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बीमा बिल पर बोले जेटली, संशोध‍ित करें पास करें वरना गिरा दें

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insurance bill waste
नई दिल्ली। अपने आगाज़ से ही विवादित रहे बीमा विधेयक पर सरकार और विपक्ष का रुख अधर में लटका नज़र आ रहा है। भारत सरकार का बीमा संशोधन बिल लटकता हुआ नज़र आ रहा है। दो दिन बाद फिर बैठक करने पर सहमति बनी थी पर इस बार भी फैसला नहीं हो सका।

क्या है पूरा मामला-

इंश्योरेंस कंपनियों में 49 फ़ीसदी विदेशी निवेश के प्रस्ताव पर आम सहमति बनाने के लिए संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू द्वारा विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल के मुताबिक इस बैठक में कोई अंतिम फ़ैसला नहीं हो पाया। 10 दलों ने बिल को सेलेक्शन कमेटी को भेजने का नोटिस दिया है। जिसके बाद सरकार ने आज यह बैठक बुलाई थी।

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क्या है चुनौती-

लोकसभा में तो इस बिल को पास कराने में सरकार को कोई दिक़्क़त नहीं आएगी, लेकिन अगर विपक्षी दलों का साथ नहीं मिला तो राज्य सभा में बिल को पास कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। देश में इंश्योरेंस कंपनियों में 26 फ़ीसदी विदेशी हिस्सेदारी की इजाज़त है जिसे सरकार 49 फ़ीसदी तक ले जाना चाहती है।

बैठक में शामिल नेता इस बात पर सहमत हुए हैं कि इस विषय पर नेताओं के बीच अगले दो दिन में फिर बैठक होगी, क्योंकि संसद भवन में सोमवार को हुई बैठक में कोई बात तय नहीं हो पाई है।

एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, 'इस बैठक में कुछ तय नहीं हुआ। हमारे बीच सहमति बनी है कि अगले दो दिन में हम फिर बैठेंगे ताकि इस विधेयक के बारे में संभावित फॉर्म्युले पर कोई आम सहमति बन सके।' उम्मीद की जा रही है कि इस बार सरकार को किसी और पहलू के साथ समझौता कर इस मुद्दे को निपटाना होगा।

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English summary
FDI in Insurance bill could not decide in parliamentary meeting
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