कृषि अंदोलन में शामिल दो और किसानों ने की खुदकुशी, अबतक 60 लोगों की हुई मौत
नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। इसी बीच किसानों के मरने की संख्या भी बढ़ती जा रही है। कोई बीमारी से जान गंवा रहा है तो कोई खुदकुशी कर रहा है। अब तक 60 किसानों की मौत हो चुकी है। अकेले कुंडली बॉर्डर पर 16 लोगों की जान गई। मंगलवार को एक और किसान ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली। मृतक की पहचान पंजाब के जिला फिरोजपुर के गांव महिमा के ग्रंथी नसीब सिंह मान के रूप में हुई है। ग्रंथी ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा है। इसमें ग्रंथी ने लिखा है कि उस पर किसी तरह का कोई कर्जा नहीं है, लेकिन मोदी सरकार के काले कानूनों के कारण किसानों की दयनीय हालत देखकर परेशान हूं। मेरी मौत के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है। सारा पंथ बसे, पंजाब बसे। दास नू मरन दा कोई शौक नहीं, पंथ बसे जी।
वहीं दूसरी तरफ सोनीपत जिले में कुंडली बॉर्डर धरनास्थल पर सोमवार देर शाम एक किसान ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली। उसे गंभीर हालत में बहालगढ़ रोड़ स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां आज यानी कि मंगलवार सुबह उसकी मौत हो गई। पुलिस इस मामले की छानबीन कर रही है। किसान की पहचान लाभ सिंह के रूप में हुई है और उसकी उम्र 49 साल थी। जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक लाभ सिंह पंजाब के लुधियाना के गांव सरथला का रहने वाला था।
इसके अलावा दिल्ली से किसान आंदोलन में भाग लेने के बाद वापस लौटे ब्लाक ममदोट के गांव सवाई के भोखड़ी निवासी किसान की मौत हो गई। किसान लवप्रीत सिंह 11 जनवरी की रात को घर लौटा था। मृतक किसान लवप्रीत सिंह की माता निंदर कौर ने बताया कि बीती रात सोने से पहले लवप्रीत ने कहा था कि किसान संघर्ष आंदोलन में बुजुर्ग व छोटे बच्चे ठंड में सड़कों पर लगे टैंट व ट्रालियों में सोने को मजबूर हैं।
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