Earthquake: भारत के इन हिस्सों में भूकंप से सर्वाधिक खतरा, ये आठ राज्य सबसे अधिक संवेदनशील
Earthquake Risk Area In India: उत्तरी अफगानिस्तान में मंगलवार शाम आए 6.6 तीव्रता के भूकंप के बाद दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र सहित उत्तरी भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए।
Most Earthquake-Prone State In India: मंगलवार देर रात भारत, अफगानिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और चीन में तगड़े भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.8 मापी गई। भूकंप के आने के बाद लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल गए। लोगों के चेहरे पर डर साफ झलक रहा था। इस भूकंप से भारत में तो कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन पाकिस्तान में जहां 14 लोगों की मौत हो गई वहीं अफगानिस्तान में तीन लोगों की जान चली गई। लेकिन इनसब के बीच सवाल उठ रहा है कि अगर भूकंप की तीव्रता इससे थोड़ी अधिक होती तो भारत में क्या होता? तो चलिए आपको बताते हैं भारत के कौन से इलाके भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है? किन राज्यों के लोगों को इस भूकंप से अधिक खतरा है?...
जोन-5
में
स्थित
राज्य
सबसे
अधिक
संवेदनशील
केंद्र
सरकार
द्वारा
लोकसभा
में
दिए
डाटा
के
अनुसार
भारत
का
लगभग
59
प्रतिशत
भूभाग
अलग-अलग
तीव्रता
के
भूकंपों
के
प्रति
संवेदनशील
है।
आठ
राज्यों
और
केंद्र
शासित
प्रदेशों
के
शहर
और
कस्बे
जोन-5
में
हैं
और
यहां
सबसे
ज्यादा
तीव्रता
वाले
भूकंप
का
खतरा
है।
यहां
तक
कि
राष्ट्रीय
राजधानी
क्षेत्र
(Delhi-NCR)
भी
जोन-4
में
है,
जो
दूसरी
सबसे
ऊंची
श्रेणी
है।
देश
के
कुल
भूभाग
को
4
भूकंपीय
जोन
में
वर्गीकृत
किया
गया
देश
के
भूकंपीय
क्षेत्र
मानचित्र
के
अनुसार,
कुल
क्षेत्र
को
चार
भूकंपीय
क्षेत्रों
में
वर्गीकृत
किया
गया
था।
जोन
5
वह
क्षेत्र
है
जहां
सबसे
तीव्र
भूकंप
आते
हैं,
जबकि
सबसे
कम
तीव्र
भूकंप
जोन
2
में
आते
हैं।
देश
का
लगभग
11%
क्षेत्र
जोन
5
में,
18%
क्षेत्र
जोन
4
में,
30%
क्षेत्र
जोन
3
में
और
शेष
क्षेत्र
जोन
2
में
आता
है।
इन
शहरों
में
सबसे
अधिक
रिस्क,
सभी
जोन-5
के
हिस्से
भुज,
गुजरात
दरभंगा,
बिहार
गुवाहाटी,
असम
इंफाल,
मणिपुर
जोरहाट,
असम
कोहिमा,
नागालैंड
मंडी,
हिमाचल
प्रदेश
पोर्ट
ब्लेयर,
अंडमान
और
निकोबार
सादिया,
असम
श्रीनगर,
जम्मू
और
कश्मीर
तेजपुर,
असम
इन
राज्यों
में
भूकंप
का
सबसे
अधिक
खतरा
जोन
5
में
शहरों
और
कस्बों
वाले
राज्य
और
केंद्रशासित
प्रदेश
गुजरात,
जम्मू
और
कश्मीर,
हिमाचल
प्रदेश,
बिहार,
असम,
मणिपुर,
नागालैंड
और
अंडमान
और
निकोबार
हैं।
नेशनल
सेंटर
फॉर
सीस्मोलॉजी
देश
में
और
आसपास
भूकंप
की
निगरानी
के
लिए
नोडल
सरकारी
एजेंसी
है।
ये
हैं
देश
को
दर्द
देने
वाले
कुछ
ऐतिहासिक
भूकंप
मध्य
हिमालयी
क्षेत्र
दुनिया
में
सबसे
भूकंपीय
रूप
से
सक्रिय
क्षेत्रों
में
से
एक
है।
1905
में,
हिमाचल
का
कांगड़ा
एक
बड़े
भूकंप
से
प्रभावित
हुआ
था।
1934
में,
बिहार-नेपाल
भूकंप
आया
था,
जिसकी
तीव्रता
8.2
मापी
गई
थी
और
इसमें
10,000
लोग
मारे
गए
थे।
1991
में,
उत्तरकाशी
में
6.8
तीव्रता
के
भूकंप
में
800
से
अधिक
लोग
मारे
गए
थे।
2005
में,
कश्मीर
में
7.6
तीव्रता
के
भूकंप
के
बाद
इस
क्षेत्र
में
80,000
लोग
मारे
गए
थे।
क्यों
आता
है
भूकंप?
भूकंप
आने
के
पीछे
की
वजह
धरती
के
अंदर
प्लेटों
का
आपस
में
टकराना
है।
धरती
के
अंदर
सात
प्लेट्स
होती
हैं
जो
लगातार
चक्कर
काटती
रहती
हैं।
जब
ये
प्लेटें
किसी
जगह
पर
आपस
में
टकराती
हैं,
तो
वहां
फॉल्ट
लाइन
जोन
बन
जाता
है
और
सतह
के
कॉर्नर
मुड़
जाते
हैं।
सतह
के
कोने
मुड़ने
की
वजह
से
वहां
दबाव
बनता
है
और
प्लेट्स
टूटने
लगती
हैं।
इन
प्लेट्स
के
टूटने
से
अंदर
की
ऊर्जा
बाहर
आने
का
रास्ता
ढूंढ़ती
है,
जिसकी
वजह
से
धरती
हिलती
है
और
हम
इसे
भूकंप
मानते
हैं।
कितनी
भूकंप
की
तीव्रता
रिस्क
भरी
होती
है
रिक्टर
स्केल
पर
2.0
से
कम
तीव्रता
वाले
भूकंप
को
माइक्रो
कैटेगरी
में
रखा
जाता
है
और
यह
भूकंप
महसूस
नहीं
किए
जाते।
रिक्टर
स्केल
पर
माइक्रो
कैटेगरी
के
8,000
भूकंप
दुनियाभर
में
रोजाना
दर्ज
किए
जाते
हैं।
इसी
तरह
2.0
से
2.9
तीव्रता
वाले
भूकंप
को
माइनर
कैटेगरी
में
रखा
जाता
है।
ऐसे
1,000
भूकंप
प्रतिदिन
आते
हैं
इसे
भी
सामान्य
तौर
पर
हम
महसूस
नहीं
करते।
वेरी
लाइट
कैटेगरी
के
भूकंप
3.0
से
3.9
तीव्रता
वाले
होते
हैं,
जो
एक
साल
में
49,000
बार
दर्ज
किए
जाते
हैं।
इन्हें
महसूस
तो
किया
जाता
है
लेकिन
शायद
ही
इनसे
कोई
नुकसान
पहुंचता
है।
वहीं
4
से
6
तक
की
तीव्रता
मीडियम
मानी
जाती
है।
छह
से
सात
के
बीच
तीव्रता
अधिक
रिस्की
मानी
जाती
है।
सात
से
अधिक
भूकंप
की
तीव्रता
जानलेवा
और
विनाशकारी
मानी
जाती
है।