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Flashback 2020:आत्मनिर्भर भारत और राष्ट्रीय शिक्षा नीति से लेकर कृषि कानून तक, केंद्र सरकार के बड़े फैसले

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नई दिल्ली- जनवरी-फरवरी को छोड़कर यह साल शुरू से कोरोना वायरस महामारी की चपेट में रहा है। यह ऐसा समय बीत रहा है, जब सारी तय की योजनाएं कोविड-19 की वजह से धरी की धरी रह जाती हैं। अमेरिका और यूरोप के विकसित देश भी इस संक्रमण के सामने घुटने टेकते नजर आए हैं। लेकिन, करीब 140 करोड़ की आबादी वाले भारत ने फिर भी इस संकट का अब तक पूरे हौसले के साथ सामना किया है। इस अदृश्य आफत से निपटना बहुत ही चुनौतीपूर्ण है, लेकिन फिर भी भारत ने उसे तुलनात्मक रूप से काफी नियंत्रण में रखा है। सरकार की सारी ऊर्जा इसी के इंतजामों में लगी रही, लेकिन बावजूद इसके केंद्र सरकार ने इस संकट के वक्त में भी कई बड़े कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार के कई फैसलों का इस संक्रमण से सीधा नाता भी रहा है। यहां उन्हीं चुनिंदा फैसलों के बारे में बात कर रहे हैं, जो भयानक संक्रामक बीमारी के दौर में भी लिए गए हैं।

देशव्यापी लॉकडाउन

देशव्यापी लॉकडाउन

भारत जैसे विशाल और लोकतांत्रिक देश में एक झटके में देशव्यापी लॉकडाउन का फैसला मोदी सरकार का साल 2020 का सबसे बड़ा फैसला माना जा सकता है। इस फैसले के फायदे-गरफायदे पर बहस हो सकती है, लेकिन कोविड-19 संक्रमण की रफ्तार रोकने और उसके खिलाफ हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने के लिए जो कदम उठाया गया, वह ऐतिहासिक था। 24 मार्च को रात आठ बजे राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी रात 12 बजे से 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। सभी आपात और आवश्यक सेवाओं को इस लॉकडाउन से बाहर रखा गया। रेल, वायु और सड़क परिवहन सब बंद हो गए। फैक्ट्रियों में उत्पादन बंद हो गया और ऑफिसों का कामकाज ठप हो गया। पूरा देश एक साथ अपने-अपने घरों में बंद हो गया। बाद में इस लॉकडाउन को कई चरणों में आगे भी बढ़ाया गया और उसमें आवश्यकता के मुताबिक जरूरी रियायतें भी दी गईं।

आत्मनिर्भर भारत अभियान

आत्मनिर्भर भारत अभियान

ऐसे समय में जब दुनिया जानलेवा महामारी से जूझ रही थी, भारत ने संकल्प को अवसर में बदलने का फैसला किया और देश को आत्मनिर्भर बनाने का फैसला किया। 12 मई, 2020 को दिए राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत शब्द का जिक्र किया। उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान (Self- Reliant India Movement) का नाम दिया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों को भी परिभाषित किया- इकोनॉमी (Economy), इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure), सिस्टम (System), डेमोग्राफी (Demography) और डिमांड (Demand)। इस मौके पर उन्होंने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के वोकल फॉर लोकल पर जोर दिया और उन्होंने ग्लोबल बनाने की बात कही। इस दौरान प्रधानमंत्री ने समाज के हर वर्ग के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक सहायता पैकेज का भी ऐलान किया।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (PMGK)

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (PMGK)

कोरोना संकट के दौरान गरीबों की सहायता के लिए मार्च महीने में ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की गई थी। इस पैकेज के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया गया। इसके तहत 80 करोड़ लोगों को तीन महीने तक हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज (गेहूं अथवा चावल), एक किलो दाल दिए जाने की व्यवस्था की गई। 8 करोड़ गरीब परिवारों को तीन महीने तक मुफ्त गैस सिलेंडर दिए गए। मनरेगा की मजदूरी 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी गई, जिसका लाभ 13.62 करोड़ परिवारों को मिलना था। 3 करोड़ गरीब वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं, दिव्यांगों को 1,000 रुपये दिए गए। पीएम-किसान के तहत 8.7 करोड़ किसानों को 2,000 रुपये जारी किए गए। हेल्थ वर्करों को 50 लाख रुपये का बीमा कवर दिया गया। इस गरीब कल्याण पैकेज का दायरा काफी बड़ा था।

