सकी हैं। उनका अनुमान है कि हर साल अपने सीजन में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल सकता है और इसके वैक्सीन आने में भी अभी एक साल लग सकते हैं।
डॉक्टर इयान लिपकिन ने इंडिया टुडे से बातचीत में कोरोना वायरस को लेकर जो दावा किया है, उससे लगता है कि इस वायरस से पूरी तरह से छुटाकारा पाना आसान नहीं है। इनका डायग्नोस्टिक्स और संक्रमण के प्रकोपों से जुड़े मामलों में 30 साल का अनुभव है और वे कोलंबिया यूनिवर्सिटी के मेलमैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ स्थित सेंटर फॉर इंफेक्शन एंड इम्यूनिटी के डायरेक्टर भी हैं।
लिपकिन का कहना है कि कोरोना वायरस बहुत ज्यादा संक्रमित होने वाला रोग है और अभी भी नहीं बताया जा सकता है कि यह कितने लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है। क्योंकि, कई बार इसके लक्षण बहुत ही मामूली होते हैं या बिल्कुल ही नजर नहीं आते। उन्होंने यह आशंका भी जताई है कि दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मौसमी फ्लू की तरह कोरोना वायरस से संक्रमित होगा जो हर साल 25,00,00 से 60,00,00 लोगों को प्रभावित करता है।
उन्होंने कहा है कि एंटीबॉडी ही इस वायरस से संक्रमित लोगों के पता लगाने का एकमात्र तरीका है और यह भी नहीं जानते कि क्या कभी इसका अंत भी होगा या फिर हमें दूसरी बीमारियों जैसे कि मिजिल्स की तरह ही इसके साथ ही रहना पड़ सकता है। यह वायरस अगले सीजन में फिर से वापस आ सकता है। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि तब तक इसकी वैक्सीन आ जाएगी। यानि वैक्सीन आने में भी अभी एक साल बाकी है।
उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि अगर अस्वस्थ महसूस करें तो खुद को अलग कर लें। उन्होंने पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करते वक्त हाथ में ग्लोव्स पहनने की भी सलाह दी है। उन्होंने ये भी कहा है कि इस वायरस से दहशत में आने की जरूरत नहीं है, बल्कि सावधानी ही बेहतर उपाय है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा 1 फीसदी से भी कम पर स्थिर हो जाएगा।
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