जिसने मां गंगा को रुला दिया, मोक्षदायिनी में बहते शवों के पीछे की हिला देने वाली कहानी
नई दिल्ली, 15 मई। कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश में कोहराम मचा रखा है। मौतों की बढ़ती संख्या के चलते देश में पहली बार शमशानों में लंबी कतारें देखीं गईं तो ऐसा दर्दनाक मंजर भी दिखा शव नदियों में बहते नजर आए। पिछले दिनों बक्सर में ऐसा ही नजारा देख हड़कंप मच गया जब एक साथ 100 के करीब शव गंगा में उतराते नजर आए थे। गंगा में शवों की तस्वीरों ने पूरे देश को हिला दिया तो मरने वालों का सम्मान से अंतिम संस्कार न नसीब होने को लेकर बिहार सरकार पर भी सवाल उठने लगे। इस बीच प्रशासन ने ये दावा भी किया कि सारे शव स्थानीय नहीं है बल्कि बहकर यहां तक पहुंचे हैं। शवों की हालत इस तरह थी कि उनका बिना पोस्टमार्टम किए ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसके साथ ही ये सवाल भी अनसुलझा रह गया कि ये लोग कौन थे? क्या वजह थी जो इन शवों को गंगा में बहा दिया गया? ये भी नहीं पता कि इन शवों की गिनती कोविड से हुई मौतों में दर्ज है या नहीं। मोक्षदायिनी गंगा को भी रुला देने वाले शवों की कहानी क्या है।
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क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
इंडिया टुडे ने इसे लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें गाजीपुर से बक्सर के बीच का सफर नदी में नाव के रास्ते तय किया गया। इसमें पाया गया कि भले ही इन लाशों के कोविड संक्रमित होने की आशंका जताई जा रही हो लेकिन नदी से शव निकालने के काम में लगे सभी लोगों को पीपीई किट और सुरक्षात्मक उपकरण तक नहीं मुहैया कराई गए।
जब प्रशासन की टीम नदी में शवों के नजर आने पर प्रशासन की टीम उन्हें निकालने में जुटती है तो वहां पर स्थानीय लोग इकठ्ठा हो जाते हैं। गाजीपुर में ऐसे ही एक युवक से इंडिया टुडे की टीम ने सवाल किया तो उसने बताया कि इस जगह पर नदी मुड़ रही है इसलिए यहां पर शव यहां पर आ जा रहे हैं।
वहीं एक अन्य युवक ने बताया कि ये शव यहां के आस-पास के नहीं हैं। ये सभी शव दूसरे इलाकों से बहकर यहां तक पहुंचे हैं। गांव के लोगों को गुमराह किया जा रहा है। यह सही संदेश नहीं दे रहा है।
बीजेपी विधायक का क्या है कहना?
सुनीता सिंह गाजीपुर से सत्ताधारी बीजेपी की विधायक हैं। वह कहती हैं कि नदी के किनारे शवों को प्रवाहित करना एक पुरानी मान्यता है। जब उनसे पूछा गया कि यह शव कहां से आ रहे हैं तो उन्होंने कहा "यह महत्वपूर्ण नहीं है। हमें पता चला है कि लोग प्रयागराज में शवों को प्रवाहित कर रहे हैं जो धारा के साथ बहते हुए आगे बढ़ रही हैं। ये शव हवा की दिशा के साथ के अनुसार भी बहते हैं।
डीएम
का
जागरूकता
अभियान
एक
तरफ
जहां
प्रशासन
नदियों
पर
नजर
रख
रहा
है
वहीं
ग्रामीणों
को
जागरूक
भी
किया
जा
रहा
है।
गाजीपुर
डीएम
बताते
हैं
कि
पेट्रोलिंग
टीम
लगातार
लोगों
को
जागरूक
कर
रही
है।
प्रशासन
के
लोगों
तक
पहुंच
रहे
हैं
और
यह
सुनिश्चि
कर
रहे
हैं
कि
लोगों
को
कोई
समस्या
तो
नहीं
है।
यह
अभियान
इसलिए
किया
जा
रहा
है
कि
लोगों
को
समस्या
का
सामना
न
करना
पड़े।
गांव
पहले
ही
कोरोना
महामारी
के
चलते
परेशान
हैं
ऐसे
में
प्रशासन
की
पूरी
कोशिश
है
कि
यहां
रहने
वाले
कोई
नई
मुसीबत
में
न
घिरें।
पुलिस
कर
रही
गश्त
पुलिस
भी
नदी
पर
नजर
रख
रही
है।
पुलिस
टीम
नदी
में
नावों
से
गश्त
कर
रही
है
साथ
ही
बाइक
से
भी
लोगों
को
नदी
में
शव
न
फेंकने
का
अनुरोध
कर
रही
है।
पुलिस
टीम
यह
घोषणा
कर
रही
है
कि
अगर
ग्रामीणों
के
पास
लकड़ी
का
स्टॉक
नहीं
है
तो
वे
प्रशासन
से
ले
सकते
हैं।
पुलिस
टीम
को
कहते
सुना
जा
सकता
है
कि
"कृपया
शवों
को
न
फेंके।
प्रशासन
आपकी
मदद
के
लिए
है।
हम
आपके
परिवार
के
सदस्य
के
अंतिम
संस्कार
में
मदद
करें।"
आगे का मंजर और दहलाने वाला
इसके बाद इंडिया टुडे की टीम ने एक नाव में बैठकर गाजीपुर से नौबतपुर की यात्रा शुरू की। जैसे ही टीम हालात का जायजा लेने के लिए आगे बढ़ी उन्हें समझ आ गया कि उन्होंने अब तक जो देखा था वह इस दर्दनाक मंजर की एक छोटी सी झलक भर था। नदी के रास्ते आगे बढ़ने पर उन्हें दर्जनों शव नदी में बहते हुए मिले। लगभग हर मोड़ पर एक शव पत्थरों में फंसा हुआ या उतराता हुआ नजर आया।
लेकिन यह यहीं नहीं खत्म होता है। नदी के दूसरे किनारे पर ये मंजर और हौलनाक हो जाता है। नदी के किनारे पर लाशें बुरी स्थिति में पहुंच गई हैं और उन्हें कौवे और कुत्ते नोच रहे थे। यह नजारा दहला देने वाला था। टीम की कुछ घंटे की यात्रा में उसे अनगिनत शव नजर आए।
गंगा उत्तराखंड के हरिद्वार से बहते हुए, यूपी के कानपुर, प्रयागराज, बनारस, गाजीपुर होते हुए, बिहार के रास्ते आगे बंगाल निकल जाती हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि दूर गांवों से लोग शव लेकर पहुंचते हैं और रात का फायदा उठाकर सीधे नदी में फेंक देते हैं। वर्तमान में ये शव किनारे पर जमा हो रहे हैं। पिछले 15 दिनों में इन शवों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ये शव गाजीपुर से ही बहते नजर आ रहे हैं।
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