वारंट जारी होने के 26 साल बाद संपादक को किया गिरफ्तार, कोर्ट ने पुलिस से पूछा- इतने सालों से क्या कर रहे थे
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। दरअसल, एक स्थानीय कोर्ट ने वारंट जारी होने के 26 साल के बाद उर्दू अखबार के मालिक व संपादक गुलाम जिलानी कादरी को उनके आवास से गिरफ्तार करने पर जम्मू-कश्मीर पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। 26 साल पहले, श्रीनगर की सीजेएम कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार के खिलाफ आतंकवादी गतिविधि में शामिल होने के एक मामले में वारंट जारी किया था।
हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना का बयान छापने का मामला
गुलाम जिलानी कादरी (62) उन आठ पत्रकारों में से थे, जिनके खिलाफ 1990 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन का बयान छापने के लिए केस दर्ज गया था। इस मामले में श्रीनगर सीजेएम कोर्ट ने 22 जून, 1993 को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। पुलिस ने इस वारंट पर 26 सालों तक कोई एक्शन नहीं लिया।
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26 सालों के बाद पुलिस ने किया गिरफ्तार
अचानक सोमवार की रात पुलिस कादरी के घर पहुंच गई और उनको गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में मंगलवार को कादरी को जमानत देते हुए, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीनगर ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा कि वे 26 साल से क्या कर रहे थे और वरिष्ठ पत्रकार को दो बार पासपोर्ट सत्यापन कैसे जारी किया गया था यदि पुलिस के मुताबिक, वह घोषित अपराधी थे।
कोर्ट ने पुलिस से मांगा जवाब
कोर्ट ने इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस को 31 जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। बताया जा रहा है कि आठ में से तीन आरोपियों की मौत पहले ही हो चुकी है। जबकि पुलिस के इस एक्शन पर कश्मीर में पत्रकारों में भारी गुस्सा है। कश्मीर के पत्रकार संगठनों ने पुलिस की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे प्रेस की आजादी पर हमला बताया है। बता दें कि कादरी के खिलाफ आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत ये मामला दर्ज किया गया था।