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2024 में E-Voting हो सकती है हकीकत, चुनाव आयोग IIT-मद्रास के साथ कर रहा काम

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हैदराबाद। देश में लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक के सभी मतदान इलेक्टॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से कराए जाते हैं लेकिन फिर भी आपको वोट देने पोलिंग बूथ तक तो जाना ही पड़ता है। लेकिन अब निर्वाचन आयोग वोटिंग के लिए नए तरीके की तैयारी कर रहा है जिसके बाद पोलिंग बूथ पर जाने की बात पुरानी हो जाएगी और आप कहीं से भी अपना वोट डाल सकेंगे। चुनाव आयोग ई वोटिंग के लिए मद्रास आईआईटी के साथ मिलकर ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर काम कर रहा है। अगर सब ठीक रहा है तो 2024 के आम चुनाव में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। हैदराबाद पहुंचे मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी है।

राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में बोल रहे थे अरोड़ा

राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में बोल रहे थे अरोड़ा

हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एनपीए) में ट्रेनी आईपीएस अफसरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि 'एक देश एक चुनाव' वांछनीय है लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वर्तमान कानूनों में संशोधन और राजनीतिक सहमति की आवश्यकता है।

इसी दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त से सवाल पूछा गया था कि दूर रह रहे नागरिकों को मतदान की सुविधा देने के लिए क्या चुनाव आयोग ऐप आधारित ई-वोटिंग की सुविधा शुरू कर रहा है ? जिस पर अरोड़ा ने जवाब दिया "हम आईआईटी-मद्रास, चेन्नई और कुछ प्रख्यात वैज्ञानिकों के साथ एक परियोजना पर काम कर रहे हैं। हम (चुनाव आयोग) एक ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में आपको बहुत सारे अंतर दिखाई देंगे। जिस दिशा में हम काम कर रहे हैं उसमें यह (ई-वोटिंग) भी शामिल है।"

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आधार कार्ड से जुड़ेगी वोटर आईडी

आधार कार्ड से जुड़ेगी वोटर आईडी

उन्होंने कहा कि चुनाव सुधारों के तहत निर्वाचन आयोग आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ने का काम कर रहा है। वहीं "वन नेशन वन इलेक्शन" पर उन्होंने कहा कि इसके लिए मौजूदा कानूनों को संशोधित करने के साथ ही विशाल प्रक्रिया से गुजरना होगा जिसमें राजनीतिक सहमति बहुत आवश्यक है।

एक ट्रेनी आईपीएस के सवाल पर कि क्या सभी के लिए एक बार में मतदान हो सकता है, उन्होंने कहा "यह एक वांछनीय लक्ष्य है जब तक बुनियादी कानूनों में संशोधन नहीं हो जाता तब तक इसे प्राप्त करना मुश्किल है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया के लिए, जिसमें लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं का एक चक्र एक साथ करने के लिए कानून में बदलाव करना होगा, एक राजनीतिक आम सहमति की आवश्यकता पड़ेगी।"

चुनौतियों का किया जिक्र

चुनौतियों का किया जिक्र

उन्होंने जमीनी स्तर पर चुनाव प्रक्रिया को समझने के लिए पश्चिम बंगाल, असम, केरल और तमिलनाडु के प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों को भेजने के लिए एनपीए के कदम का स्वागत किया।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनाव वाले राज्यों के बारे में बात करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में रोजाना कानून व्यवस्था की मुश्किल आती रहती है जिसके चलते वहां दो पर्यवेक्षक नियुक्त करना पड़ा वहीं असम के साथ सीमा पर मुद्दे हैं।

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English summary
e voting soon election commission working with iit madras
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