कमेटी के सदस्य अनिल घनवंत ने कहा-'SC के निर्देशों का पालन होगा, निजी राय रखेंगे दूर'
Will set aside my Personal views, says Anil Ghanwat after being named on SC panel: कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को बड़ा झटका दिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को अगले आदेश तक कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि 'हम कृषि कानूनों की वैधता को लेकर चिंतित हैं इसका समाधान जरूर निकलना चाहिए।' बता दें कि कोर्ट ने अब इस मसले को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है जिसे किसान नेताओं ने अस्वीकार कर दिया। आंदोलन कर रहे किसान समूहों ने कहा कि वे इस कमेटी के साथ किसी भी चर्चा में हिस्सा नहीं लेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि वे इस कमेटी को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि इसमें शामिल लोग कृषि कानूनों के समर्थक हैं।
आपको बता दें कि कोर्ट की ओर से गठित इस कमेटी में किसान नेता भूपिंदर सिंह मान, कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि विशेषज्ञ डॉ. अशोक गुलाटी और महाराष्ट्र के किसान नेता अनिल घनवंत शामिल हैं। किसानों के विरोध पर बात करते हुए अनिल घनवंत ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस हमारे पास नहीं आ जाती हैं तब तक हम काम शुरू नहीं कर सकते हैं। गाइडलाइंस आने के बाद हम सब किसान नेताओं से मिलकर उनकी राय जानेंगे कि उनको क्या चाहिए और वो कैसे किया जा सकता है। हम अपनी निजी राय दूर रखेंगे।
कमेटी के सदस्य अनिल घनवंत ने कही बड़ी बात
उन्होंने आगे कहा कि अगर नए कृषि कानून किसानों को मंजूर नहीं है तो सरकार को इसमें सुधार करना चाहिए और किसानों के हित में कानून बनना चाहिए। घनवंत ने कानून में संशोधन की बात की है तो वहीं किसान संशोधन नहीं बल्कि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं इसलिए कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है, किसान पिछले 49 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं।
26 जनवरी को करेंगे दिल्ली में मार्च
क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने कहा "हमने पिछली रात ही एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी जिसमें कहा गया था कि हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्ता के लिए बनाई गई किसी भी कमेटी को स्वीकार नहीं करेंगे। हमें विश्वास था कि केंद्र अपने कंधे से बोझ हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से कमेटी का गठन करेगा।" इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद भी किसान 26 जनवरी को दिल्ली में जाने को तैयार हैं। किसान संघ का कहना है कि 26 जनवरी का हमारा कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्वक रहने वाला है। कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि हम लाल किले पर या संसद जा रहे हैं। ये मार्च किस तरह से होगा इस पर 15 जनवरी के बाद फैसला किया जाएगा। हम कभी भी हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे।