Flashback 2019: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाए 8 अहम फैसले, जो बन गए नजीर
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नई दिल्ली- सुप्रीम ने इस साल करीब 7 दशक से चल रहे अयोध्या मामले के अलावा कई ऐसे मामलों में फैसला सुनाया है, जो भविष्य के लिए भी मिसालें बन गई हैं। इन ऐतिहासिक फैसलों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का योगदान बहुत ही अहम रहा है। सबसे बड़ी तो अयोध्या में कि उन्होंने काफी आलोचनाएं सुनने के बावजूद भी आपसी बातचीत से मसले को निपटाने को आखिरी मौका दिया था। लेकिन, जब यह एक बार फिर नाकाम हुआ तो उन्होंने 40 दिन तक, छुट्टियों में भी सुनवाई पूरी करके उस पर फैसला सुनाकर इस विवाद का हमेशा-हमेशा के लिए अंत करने की कोशिश की। आइए इस साल सुप्रीम कोर्ट के उन महत्वपूर्ण फैसलों पर एक नजर डालते हैं, जो भविष्य के लिए भी उदाहरण बन चुके हैं।
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार को झटका
पिछले 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार को ओपन बैलेट के जरिए लाइव टेलिकास्ट के दौरान 30 घंटे के अंदर विधानसभा में बहुमत साबित करने के आदेश दिए थे। अदालत ने उन्हें अगले दिन शाम 5 बजे तक बहुमत साबित करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर ये हुआ कि देवेंद्र फडणवीस ने बहुमत साबित किए बिना ही, अदालत के फैसले वाले दिन ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। दरअसल, शिवसेना और कांग्रेस ने सुप्रीम में अर्जी दी थी कि बीजेपी सरकार के पास बहुमत नहीं है, फिर भी राज्यपाल ने फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी।
कर्नाटक में 15 विधायकों की अयोग्यता बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर को कर्नाटक विधानसभा के अयोग्य ठहराया गए 15 बाकी विधायकों पर फैसला सुनाया जिन्हें तत्कालीन स्पीकर ने दल-बदल कानून के तहत अयोग्य करार दिया था। सर्वोच्च अदालत ने विधायकों को अयोग्य ठहराने के स्पीकर के फैसले को बरकरार रखा। हालांकि, अदालत ने यह साफ कर दिया कि उन विधायकों के उपचुनाव लड़ने पर कोई पाबंदी नहीं रहेगी। जबकि, स्पीकर ने फैसला दिया था कि वे विधायक 15वीं कर्नाटक विधानसभा के वजूद में रहते कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ सकते।
देश के चीफ जस्टिस का दफ्तर आरटीआई के दायरे में
13 नवंबर को ही एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भारत के मुख्य न्यायधीश के दफ्तर को सूचना अधिकार के दायरे में होने की बात कही। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने सीजेआई के दफ्तर के आरटीआई कानून के दायरे में होने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि पारदर्शिता से न्यायिक स्वतंत्रता कोई दिक्कत नहीं है। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली संविधान पीठ केस-टू-केस बेसिस और आरटीआई सेफगार्ड्स के दायरे में सैद्धांतिक तौर पर सीजेआई के दफ्तर से जुड़ी सूचनाओं को साझा करने पर सहमति जता दी।
राफेल डील पर विपक्ष को झटका
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 14 नवंबर को मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए, राफेल मामले में कोर्ट की अगुवाई में आपराधिक जांच की मांग वाली पुर्विचार याचिकाएं ठुकरा दी। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ ने एक मत से इस केस से जुड़ी सभी संबंधित पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें ऐसा नहीं लगता है कि इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज होनी चाहिए या फिर किसी तरह की जांच की जानी चाहिए। गौरतलब है कि तमाम पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 को राफेल डील की प्रक्रिया को सही ठहराया था।
राहुल गांधी को मिली माफी
राफेल डील से जुड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को 'चौकीदार चोर है' वाले बयान पर माफी दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राफेल मामले में उनकी 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी को गलत ठहराते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि राहुल की टिप्पणी सच्चाई से दूर थी और उन्हें ऐसी टिप्पणियों से बचना और सावधान रहना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को नसीहत दी है कि अदालत से संबंधित मामलों में अपनी टिप्पणियों के लिए भविष्य में अधिक सावधान रहें।
सबरीमाला की पुनर्विचार याचिकाओं को बड़ी बेंच में भेजा
केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की औरतों को प्रवेश की इजाजत दिए जाने के अपने फैसले पर दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 14 नवंबर को 7 सदस्यीय संविधान पीठ को भेज दिया है। सबरीमाला मंदिर मामले की सुनवाई अब सात जजों की बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने सबरीमाला मामले को 3:2 के फैसले से बड़ी बेंच को सौंपा है। हालांकि, इस दौरान अदालत ने पिछले साल के अपने फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए। सबरीमाला मंदिर में पहले 10 से 50 साल की महिलाओं को भीतर जाने की अनुमति नहीं थी। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत दी थी।
अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला
इस साल 9 नवंबर की तारीख सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले से इतिहास में दर्ज हो गई। देश के तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने 40 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद सदियों पुराने अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का निपटारा कर दिया। पांचों विद्वान जजों ने एकमत से फैसला राम मंदिर के पक्ष में दिया। राम जन्मभूमि की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन का मालिकाना हक खुद भगवान 'राम लला' को मिल गया और अदालत ने सरकार को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को राम मंदिर के निर्माण और उसके संचालन के लिए एक ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया। विवादित भूमि के एक और दावेदार निर्मोही अखाड़े को भी उसमें प्रतिनिधित्व देने का अदालत ने आदेश दिया है। इन तीनों आदेशों की तामील के लिए सरकार को 3 महीने का वक्त मिला है। सर्वोच्च अदालत के इस ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ 18 पुनर्विचार याचिकाएं भी डाली गईं, जिसे मौजूदा चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने ठुकरा दिया।
अब 7 भाषाओं में आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जुलाई में अपने सभी फैसलों को अंग्रेजी-हिंदी समेत 7 भारतीय भाषाओं में जारी करने का आदेश दिया। यह आदेश तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक प्रमुख होने के नाते जारी किया। अब सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले की कॉपी उसके आधिकारिक वेबसाइट पर 'वर्नाकुलर जजमेंट्स' टैब से डाउनलोड किा जा सकता है, इसमें दक्षिण भारतीय भाषाएं भी शामिल हैं।
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