दिल्ली में ढाई महीने से लोगों को कोरोना की जाली रिपोर्ट दे रहा था डॉक्टर, दो साथी सहित हुआ गिरफ्तार
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में एक 34 वर्षीय डॉक्टर और उसके सहयोगियों को कोविड-19 की जाली रिपोर्ट देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी की पहचान कुश बिहारी पराशर के तौर पर हुई है, जो मालवीय नगर का रहने वाला है। वहीं उसके सहयोगियों की पहचान अमित और सोनू की तौर पर हुई है। पुलिस ने कहा है कि उन्हें एक प्रतिष्ठित टेस्टिंग लैब से कोविड-19 टेस्ट की जाली रिपोर्ट दिए जाने को लेकर शिकायत मिली थी। जिसके बाद हौज खास पुलिस स्टेशन में संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, एक शख्स मरीजों को नर्सिंग स्टाफ उलब्ध कराने का बिजनेस करता है। उसने 30 अगस्त को डॉक्टर पराशर से अपने दो नर्सिंग स्टाफ की कोविड-19 जांच को लेकर बात की थी। पराशर ने जाली रिपोर्ट बनाकर उस शख्स को भेज दीं, बाद में उसने अपने क्लाइंट के फोन पर रिपोर्ट भेजीं। रिपोर्ट में नाम में एक गलती के चलते क्लाइंट ने डायग्नोस्टिक सेंटर से संपर्क किया और सुधार के साथ एक नई रिपोर्ट मांगी। जब मरीज के बारे में जानकारी का पता लगाने की कोशिश हुई तो डायग्नोस्टिक सेंटर के रिकॉर्ड में ऐसा कोई नाम मौजूद ही नहीं था। जिसके बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और गुरुवार को गिरफ्तारी की गई।
मामले में डिप्टी कमिश्नर (साउथ) अतुल कुमार ठाकुर ने कहा कि पराशर कोरोना की जांच के लिए मरीजों के सैंपल लेता था। इसके लिए वह अपने साथियों की सहायता लेता था। फिर वह प्रतिष्ठित टेस्टिंग लैब के नाम पर जाली रिपोर्ट बनाता था। ये रिपोर्ट पीडीएफ फॉर्मेट में तैयार होती थीं और मरीजों को व्हॉट्सएप पर भेज दी जाती थीं। जिसके चलते असली और जाली रिपोर्ट के बीच अंतर पता लगाना मुश्किल होता है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, डीसीपी ने कहा है, 'जाली कोरोना रिपोर्ट 4-5 प्रतिष्ठित लैब्स से बनवाने के मामले में तीन लोग डॉ. पराशर (रूस से MBBS), अमित और सोनू को सेक्शन 420, 468, 471 और 34 के तहत गिरफ्तार किया गया है। ये लोगों के सैंपल लेकर बिना जांच के नष्ट कर देते थे। अब तक 75 जाली रिपोर्ट्स सामने आई हैं।'
पराशर ने ये भी मान लिया है कि वह इस अपराध को पिछले ढाई महीने से कर रहा था और हर जांच के लिए 2400 रुपये लेता था। इसके अलावा वह रिपोर्ट को पॉजिटिव और निगेटिव बताने के लिए किसी मानदंड का भी इस्तेमाल नहीं करता था। पुलिस ने ये भी बताया कि जो सैंपल लिए जाते थे, वो भी बाद में नष्ट कर दिए जाते थे। मामले में जांच जारी है और इस अपराध में शामिल अन्य लोगों की भी तलाश हो रही है।
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