रेहड़ी-पटरी वालों को पहली बार लोन (PM SVANidhi Scheme)

रेहड़ी-पटरी वालों को पहली बार लोन (PM SVANidhi Scheme)

लॉकडाउन से प्रभावित हुए रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे-मोटे कारोबारियों की सहायता के लिए केंद्र सरकार 1 जून से पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि लॉन्च की, ताकि वो अपना कारोबार फिर से खड़ा कर सकें। इस योजना के जरिए न केवल रेहड़ी-पटरी वालों को पहली बार लोन देने की व्यवस्था की गई, बल्कि उनके समग्र विकास और आर्थिक उन्नति पर भी ध्यान दिया गया है। इस स्कीम के तहत शहरी इलाकों के स्ट्रीट वेंडर्स 1 साल के लिए 10,000 रुपये तक का कोलेट्रल फ्री लोन ले सकते हैं, यानि इसके लिए उन्हें कोई गारंटी देने की जरूरत नहीं है। इस योजना का लाभ लगभग 50 लाख छोटे कारोबारियों को मिलने की उम्मीद है। लोन को नियमित चुकाने पर सालाना 7 फीसदी तक ब्याज में भी सब्सिडी दी जाती है। यह योजना 2022 मार्च तक चलेगी।

कृषि कानून

कृषि कानून

केंद्र सरकार ने कृषि सुधारों के मद्देनजर इस साल पहले महत्वपूर्ण कृषि अध्यादेश लागू किया। जिन्हें सितंबर में संसद के मानसून सत्र में तीन कृषि विधेयकों के रूप में पास करा लिया। ये तीनों नए कृषि कानून हैं- दि फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन),दि फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एस्सयोरेंस और फार्म सर्विस एंड एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) ऐक्ट। 27 सितंबर को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही ये तीनों बिल कानून बन गए। केंद्र सरकार का कहना है कि इन कृषि सुधारों से कृषि क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। वह इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सप्लाई चेन खड़ा करने में निवेश करेंगे। जिन छोटे किसानों को अभी अपने कृषि उत्पादों का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता, वह अपनी मर्जी से उसे कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे। किसान मौजूदा मंडियों से बाहर भी अपने उत्पाद बेच सकेंगे, जिससे प्रतियोगिता बढ़ेगी और लाभ किसानों को मिलेगा। लेकिन, किसान पहले इसमें एमएसपी और मंडी की गारंटी चाहते थे। सरकार ने वह भी भरोसा दिया है। लेकिन, अब किसान इन कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy 2020,NEP)

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy 2020,NEP)

केंद्र सरकार ने इस साल 29 जुलाई से नई शिक्षा नीति लॉन्च की है। मोदी सरकार ने इसकी घोषणा इस साल बजट में ही की थी और शिक्षा क्षेत्र के लिए 99,300 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। नई शिक्षा नीति के तहत देश में 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। अब यह फॉर्मेट 5+ 3+ 3+ 4 के अनुसार चलेगा। पहले हिस्से में प्राइमरी से दूसरी तक, दूसरे में तीसरी से पांचवीं तक, तीसरी में छठी से आठवीं तक और आखिरी में नौवीं से 12वीं तक की शिक्षा को शामिल किया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़े सुधार किए गए हैं। इस शिक्षा नीति में खासतौर पर पांचवीं तक के बच्चों को मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा सिखाने पर जोर दिया गया है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट नए भारत में लुटियंस दिल्ली का लुक बदलने वाला बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, जिसकी 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधारशिला रखी है। इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली में संसद भवन के पास ही एक नई संसद भवन बननी है, साथ ही राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक राजपथ का नए सिरे से विकास होना है। नई संसद भवन की इमारत 64,500 वर्ग मीटर इलाके में फैली होगी और वहां पर एक साथ 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। इस परियोजना के तहत प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति का नया आवास भी बनना है और यह सब उनके कार्यालयों के बेहद नजदीक बनेंगे। साथ ही साथ नया केंद्रीय सचिवाल भी बनाया जाएगा और संसद भवन में सभी सांसदों के लिए अलग से कमरे भी बनाए जाएंगे। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर कुल 971 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। तय योजना के मुताबिक नई संसद 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगी और पूरे प्रोजेक्ट के पूरा होने की समय-सीमा 2024 रखी गई है।

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English summary
Flashback 2020:self-reliant India-national education policy to farm law, major decisions of central government
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