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'हम अपने हाथों पर किसी का खून नहीं चाहते', कृषि कानूनों पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बातें
Farmers Protest Update: मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब-हरियाणा के किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक केंद्र सरकार नए कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक वो दिल्ली के बॉर्डर पर मोर्चा संभाले रखेंगे। इस बीच ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया, जहां सोमवार को डीएमके सांसद तिरुचि शिवा, आरजेडी सांसद मनोज झा समेत कई लोगों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। इन याचिकाओं में तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी। आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या बड़ी बातें कहीं-
Farmer Law और Kisan Andolan को लेकर 12 December को आएगा Supreme Court का आदेश | वनइंडिया हिंदी

- सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि जिस तरह से प्रक्रिया चल रही है, उससे हम निराश हैं।
- CJI ने पूछा कि क्या कुछ समय के लिए कृषि कानूनों को होल्ड किया जा सकता है, क्योंकि हम नहीं जानते कि क्या बातचीत चल रही है।
- कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों ने आंदोलन के दौरान आत्महत्या कर ली। इसमें बूढ़े और महिलाएं भी शामिल हुए। अभी तक किसी ने एक भी याचिका दायर नहीं की, जिसमें ये कहा गया हो कि ये कानून किसानों के लिए अच्छे हैं।
- सर्वोच्च अदालन ने कहा कि अगर आंदोलन के दौरान कुछ भी गलत हुआ, तो हम सभी इसके लिए जिम्मेदार होंगे। हम किसी का खून अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं। इसके अलावा ना तो हम किसी को प्रदर्शन करने से रोक सकते हैं।
- सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कोर्ट उस कानून पर रोक नहीं लगा सकता, जिसे संसदीय प्रक्रिया से पारित किया गया हो। अगर कानून से किसी के मौलिक अधिकार को उल्लंघन होता है, तो कोर्ट उसमें दखल दे सकता है।
- कोर्ट ने सरकार की दलीलें सुनने के बाद कहा कि अगर आप (केंद्र) इस मसले में कोई ठोस कदम नहीं उठाते, तो हमें (सुप्रीम कोर्ट) कोई कार्रवाई करनी होगी।
- किसानों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस आंदोलन को खत्म नहीं करवाना चाहते हैं। बस हम इतना जानना चाहते हैं कि अगर नए कानूनों पर स्टे लग जाता है, तो क्या आप आंदोलन की जगह बदलेंगे? कोर्ट की ओर से एक कमेटी के जरिए किसानों की मांगें सुनने की बात कही गई।
- कमेटी की बात पर सरकार ने साफ कहा कि कोर्ट की वजह से हमारे हाथ बंधे हैं। इस बात का भरोसा दिया जाए कि प्रदर्शनकारी किसान कमेटी से बात करने के लिए आएंगे। इस पर किसान संगठन की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं। ऐसे में कमेटी के पास जाना है या नहीं हम इस पर बातचीत करके फैसला लेंगे।
- दवे की बात पर कोर्ट ने नाराजगी जताई, साथ ही कहा कि ऐसा माहौल ना बनाएं कि आप सिर्फ सरकार के साथ बात करेंगे, कमेटी के पास नहीं। हालांकि किसान महापंचायत ने कमेटी के सुझाव का स्वागत किया और कहा कि वो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन जारी रखेंगे।
- कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि आगामी 26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड है, किसान वहां पर ट्रैक्टर रैली निकालकर उसमें अवरोध डालना चाहते हैं। इस पर किसान संगठनों के वकील ने कोर्ट के सामने भरोसा दिलाया कि राजपथ पर कोई ट्रैक्टर नहीं चलेगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों और सरकार से कमेटी के लिए कुछ नाम सुझाने को कहा है। इस मामले पर मंगलवार को फिर से सुनवाई हो सकती है। साथ ही कोर्ट कमेटी पर अंतिम फैसला भी ले सकता है। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि कमेटी ही बताएगी कि कानून हक में है या नहीं।
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