रामेश्वरम-मदुरै के बीच पटरी पर नहीं गिरेगा मानव अपशिष्ट
चेन्नई। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने देश को आज अनोखा तोहफा दिया। इसके अंतर्गत भारत का पहले मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त जैव शौचालय युक्त रेल कॉरीडोर का उद्घाटन किया गया। इसके अंतर्गत मदुरै से रामेश्वरम तक जाने वाले रेल-रूट पर चलने वाली सभी ट्रेनों में जैव शौचालय लगाये गये हैं। यानी रेल पटरी पर मल नहीं गिराया जायेगा और बीच में पड़ने वाले स्टेशनों पर गंध भी नहीं आयेगी। इय मौके पर चेन्नई रेलवे स्टेशन पर फ्री वाई-फाई सेवा भी शुरू की गई।
'स्वच्छ भारत अभियान' के अंतर्गत शुरू की गई इस योजना में ट्रेनों के डिब्बों में मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त जैव शौचालय उपलब्ध कराये जायेंगे। इस कार्य को सितंबर, 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। सभी रेल डिब्बों में जैव शौचालयों के प्रावधान से रेलगाडि़यों से जमीन पर मानव अपशिष्ट निर्वहन पूरी तरह रुक जाएगा, जिससे सफाई एवं स्वच्छता को बेहतर करने में मदद मिलेगी।
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रेल मंत्रालय ने पहले ही 30 जून, 2016 तक अपने डिब्बों में 40750 जैव शौचालयों का प्रावधान कर दिया है और चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय रेल की अतिरिक्त 30,000 जैव शौचालय लगाने की योजना है।
कार्यक्रम की तस्वीरें
चेन्नई में उद्घाटन समारोह
इस योजना के पहले चरण के अंतर्गत मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त 'रामेश्वरम- मानामदुरै नामक प्रथम हरित रेल गाड़ी गलियारा' का उद्घाटन रेल मंत्री ने चेन्नई स्टेशन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा किया।
रामेश्वरम- मानामुदुरै (114 किमी) ट्रैक की पहचान इसे रेलगाडि़यों से मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त हरित रेल गाड़ी गलियारा बनाने के लिए की गई। इसी के अनुरूप, 286 डिब्बों से निर्मित इस खंड में चलने वाली 10 यात्री गाडि़यों में जैव शौचालयों का प्रावधान किया गया है।
जैव शौचालय युक्त डिब्बों के बारे में
भारतीय रेल ने यात्रियों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने तथा स्टेशन परिसरों/पटरियों को स्वच्छ बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए अपने यात्री डिब्बों में पर्यावरण अनुकूल जैव शौचालयों का विकास किया है। इस प्रौद्योगिकी का विकास भारतीय रेल (आईआर) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से एक एमओयू के द्वारा रेल यात्री डिब्बों के लिए किया है।
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यह पर्यावरण अनुकूल, किफायती एवं मजबूत प्रौद्योगिकी विश्व में रेल प्रणालियों में अपनी तरह की पहली प्रौद्योगिकी है। जैव शौचालय लगे डिब्बों में मानव अपशिष्ट का संग्रहण शौचालयों के नीचे लगे टैंकों में किया जाता है तथा इसे बैक्टीरिया के एक कंसोर्टियम द्वारा डी-कंपोज किया जाता है।
रामेश्वरम- मानामुदुरै के बाद, ओखला-कनालास जंक्शन (141 किमी), पोरबंदर-वंशजलिया (34 किमी) एवं जम्मू-कटरा (78 किमी) खंडों को भी रेलगाडि़यों से मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा। इसके लिए लगभग 1110 डिब्बों से निर्मित करीब 35 रेलगाडि़यों में जैव शौचालयों का प्रावधान किया जाएगा एवं इस पर कार्य वर्तमान में जारी है।
इन खंडों और स्टेशनों का इसलिए चयन किया गया है क्योंकि इन खंडों और स्टेशनों से चलने वाली और यात्रा समाप्त होने वाली रेलगाडि़यों की संख्या कम है जिससे मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त बनाने का काम आसानी से और जल्द हो सकता है।